यह लेख लिखे जाने तक दिल्ली में करीब 18600 कोरोना के एक्टिव केस हैं, जबकि जून में जिस तरह से मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही थी, उसे देखकर अनुमान लगाया जा रहा था कि जुलाई के अंत तक आंकड़े साढ़े 5 लाख के पार जा सकते हैं। लेकिन प्रशासन अमित शाह के हाथ में आते ही आंकड़ों का ग्राफ संभलता दिखने लगा।
अभी कुछ ही दिन पहले तक कोरोना के दंश से बेहाल हो रही दिल्ली में अब हालात सुधरते नजर आ रहे और संक्रमण के मामलों पर ब्रेक लगता दिख रहा है। निश्चित रूप से इसका पूरा श्रेय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुशल प्रबंधन और कड़ी मेहनत को दिया जाना चाहिए जिन्होंने डेढ़ महीने दिन-रात अपनी निगरानी में दिल्ली की तमाम चुनौतियों पर काम किया और कुशल प्रशासक की तरह निर्णयों को कार्यान्वित कराने में सफलता हासिल की। यदि अमित शाह ने दिल्ली वालों की खबर नहीं ली होती तो आज हालात बहुत ही खतरनाक हो सकते थे।
खुद दिल्ली सरकार ने यह भविष्यवाणी कर दी थी कि हालात ऐसे रहे तो जुलाई के अंत तक अकेले राजधानी में साढ़े पांच लाख से भी ज्यादा कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। बताए जा रहे यह आंकड़े दरअसल बहुत ही भयावह थे।
ऐसे में हालात की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार से मदद मांगने आई दिल्ली सरकार की एक ही गुहार पर केंद्र ने एक्शन लिया और चौबीस घंटे के अंदर अमित शाह ने व्यवस्था को अपने हाथ में लेते हुए एक के बाद एक कई मीटिंग की। एक जिम्मेदार प्रशासक की छवि वाले शाह ने यहां कोई कमी नहीं छोड़ी और लगातार महत्वपूर्ण निर्णय लेते गए। दिन रात की मेहनत रंग लाई और आज डेढ़ महीने बाद दिल्ली में कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में नजर आ रही है।
इस कामयाबी के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी केंद्र सरकार के प्रति आभार जताया है और स्वीकारा है कि दिल्ली में कोरोना महामारी के खिलाफ जारी जंग में केंद्र सरकार का भरपूर सहयोग मिला है।
यह लेख लिखे जाने तक दिल्ली में करीब 18600 कोरोना के एक्टिव केस हैं, जबकि जून में जिस तरह से मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही थी, उसे देखकर अनुमान लगाया जा रहा था कि जुलाई के अंत तक आंकड़े साढ़े 5 लाख के पार जा सकते हैं। लेकिन प्रशासन अमित शाह के हाथ में आते ही आंकड़ों का ग्राफ संभलता दिखने लगा। गलतियां ढूंढ़ी गईं और विशेषज्ञों की टीम बनाकर काम पर लगाया गया। शोध करके ग्राउंड लेवल पर काम शुरू किया गया।
फ्रंट लाइनरर्स की समस्या को सुना गया और उनसे सुझाव लिए गए। बिना आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में पड़े अमित शाह ने बखूबी लोगों को प्रोत्साहित भी किया और हौसले के साथ काम करने की हिम्मत और सुविधा भी दी। आज दिल्ली में हालात सुधरते दिख रहे हैं। यहां कोविड मरीजों के लिए करीब 4000 बेड की ही जरूरत पड़ रही है, जबकि हालात ऐसे थे कि इनकी तैयारियों में 15000 बैड की व्यवस्था पहले की जा चुकी थी।
यदि कोरोना संक्रमण के चलते मौत के आंकड़ों का जिक्र करें तो दिल्ली में मौत के आंकड़े भी काफी कम हुए हैं। जून में 100 से ऊपर मौतें हुईं, जबकि अब यह आंकड़ा 30 से 35 रह तक आ गया है। हालांकि संक्रमण और मौतों को रोकने के लिए राजधानी में टेस्टिंग युद्ध स्तर पर की जा रही है, जिससे बीमारी के बारे में जल्द पता चले और उनका इलाज हो सके।
जिन महत्ववूर्ण निर्णयों पर अमित शाह ने सबसे पहले काम किया उनमें से एक था होम आइसोलेशन की सुविधा की छूट देना। यह काफी कारगर सिद्ध हुआ। दरअसल पहले लोगों को डर था कि पॉजिटिव आये तो कहीं क्वारंटाइन सेंटर में भेज दिया जाएगा। लेकिन अब होम आइसोलेशन की व्यवस्था होने से लोग बिना डरे टेस्ट करवाने के लिए सामने आ रहे हैं। इसके तहत मेडिकल टीम मरीज को फोन करती है। मरीजों को ऑक्सीमीटर मुहैया कराया जा रहा है और जरूरत के आधार पर उनकी काउंसिलिंग भी की जा रही है।
जिन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत होती है, उनके पास एम्बुलेंस आधे घंटे में पहुंचती है और अस्पताल में पहुंचने के बाद एम्बुलेंस मरीज को होल्डिंग एरिया में ले जाती है, जहां ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्लाज़्मा थेरेपी के अच्छे रिजल्ट आये हैं और प्लाज़्मा बैंक से काफी मदद मिल रही है।
पूर्व तैयारी के तौर पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही भारतीय रेलवे से बातचीत की थी जिसके बाद कई कोचों को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित कर 8000 बेड्स की व्यवस्था की गई, जबकि 8000 अन्य बेड्स की व्यवस्था भी जल्द करने का आश्वासन दिया। इसके अलावा डीआरडीओ ने भी एक विशेष COVID अस्पताल की व्यवस्था की, जिसमें 250 से अधिक आईसीयू बेड्स और वेंटिलेटर्स उपलब्ध कराए गए।
इसके अलावा, छत्तरपुर में दुनिया के सबसे बड़े कोविड सेंटर राधा स्वामी व्यास केंद्र का उद्घाटन किया गया। विश्व के इस सबसे बड़े सरदार पटेल कोविड सेंटर एंड हॉस्पिटल में 10,000 बेड्स की अतिरिक्त व्यवस्था की गई। बता दें कि यह सेंटर साढ़े 12 लाख स्क्वेयर फीट के एरिया में बनाया गया है।
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास रक्षा मंत्रालय की जमीन पर एक और 1000 बेड वाला अस्थाई अस्पताल महज 12 दिनों के अंदर तैयार किया गया। जिस पर शाह ने एक ट्वीट में कहा, ‘रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ 1000 बिस्तरों वाले सरदार पटेल कोविड अस्पताल का दौरा किया जिसमें आईसीयू में 250 बिस्तर हैं। डीआरडीओ ने गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, सशस्त्र बलों और टाटा ट्रस्ट की सहायता से 12 दिन के रिकॉर्ड समय में इसे तैयार किया।’
इसके अलावा, अमित शाह ने सामान्य जनता की समस्या को समझते हुए अस्पताल की ज़रूरत से ज़्यादा ऊंचे दामों पर लगाम लगाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की। इस पर उन्होंने खुद संज्ञान लिया और सुनिश्चित किया कि बिना वेंटिलेटर के आईसीयू बेड का जो दाम 34000 से 43000 रुपये के बीच था, वो 13000 से 15000 रुपये के बीच में रहे।
वहीं वेंटिलेटर सहित आईसीयू बेड की कीमत पहले जो 44000 से 54000 रुपये के बीच में थी, तो वहीं अब वो कीमत 15000 से 18000 रुपयों के बीच आ चुकी है। इस निर्णय ने दिल्लीवासियों के लिए राम बाण का काम किया। लोग खुद अस्पतालों तक पहुंचे और बेहतर सुविधा के साथ इलाज कराने में पूरा सहयोग दिया।
इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने मृतक शरीरों के दाह संस्कार की त्वरित व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई। अस्पतालों को सख्त निर्देश जारी किया गया कि अंतिम क्रियाकर्म में किसी प्रकार का विलंब नहीं होना चाहिए और पूरे सम्मान के साथ दाह संस्कार किया जाना चाहिए।
कहीं किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो, इसके लिए वह ग्राउंड स्टाफ से लेकर बड़े अधिकारियों से भी फीडबैक लेने में कतराते नजर नहीं आए। इसी वजह से अमित शाह ने अस्पतालों का खुद दौरा किया और लोगों को यह आश्वासन दिया कि भारत हर मोर्चे पर विजयी सिद्ध होगा।
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि यदि अमित शाह ने स्थिति को संभाला ना होता, तो दिल्ली आज बुरी तरह कोरोना के कहर की चपेट में होती। हालांकि खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन शाह की निगरानी में दिल्लीवाले खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)