नागरिकता संशोधन अधिनियम हो या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर कांग्रेस के विरोध की असली वजह मुसलमानों की चिंता न होकर वोट बैंक की राजनीति है। कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति का आगाज आजादी के बाद से ही कर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि विकास की दौड़ में मुस्लिम समुदाय पिछड़ता गया। इसके विपरीत मोदी सरकार मुसलमानों के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए दूरगामी उपाय कर रही है। कांग्रेस भयाक्रांत है कि मोदी की विकास की राजनीति के कामयाब होने पर मुसलमानों को धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बरगलाना मुश्किल हो जाएगा। मोदी विरोध में कांग्रेस इस तरह बौखला गई है कि वह कांग्रेसी काल में शुरू किए गए एनआरसी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर जैसे कार्यक्रमों का भी विरोध करने लगी है।
मोदी सरकार का सर्वाधिक बल मुसलमानों का शैक्षिक पिछड़ापन दूर करने पर है। इसके लिए सरकार मदरसों को आधुनिक बनाने के लिए थ्री-टी योजना अर्थात टायलेट, टिफिन और टीचर पर काम कर रही है। इसके तहत देश भर के मदरसों में एक लाख शौचालय बनवाने का लक्ष्य रखा गया है।
ऐसे ही आधुनिक शिक्षा देने वाले मदरसों में मध्यान्ह भोजन देने का फैसला किया गया। मदरसा अध्यापकों के लिए अपग्रेड कौशल योजना शुरू की गई है ताकि शिक्षकों और छात्रों की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। इसी तरह “थ्री-ई” अर्थात एजुकेशन, एम्प्लायमेंट और एम्पॉवरमेंट के माध्यम से सरकार अल्पसंख्यकों के शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक सशक्तीकरण पर फोकस कर रही है। विकास की रोशनी समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना इसका लक्ष्य है।
पारिवारिक कठिनाइयों के चलते मुस्लिम समुदाय में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले युवाओं की पढ़ाई पूरी करवा उनके सपनों को साकार करने हेतु 8 अगस्त 2015 को नई मंजिल योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत ट्रेनिंग से प्राप्त प्रमाण पत्र सभी शिक्षण संस्थाओं में मान्य होंगे तथा छात्र अपनी रूचि के अनुसार देश के किसी भी विश्वविद्यालय में दाखिला ले सकेंगे।
इसी तरह नई रोशनी कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्व क्षमता का विकास किया जा रहा है। नया सवेरा कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यक समुदाय के आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को उनके ज्ञान, कौशल व क्षमता में वृद्धि का अवसर देकर उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से नौकरियों के काबिल बनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यकों को पांच करोड़ छात्रवृत्ति दी जाएगी। इसमें 50 प्रतिशत हिस्सेदारी अल्पसंख्यक लड़कियों की होगी। छात्राओं को अलग से छात्रवृत्ति के लिए बेगम हजरत महल बालिका स्कॉलरशिप 10 लाख छात्राओं को दी जाएगी। इसके अलावा देश भर में ड्राप आउट लड़कियों को देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से ब्रिज कोर्स कराकर उन्हें शिक्षा व रोजगार से जोड़ा जाएगा। पिछले पांच वर्षों में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की विभिन्न स्कॉलरशिप योजनाओं से गरीब, कमजोर वर्गों के रिकार्ड 3.18 करोड़ विद्यार्थी लाभान्वित हुए जिसमें 60 प्रतिशत छात्राएं शामिल हैं।
मोदी सरकार एक ओर शिक्षा का दायरा बढ़ा रही है तो दूसरी ओर उन शिल्पकारों को उन्नत प्रशिक्षण दे रही है जो पैतृक व्यवसाय के रूप में अपनी परंपरागत जीविका (दस्तकारी) को बचाए रखने की कोशिश में जुटे हैं। इसके लिए 14 मई, 2015 को “उस्ताद” योजना शुरू की गई जिसके तहत 15 से 35 वर्ष के शिल्पकारों को मास्टर क्राफ्टमैन के रूप में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, इनके उत्पादों को देश-विदेश के बाजारों तक पहुंचाने के लिए ऑनलाइन ई-प्लेटफार्म उपलब्ध कराया गया है। इसके माध्यम से हुनरमंद शिल्पकार अपने उत्पाद ऑनलाइन बेच रहे हैं।
पारंपरिक हुनर को बढ़ावा देने के साथ-साथ मोदी सरकार अल्पसंख्यकों को कौशलसंपन्न बना रही है ताकि स्किल इंडिया में सभी समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए मौलाना आजाद की 125वीं जयंती पर 11 नवंबर, 2014 को सरकार ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय कौशल विकास अकादमी की स्थापना की। इसका उद्देश्य कौशल प्रशिक्षण के जरिए बेहतर पेशेवर तैयार करना है ताकि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को लाभदायक रोजगार या स्वरोजगार के अवसर मिल सकें।
केंद्र सरकार देशी शिल्पकारों और हस्तशिल्पियों को प्रशिक्षित तथा प्रोत्साहित करने के लिए अगले पांच साल में हर राज्य में हुनर केंद्र स्थापित करेगी। इन केंद्रों में उस्ताद शिल्पकारों, हस्तशिल्पियों और पारंपरिक व्यजंन विशेषज्ञों को आधुनिक जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा।
सरकार ने वक्फ संपत्तियों के जियो टैगिंग और डिजिटलाइजेशन का काम शुरू किया है। आजादी के बाद पहली बार मोदी सरकार ने वक्फ संपत्तियों पर स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, कौशल विकास केंद्र, बहुउद्देश्यीय सामुदायिक केंद्र, हुनर हब, अस्पताल, व्यावसायिक केंद्र के निर्माण हेतु प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के तहत शत-प्रतिशत धन देने का निर्णय किया है।
समग्रत: मोदी सरकार जिस प्रकार अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए काम कर रही है उससे वोट बैंक की राजनीति का धराशायी होना तय है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के बहाने मोदी सरकार को घेरने की असली वजह यही है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)