अल्पेश ठाकोर के जरिये कांग्रेस द्वारा एक तीर से तीन निशाने साधने का प्रयास किया गया था। पहला कि इससे राज्य सरकार पर नाकामी का आरोप लगता, दूसरा कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को भाजपा के खिलाफ उकसाने का काम होता और तीसरा यह कि गुजरात के उद्योग जगत में अफरा-तफरी का माहौल बनता और सरकार की किरकिरी होती। लेकिन गुजरात सरकार की सक्रियता ने कांग्रेस के मंसूबों को ढेर कर दिया। अब राज्य में स्थिति लगभग-लगभग नियंत्रण में है।
गुजरात में कांग्रेस का दांव उल्टा पड़ गया है। उसने उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हमले से राज्य सरकार को घेरने की योजना बनाई थी, लेकिन भद्द उसीकी पिट रही है। एक आपराधिक घटना को ये ऐसा रूप देने में लगे थे, जिसकी गूंज उत्तर भारत तक सुनाई देने लगी थी। लेकिन सच्चाई जल्दी ही सामने आ गई।
दरअसल गुजरात में अपने जीर्णोद्धार के लिए कांग्रेस ने जातिवादी युवा नेताओं को मोहरा बनाया था। ये सीमित सोच के साथ राजनीति में उतरने वाले लोग थे। कांग्रेस ने इनमें तात्कालिक हित देखे। इनके उभरने के समय ही यह माना जा रहा था कि पर्दे के पीछे से इन्हें कोई आगे कर रहा है। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले यह पर्दा भी हट गया। ये लोग कांग्रेस के पाले में आ गए। अब यही मोहरे कांग्रेस की मुसीबत बन गए हैं। इनके जरिये कांग्रेस के दांव उसीके गले की फांस बन जा रहे।
कुछ दिन पहले हार्दिक पटेल उन्नीस दिन के अनशन पर बैठे थे। यह फ्लॉप शो रहा। कांग्रेस उनके साथ थी, इसलिए उसे भी कदम पीछे हटाने पड़े। बिना किसी आश्वासन के अनशन तोड़ना पड़ा। इस बार दूसरे जातिवादी नेता अल्पेश ठाकोर ने बवाल किया है। उत्तर भारतीयों को गुजरात से बाहर निकालने का उनका वीडियो चर्चा में है। मासूम से बलात्कार के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हमले हुए। उन्हें गुजरात छोड़ने की धमकी दी। इसमें कांग्रेस के विधायक अल्पेश ठाकोर और उनके जातिवादी संगठन ‘ठाकोर सेना’ का नाम आया है।
अल्पेश ठाकोर के जरिये कांग्रेस द्वारा एक तीर से तीन निशाने साधने का प्रयास किया गया था। पहला कि इससे राज्य सरकार पर नाकामी का आरोप लगता, दूसरा कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को भाजपा के खिलाफ उकसाने का काम होता और तीसरा यह कि गुजरात के उद्योग जगत में अफरा-तफरी का माहौल बनता और सरकार की किरकिरी होती।
लेकिन गुजरात सरकार की सक्रियता ने कांग्रेस के सब मंसूबों को ढेर कर दिया। सरकार ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी करवाई, उपद्रव कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की, वहां रहने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कदम उठाए। इस प्रकार भाजपा सरकार ने अपने दायित्व का निर्वाह किया और कांग्रेस विधायक व कार्यकर्ताओं की साजिश बेनकाब हो गई।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने ठीक ही कहा कि कांग्रेस पहले हिंसा भड़काती है, फिर उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ट्वीट करके निंदा करते हैं। राहुल हिंसा के खिलाफ हैं, तो उन लोगों को पार्टी से निकालें, जिन पर आरोप लगे हैं। वैसे राहुल गांधी का ट्वीट भी रोचक है। वह कमेंट्री करते लग रहे हैं। वह कहते हैं कि गुजरात मे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार के युवाओं को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें यहां से निकलने को बाध्य किया जा रहा है।
दरअसल प्रकरण चाहे जहाँ का हो, राहुल की कोई बात नरेंद्र मोदी के बिना पूरी नहीं होती। इस मसले पर भी उन्होंने मोदी निशाने पर लेते हुए कहा कि युवाओं ने मोदी पर भरोसा किया, किंतु प्रधानमंत्री ने उन्हें धोखा दिया है। लेकिन इस पूरी कमेंटरी में सब वितंडे की जड़ अपने विधायक पर राहुल कुछ नहीं कह सके। वह गुजरात के मुख्यमंत्री पर हमला बोलते, तब भी समझ आता। लेकिन इस घटना में भी वह सीधे मोदी तक जा पहुंचे। कहना न होगा कि यह एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी वाली बात है।
कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है, लेकिन कमजोर हो चुकी है। विभिन्न राज्यों में उसे स्थानीय पार्टियों से तालमेल करना पड़ रहा है। बिहार में राजद उसकी सहयोगी है। लेकिन गुजरात में कांग्रेस के लोग बिहारियों पर हमले करेंगे तो राजद की स्थिति भी खराब होगी। जाहिर है कि गुजरात की घटना से राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की छवि धूमिल हुई है जबकि उसकी योजना इससे भाजपा की छवि बिगाड़ने की थी।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)