अनुच्छेद-370 हटाने के विरोध में कांग्रेस के निरर्थक तर्क

कश्मीर आदि काल से भारत का अभिन्न हिस्सा है। नागों के पिता कश्यप ऋषि कश्मीर के प्रथम राजा थे, इनके नाम से बना कश्मीर। इनकी एक पत्नी कद्रू के गर्भ से नागों की उत्पत्ति यानि नाग-वंश की उत्पत्ति हुई। कश्मीर में नागों के नाम पर जगहें हैं – अनन्त नाग, कमरू नाग, कोकर नाग,वेरी नाग,नारा नाग,कौसर नाग आदि। 370 के रूप में इसे विशेष दर्जा देकर इसको भारत से दूर ही किया गया था, लेकिन अब यह अनुच्छेद हटाकर मोदी सरकार ने इस दूरी को समाप्त किया है।

सरकार के किसी कदम का विरोध करना अपनी जगह है, लेकिन इसे राष्ट्रीय हित के दायरे में ही होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन और अस्थाई अनुच्छेद को समाप्त करने के संकल्प पर अनेक पार्टियों का रुख चौकाने वाला था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट संदेश के जरिए सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटकर, चुने हुए प्रतिनिधियों को जेल में डालकर और संविधान का उलंघन करके देश को एकजुट नहीं रखा जा सकता, देश उसकी जनता से बनता है न कि जमीन के टुकड़ों से, सरकार द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग का राष्ट्रीय सुरक्षा पर घातक परिणाम होगा।

मतलब राहुल गांधी दुनिया को यह बताना चाहते हैं कि भारत की सुरक्षा पर खतरा आ गया है। कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन कश्मीर को आज भी संयुक्त राष्ट्र संघ की निगरानी में मानते हैं। राज्य सभा में कांग्रेस के नेता कहते हैं कि संविधान की हत्या हो गई है, यही अनुच्छेद कश्मीर को भारत से जोड़ने वाला था। जाहिर है कि इस प्रकार के बयानों को पाकिस्तान और अलगाववादी भारत के विरोध में वैश्विक स्तर पर उठाएंगे। कांग्रेस एक बार फिर राष्ट्रीय भावना को समझने में नाकाम रही है।

संविधान के अनुच्छेद 370 को अब तक छूने की भी इजाजत नहीं थी। कहा जाता था कि इसके हटने से कश्मीर अलग हो जाएगा, यहां कोई तिरंगा झंडा उठाने वाला नहीं मिलेगा, देश में आग लग जायेगी आदि। जनसंघ  प्रारम्भ से ही इसे हटाने की मांग करता रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने भी इसे अपनी पहचान से जोड़े रखा। लेकिन बहुमत का इंतजाम न होने के कारण वह इस दिशा में कदम उठाने की स्थिति में नहीं थी। जैसे ही बहुमत की व्यवस्था हुई, भाजपा सरकार ने इस अनुच्छेद को हटा कर दिखा दिया।

सरकार के समर्थन की भावनात्मक अभिव्यक्ति बाहर भी हो रही थी। देश के इस माहौल को कांग्रेस,सपा जैसी पार्टियां समझ ही नहीं सकीं। उन्होंने अनुच्छेद तीन सौ सत्तर को बनाये रखने की हिमायत में जमीन आसमान एक कर दिया। लेकिन इनके तर्क निरर्थक साबित हुए। देश की जनभावना अलग थी, इनके विचार उसके विरुद्ध थे। गृहमंत्री अमित शाह ने जनभावना को समझा।

गौर करें तो वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, डॉ आंबेडकर, राम मनोहर लोहिया  ने 370 का विरोध किया था। इस अनुच्छेद ने कश्मीर को भारत से दूर करने का कार्य किया है। वहां भ्रष्टाचार बेकाबू था, क्योंकि केंद्र की एजेंसियां वहां जांच नहीं कर सकती थीं। पिछड़ों, दलितों, गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला।

यह सही है कि संविधान में अनुच्छेद 371 ए से आई भी है। यह नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, सिक्किम आदि को विशेष अधिकार प्रदान करते हैं। लेकिन यह तीन सौ सत्तर की भांति दोहरी नागरिकता, दोहरा संविधान आदि की इजाजत नहीं देता।आजादी के साथ ही पांच सौ बासठ रियासतें मिलाई गईं। वैसे ही विलय पत्र पर कश्मीर के तत्कालीन शासक ने हस्ताक्षर किए थे। तीन रियासतों को लेकर संवेदनशील स्थिति बनी जिसमें जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ शामिल था। कश्मीर मसला नेहरू के हाथ था जो आज तक शांत नहीं हुआ।

तीन सौ सत्तर के हिमायतियों को  अंबेडकर के एक पत्र का संज्ञान लेना चाहिए। अनुच्छेद तीन सौ सत्तर के बारे में शेख अब्दुल्ला को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा कि आप चाहते हैं कि भारत जम्मू-कश्मीर की सीमा की सुरक्षा करे, यहां सड़कों का निर्माण करे, अनाज की सप्लाई करे, लेकिन भारत सरकार को कश्मीर में सीमित अधिकार मिलने चाहिए। ऐसा प्रस्ताव भारत के साथ विश्वासघात होगा जिसे भारत का कानून मंत्री होने के नाते मैं कतई स्वीकार नहीं कर सकता। सरदार पटेल ने भी इसका विरोध किया। अंबेडकर ने अनुच्छेद तीन सौ सत्तर की बहस में  हिस्सा नहीं लिया था।

गौरतलब है कि अनुच्छेद तीन सौ सत्तर अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान अध्याय में शामिल किया गया। इस नामकरण से ही समझ लेना चाहिए कि इसे स्थायी मानना ही असंवैधानिक है। कश्मीर आदि काल से भारत का अभिन्न हिस्सा है। नागों के पिता कश्यप ऋषि कश्मीर के प्रथम राजा थे, इनके नाम से बना कश्मीर। इनकी एक पत्नी कद्रू के गर्भ से नागों की उत्पत्ति यानि नाग-वंश की उत्पत्ति हुई। कश्मीर में नागों के नाम पर जगहें हैं अनन्त नाग, कमरू नाग, कोकर नाग,वेरी नाग,नारा नाग,कौसर नाग आदि। 370 के रूप में इसे विशेष दर्जा देकर इसको भारत से दूर ही किया गया था, लेकिन अब यह अनुच्छेद हटाकर मोदी सरकार ने इस दूरी को समाप्त किया है।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)