प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल से अभी तक की यात्रा को देखें तो गांधी के विचारों एवं सिद्धांतों को जन-जन से जोड़ने के लिए उनकी सरकार ने सांकेतिक से लेकर व्यावहारिक तक प्रत्येक स्तर पर ठोस काम किया है। इसका सबसे बड़ा उदारहण स्वच्छ भारत अभियान है। स्वच्छ भारत का सपना महात्मा गांधी ने देखा था, लेकिन आजादी के बाद गांधी के नामपर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाली कांग्रेस ने कभी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। लेकिन उनके इस सपने साकार करने का कार्य नरेंद्र मोदी ने किया है।
भोपाल से लोकसभा सदस्य के रूप में संसद पहुंची साध्वी प्रज्ञा ठाकुर अक्सर अपने बयानों के चलते चर्चा में बनी रहती हैं। इसबार लोकतंत्र के मंदिर संसद में उनके गोडसे को देशभक्त कहने को लेकर बवाल हो गया। हालाँकि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर इससे इनकार कर रही हैं, लेकिन चौतरफा बढ़ते दबाव को देखते हुए उन्होंने सदन में माफ़ी मांग ली है।
भाजपा तथा सरकार दोनों ने साध्वी के ऊपर कड़ी कार्यवाही करने का निर्णय लिया जिसके परिणामस्वरूप कुछ दिनों पूर्व ही रक्षा से सम्बंधित संसदीय समिति की सदस्य बनी साध्वी प्रज्ञा को समिति से बाहर कर दिया गया, वहीं संगठन की तरफ से भाजपा ने संसदीय दल की बैठक में उनके आने पर पाबंदी लगा दी है।
सदन में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी तथा सरकार महात्मा गाँधी को अपना आदर्श मानती है और गोडसे को देशभक्त मानने वाली विचारधारा एवं सोच की निंदा करती है। बावजूद इसके विपक्ष यह कहने में लगा है कि यह सरकार गोडसे को देशभक्त मानती है। अपने वक्तव्यों और कार्यवाहियों से पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि उसके लिए गांधी आदर्श हैं।
इस प्रकरण पर राहुल गाँधी नें एक ट्विट किया जिसमें प्रज्ञा का संबोधन उन्होंने आतंकवादी शब्द से किया। इस ट्वीट से कांग्रेस मुश्किलों में पड़ गई तो मौके का लाभ लेते हुए प्रज्ञा ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश कर दिया।
बहरहाल, प्रज्ञा के बयान का यह मामला बहुत तूल पकड़ता, इससे पूर्व ही भाजपा ने उनपर उचित कार्यवाही कर दी थी, जिसकी अपेक्षा राजनीतिक दलों से नहीं होती। इस पूरे प्रकरण में कई बातें निकल कर सामने आईं जिसको समझना आवश्यक है।
जैसे ही साध्वी का बयान सामने आया कांग्रेस ने संघ और भाजपा को निराधार ढंग से गोडसे भक्त बताने की मुहीम चालू कर दी। इसके साथ ही देश में नैरेटिव सेट करने वाले गिरोह बिना देर किए इस फेक नैरेटिव को स्थापित करने में जान खपाने लगे कि संघ और भाजपा गोडसे को देशभक्त मानती है। इन सब के बीच राहुल गांधी ने एक ऐसी बात कही जो समझ से परे है। राहुल गाँधी ने कहा कि ‘प्रज्ञा ने जो कहा वह संघ और भाजपा की आत्मा में है जिसे वह छुपा नहीं सकते’
राहुल गाँधी द्वारा दिए गए बयान का कोई तथ्यात्मक आधार नजर नहीं आता, वास्तव में स्थिति यह है कि कांग्रेस ने महात्मा गाँधी के विचारों और स्वप्नों को तिलांजलि देकर उनके नाम का इस्तेमाल केवल सत्ता का सुख भोगने के लिए किया। वहीं जबसे नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता ने शुरू से गांधी के विचारों एवं उनकी सोच को धरातल पर उतारने का काम किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल से अभी तक की यात्रा को देखें तो गांधी के विचारों एवं सिद्धांतों को जन-जन से जोड़ने के लिए उनकी सरकार ने सांकेतिक से लेकर व्यावहारिक तक प्रत्येक स्तर पर ठोस काम किया है। इसका सबसे बड़ा उदारहण स्वच्छ भारत अभियान है।
स्वच्छ भारत का सपना महात्मा गांधी ने देखा था, लेकिन आजादी के बाद गांधी के नामपर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाली कांग्रेस ने कभी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। लेकिन उनके इस सपने साकार करने का कार्य नरेंद्र मोदी ने किया है। जब स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत हो रही थी तो यही कांग्रेस प्रधानमंत्री की आलोचना कर रही थी। फिर क्यों न यह माना जाए कि कांग्रेस ने गांधी के सपनों को पूरा होने में विघ्न डालने की कोशिश की?
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल से अभी तक इस सरकार द्वारा गांधी के विचारों पर आधारित कार्यों को देखने के बाद शायद कांग्रेस को यह समझ आया हो कि गांधी केवल सत्ता के साधन नहीं हैं बल्कि विकास और अंतिम जन के कल्याण के प्रेरणा पुरुष भी हैं। लेकिन अब मोदी गांधी के स्वप्नों को पूरा करने का श्रेय न ले लें इसलिए कांग्रेस यह झूठ फैलाने का प्रयास निरंतर कर रही है कि गांधी को लेकर भाजपा सरकार जो कर रही, वह दिखावा है। प्रज्ञा के बयान को आधार बनाकर कांग्रेस ने फिर एकबार इस बात को उछालने की कोशिश की, लेकिन सरकार और पार्टी दोनों ने प्रज्ञा पर कार्यवाही कर कांग्रेस की रणनीति को विफल कर दिया है।
गांधी 150 और भाजपानीत सरकार
गांधी को लेकर इस सरकार द्वारा किए गए कार्यों के संदर्भ में उल्लेखनीय होगा कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर देश-विदेश में विभिन्न स्तरों पर छोटे-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। गांधी की 150वीं जयंती पर विशेष बात यह भी रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के सभी सांसदों, विधायकों एवं मंत्रियों को इस अवसर पर पदयात्रा करने का निर्देश दिया। ‘मन में गांधी’ के नारों के साथ भाजपा के विधायकों, सांसदों ने 150 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके महात्मा गांधी के विचारों एवं संदेश को जन–जन तक पहुंचाने का काम किया।
प्रधानमंत्री ने प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को गांधी के विचारों पर काम करने के लिए प्रेरित किया। इसी कड़ी में फिल्म जगत एवं कला जगत की हस्तियों में मिलकर उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों को फिल्म के द्वारा लोगों तक पहुँचाने का आग्रह भी किया। सरकार ने कई स्तरों में निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया।
विदेश में भी गांधी को नहीं भूलते प्रधानमंत्री
जब भी प्रधानमंत्री विदेश में होते हैं, प्रायः अपने संबोधन में महात्मा गांधी का जिक्र कर उनकी प्रासंगिकता को बताने से पीछे नहीं हटते और हर वैश्विक समस्या का हल भी गांधी दर्शन के नजरिए से प्रेषित करते हैं। मसलन प्रधानमंत्री ने सियोल में अपने भाषण के दौरान इस बात का जिक्र किया था कि दो वैश्विक समस्याएं आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन का निदान हम गांधी के विचारों के माध्यम से कर सकते हैं।
मई 2015 में शंघाई में प्रधानमंत्री ने गांधी अध्ययन केंद्र का उदघाट्न किया था। यह पहला मौक़ा था जब चीन में गांधी के अध्ययन से संबंधित केंद्र की स्थापना हुई हो। इसी तरह गत सितंबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बापू की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘गांधी सोलर पार्क’ का उदघाट्न किया। एक और महत्वपूर्ण घटना का जिक्र करना समीचीन होगा कि प्रधानमंत्री ने आइलैंड के ओल्ड वेस्टबरी स्थित स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयार्क कैंपस में गांधी शांति उद्यान का उदघाट्न किया था। चूंकि बापू की 150वीं जयंती चल रही थी तो उस उद्यान में 150 पेड़ भी लगाए गए।
विदेशी नेताओं को ले गये साबरमती आश्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक स्तर पर गांधी के विचारों को पहुँचाने के लिए सभी तरह के प्रयास किये हैं। वे विश्व के कई बड़े नेताओं को साबरमती आश्रम ले गए और उन्हें गांधी के जीवन से जुडी अनेक चीजों को दिखाया। साबरमती आश्रम में जाने वालों में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जपान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, इजरायल के प्रधानमंत्री नेतान्याहू आदि प्रमुख वैश्विक नेता शामिल हैं।
इन सब के अतिरिक्त प्रधानमंत्री और भाजपानीत सरकार ने गांधी के विचारों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनके जीवन और आन्दोलन का हिस्सा रही खादी को बढ़ावा देने के लिए भी तरह-तरह के प्रयास एवं लोगो से अपील की है । महात्मा के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये” को विश्व विख्यात बनाने के लिए भी सरकार ने प्रयास किए हैं।
इन सब बातों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने महात्मा गांधी के विचार से लेकर उनके वस्त्र, वस्तु एवं प्रिय संगीत को भी जन-जन से जोड़ने की सफल कवायद की है, जो गांधी के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों को हजम नहीं हो रही है।
अत: राहुल गांधी भाजपा को कितना भी गांधी विरोधी बताते रहें, लेकिन नरेंद्र मोदी द्वारा गांधी के सपनों को पूरा करने की जो दृढ इच्छा शक्ति है, वह यह बताती है कि आजाद भारत की सरकारों में गांधी के सिद्धांतों को अपनाने और उनके सपनों को पूरा करने में ये सरकार सबसे बढ़कर काम कर रही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)