उड़ी आतंकी हमले के बाद से देश बड़ी आशा की निगाह से सरकार पर ध्यान लगाए बैठा था कि सरकार जवानों की शाहदत बेकार नहीं जाने देगी।उसके बाद से सरकार की तरफ से जो बयान आये उससे लगने लगा था कि सरकार की रणनीति अब पाक को धुल चटाने की है साथ में डीजीएमओ ने भी स्पष्ट किया था कि सेना उचित समय का इंतजार कर रही। फिर कुछ ही दिनों बाद यानी पिछले महीने की 28 -29 तारीख की मध्य रात्रि में भारतीय सेना ने गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक किया तथा कई आतंकी कैपों को ध्वस्त कर अपने शौर्य का परिचय दिया। यह सर्जिकल स्ट्राइक करने में भारत पूरी तरह सफल रहा था, इसके बाद से देश में लंबे अंतराल के बाद बड़ी ख़ुशी मिली थी। देश उत्साह में डूबा हुआ था। सभी एक सुर में सरकार और सेना की तारीफ़ कर रहे थे। इसका श्रेय भी सेना और सरकार को दिया जाने लगा। विपक्षी दल भी सेना और सरकार के साथ शायद मजबूरी में ही सही पर कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात कहने लगे। लेकिन, बदलते परिदृश्य को देखते हुए विरोधी नेताओं ने अपनी ओछी राजनीति करनी शुरू कर दी। जिसमें भारतीय राजनीति के सबसे बड़े नाटकीय नेता अरविंद केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत पेश करने की बात कहकर पाकिस्तान को मौक़ा देने का काम कर दिए। गौरतलब है कि कांग्रेस के एक नेता ने तो इस सर्जिकल स्ट्राइक को ही झूठा बता दिया। बाकी रही सही कसर राहुल गाँधी ने अपनी बेहद घटिया और आपत्तिजनक बयानबाजी के जरिये पूरी कर दी।
कांग्रेस के सर्जिकल स्ट्राइक के दावों की हवा उसी वक्त निकल गई, जब पूर्व सेना प्रमुख के साथ–साथ पूर्व डीजीएमओं विनोद भाटिया ने भी स्पष्ट कहा कि इससे पहले इस प्रकार की कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई नहीं हुई थी। सीमा पर छिटपुट कार्रवाई होती रहती है। इस तरह साफ़ है कि झूठी सर्जिकल स्ट्राइक का हवाला देकर कांग्रेस ने देश को गुमराह करने का कुत्सित प्रयास किया था, लेकिन सेना के पूर्व अधिकारियों के इन बयानों के उपरांत कांग्रेस की निकृष्टतम राजनीति का चरित्र एकबार फिर पूरी तरह से सामने आ गया है।
सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सवाल खड़ा करने वाले विरोधी नेता यह कहकर बच नही सकते कि सरकार इसका श्रेय ले रही है, इनके भीतर जो दोयम दर्जे की राजनीति चल रही उसका खुल्लासा होना जरूरी है। विपक्षियों के क्षुद्र राजनीति को देखकर कई सवाल जहन में खड़ें हो रहें है। पहला सवाल सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े करने का मकसद क्या है ? क्या सेना के आधिकारिक बयान पर इन्हें भरोसा नहीं ? यह पहली बार है, जब बिना युद्ध के हमारी सेना ने बॉर्डर पार जाकर पाकिस्तान को उसकी नापाक गतिविधियों के कड़ा जवाब दिया है कि अब किसी भी हमले की हालत में भारत चुप नहीं बैठेगा। इसपर हर सच्चे देशवासी का सीना चौड़ा है। फिर देश के अंदर ये कौन लोग हैं जिनका सीना इस सैन्य कार्रवाई से सिकुड़ रहा है ? कांग्रेस बार–बार सरकार पर आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार इस सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय ले रही है, वहीँ दूसरी ओर उनके एक नेता इस सैन्य कार्रवाई को झूठा बता चुके हैं। इस तरह कांग्रेस में ही बड़ा विरोधाभास सामने आ रहा है।
दरअसल इन सैन्य कार्रवाइयों के बाद देश की जनता से सरकार की राजनीति और सेना के पराक्रम की जम के तारीफ करनी शुरू कर दी। यह तारीफ विपक्षी दलों समेत सेकुलरिज्म के कथित झंडाबरदारों का जायका खराब करने वाला था। इससे हताश विरोधी तरह–तरह के झूठ व भ्रम फैलाने का प्रयास करने लगे इसमें कोई दोराय नही कि सर्जिकल स्ट्राइक सेना और सरकार के बीच सामंजस्यता का परिणाम था। इसके श्रेय की जहाँ तक बात है, तो मोदी सरकार ने भी इसको कई बार स्पष्ट किया है कि इसका श्रेय सेना को जाता है। लेकिन, सरकार की इस नीति की भी सराहना होनी चाहिए कि उसनें देश की जनता को देश की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करने के साथ–साथ सेना के मिजाज़ को भी पढ़ा, उसके हाथ से परमिशन की बेड़ियों को तोड़ा। दूसरी बात अगर सरकार सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय लेती है तो इसके गलत क्या है ? कांग्रेसी यह क्यों भूल जा रहें है कि 1971 के युद्ध उपरांत इंदिरा गाँधी ने विजय युद्ध का लाभ लेने के लिए यूपी–बिहार के विधानसभा चुनाव समय से पहले करवा दिए थे। सामने तो यह भी आया है कि इंदिरा गांधी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में ७१ युद्ध की विजय को भी उपलब्धि के रूप में शामिल किया था। इससे बड़ा जीते हुए युद्ध का राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास भला और क्या हो सकता है ? लेकिन, इस सफल सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सरकार को मिल रही वाहवाही से परेशान कांग्रेस अपने जमाने की झूठी सर्जिकल स्ट्राइक का हवाला दे रही है। कांग्रेस को यह समझना होगा कि उसके निम्न स्तर की मानसिकता को देश अब समझ चुका है।
कांग्रेस के आये बयान से ही बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि अगर श्रेय लेने की होड़ नही है तो कांग्रेस झूठी सर्जिकल स्ट्राइक की दलील देकर जताना क्या चाहती है ? क्या यह ओछी किस्म की घटिया राजनीति नही है ? कांग्रेस के सर्जिकल स्ट्राइक के दावों की हवा उसी वक्त निकल गई जब पूर्व सेना प्रमुख के साथ–साथ पूर्व डीजीएमओं विनोद भाटिया ने भी स्पष्ट कहा कि इससे पहले इस प्रकार की कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई नहीं हुई थी। सीमा पर छिटपुट कार्रवाई होती रहती है। इस तरह साफ़ है कि झूठी सर्जिकल स्ट्राइक का हवाला देकर कांग्रेस ने देश को गुमराह करने का कुत्सित प्रयास किया था, लेकिन सेना के इन पूरे अधिकारियों के बयानों के उपरांत कांग्रेस की निकृष्टतम राजनीतिक सोच का स्तर एकबार फिर पूरी तरह से सामने आ गया है। सेना को लेकर भी कोरे झूठ बोलने में कांग्रेस की यह निर्लज्जता बेहद निंदनीय है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)