अर्थव्यवस्था के सभी मानकों में लगातार सुधार होने से अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगी है। जीएसटी संग्रह में और भी इजाफा होने की उम्मीद है। बिजली, पेट्रोल, जीडीपी आदि में भी सुधार दिख रहा है। देशभर में 2 जनवरी से कोरोना वायरस के टीकाकरण का परीक्षण शुरू हो गया है। सबकुछ योजनानुसार रहा तो आगामी कुछ दिनों में लोगों को टीका दिया जाना शुरू हो जायेगा। फिर, लोगों के मन से कोरोना वायरस का डर कम हो जायेगा जिससे आर्थिक गतिविधियों में और भी तेजी आयेगी।
आहिस्ता-आहिस्ता अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। दिसंबर महीने में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1.15 लाख करोड़ रूपये रहा, जो जुलाई 2017 के बाद सबसे अधिक है। इसके पहले अप्रैल 2019 में 1.14 लाख करोड़ रूपये का जीएसटी संग्रह हुआ था। उल्लेखनीय है कि मई महीने से जीएसटी संग्रह में लगातार सुधार हो रहा है। अक्टूबर और नवंबर महीने में भी जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रूपये से अधिक रहा है।
अक्टूबर महीने में 1 लाख 5 हजार 155 करोड़ रूपये का जीएसटी संग्रह हुआ था, वहीं, नवंबर महीने में जीएसटी संग्रह 1 लाख 4 हजार 963 करोड़ रूपये का हुआ। तालाबंदी की वजह से अप्रैल 2020 में जीएसटी संग्रह केवल 32 हजार 172 करोड़ रूपये रहा था। उसके बाद कोरोना महामारी की वजह से 5 महीनों की लंबी अवधि में जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपए के आंकड़ें को बमुश्किल पार कर पाया।
जीएसटी संग्रह में सुधार का सबसे बड़ा कारण अर्थव्यवस्था का पटरी पर लौटना है। अन्य कारणों में जीएसटी चोरी और नकली बिलों के भुगतान पर लगाम का लगना भी है। इसके अलावा, दिसंबर 2019 के मुक़ाबले दिसंबर 2020 में राजस्व में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी का होना और आयात से होने वाले राजस्व में दिसंबर 2019 की तुलना में दिसंबर 2020 में 27 प्रतिशत की वृद्धि का भी होना है। आयात से राजस्व में बढ़ोतरी होना यह भी दर्शाता है कि औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आ रही है और विविध उत्पादों की मांगों में भी इजाफा हो रहा है।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में 21 हजार 365 करोड़ रुपए सीजीएसटी से, 27 हजार 804 करोड़ रुपए एसजीएसटी से और 57 हजार 426 करोड़ रुपए आईजीएसटी से मिले हैं। आईजीएसटी में वस्तुओं के आयात से मिले 27 हजार 50 करोड़ रुपए भी शामिल हैं।
इसके अलावा 8579 करोड़ रुपए सेस से मिले हैं, जिसमें आयातित वस्तुओं पर लगाया गया 971 करोड़ रुपए का सेस भी शामिल है। दिसंबर महीने में 87 लाख जीएसटीआर 3बी रिटर्न दाखिल किए गए हैं, जो पिछले साल की समान अवधि से अधिक है। यह इस बात का सूचक है कि जीएसटी जमा करने वाले कारोबारियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यह भी जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी होने का एक महत्वपूर्ण कारण है।
चालू वित्त वर्ष की तीसरी और अंतिम तिमाही में विकास दर के सकारात्मक रहने का अनुमान है। अगर ऐसा होता है तो कर संग्रह में इजाफा होना लाजिमी है। कोरोना वायरस का भारत में टीकाकरण जनवरी महीने से शुरू होने का अनुमान है।
इसलिए, माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था के मानकों में आगामी दिनों में और भी सुधार होगा और जीएसटी संग्रह 1.25 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर जायेगा। मौजूदा समय में कोरोना की डर की वजह से औद्योगिक क्षेत्र अपनी पूरी क्षमता से नहीं काम कर रहा है, लेकिन टीकाकरण के प्रभावी रहने से लोग बिना डर के पूरे मनोयोग से अपना कार्य करना शुरू कर देंगे, जिससे विकास दर में इजाफा होगा।
इधर, विदेशी निवेशकों ने नवंबर महीने में 60 हजार 358 करोड़ रुपए और दिसंबर महीने में 62 हजार 16 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है। हालांकि, वर्ष 2020 में डेट बाजार से इन निवेशकों ने 1.04 लाख करोड़ रुपए निकाले भी हैं, लेकिन दिसंबर महीने में यह आंकड़ा सकारात्मक रहा है। भारत के इक्विटी बाजार में विदेशी निवेशकों का रुझान वर्ष 2021 में भी सकारात्मक रहने का अनुमान है।
वर्ष 2020 में विदेशी निवेशकों ने 1 लाख 70 हजार 262 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया था, जबकि वर्ष 2019 में उन्होंने 1 लाख 1 हजार 122 करोड़ रुपए का निवेश किया था, जो यह बताता है कि विदेशी निवेशकों के निवेश में वृद्धि हो रही है। चूँकि, अर्थव्यवस्था के सभी मानकों में सुधार हो रहा है, इसलिए माना जा रहा है कि विदेशी निवेश में वर्ष 2021 में भी इजाफा होगा।
चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में कंपनियों का मुनाफा 1.50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रहा है। बिजली, पेट्रोल और डीजल की खपत कोरोना काल के पहले के स्तर पर पहुँच गई है। कुछ शहरों में मकानों की अच्छी बिक्री हुई है। शेयर बाजार में भी लगातार उछाल की स्थिति बनी हुई है। मारुति-सुजुकी की बिक्री बाजार की उम्मीदों से बेहतर रही है।
इसने दिसंबर 2020 में 1,60,226 गाड़ियाँ बेची थी, जबकि वर्ष 2019 में यह केवल 1,33,296 गाड़ियाँ ही बेच सकी थी। अगर प्रतिशत में इस वृद्धि को देखें तो गाड़ियों की बिक्री में 20.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मामले में, दूसरे ऑटोमोबाइल कंपनियों का भी अच्छा प्रदर्शन रहा है।
रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वास्तविक आधार पर 147.17 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011-12 के मूल्य पर वर्ष 2019-20 में देश की अर्थव्यवस्था का आकार 145.66 लाख करोड़ रुपए था और चालू वित्त वर्ष में इसके 134.33 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
अर्थव्यवस्था के सभी मानकों में लगातार सुधार होने से अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगी है। जीएसटी संग्रह में और भी इजाफा होने की उम्मीद है। बिजली, पेट्रोल, जीडीपी आदि में भी सुधार दिख रहा है। देशभर में 2 जनवरी से कोरोना वायरस के टीकाकरण का परीक्षण शुरू हो गया है। सबकुछ योजनानुसार रहा तो आगामी कुछ दिनों में लोगों को टीका दिया जाना शुरू हो जायेगा। फिर, लोगों के मन से कोरोना वायरस का डर कम हो जायेगा जिससे आर्थिक गतिविधियों में और भी तेजी आयेगी।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)