नोटबंदी पिछले तीन महीनों से देश के सबसे चर्चित विषयों में से एक रहा है। विपक्षियों द्वारा नोटबंदी के बाद इस बात को लेकर बहुत शोर किया गया कि नोटबंदी से देश की कृषि और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। लेकिन, कुछ समय पहले आये फसल उत्पादन में वृद्धि के आंकड़ों के बाद जहां यह साफ़ हो गया कि नोटबंदी से कृषि पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा है; वहीँ अभी हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा नोटबंदी के बाद की तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था से सम्बंधित कुछ आंकड़े जारी किये गए हैं। आंकड़ों में जीडीपी वृद्धि दर, आर्थिक विकास एवं कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्र सहित अन्य रोजगार क्षेत्रो की वृद्धि दर के आंकड़े भी जारी किये गये हैं, जो यह दिखाते हैं कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
नोटबंदी के बाद विपक्ष द्वारा यह दुष्प्रचार किया गया था कि इससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचेगा। लेकिन, इसके बाद सीएसओ द्वारा जारी तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि के आंकड़े दिखाते हैं कि विपक्षियों के ये सारे दावे वास्तविकता से दूर केवल भ्रम और दुष्प्रचार पर आधारित थे। अब उन दावों की पोल खुल गयी है। आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी से न तो किसानों को ही कोई हानि हुई है और न ही आर्थिक वृद्धि पर ही किसी प्रकार का दुष्प्रभाव पड़ा है।
आंकड़ों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर ७.४ प्रतिशत बताई जा रही है। जबकि नोटबंदी के बाद की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर ७.१ फीसदी रहने की उम्मीद है। यानी कि 0.3 प्रतिशत की मामूली गिरावट होने का अनुमान है, जिसे अर्थव्यवस्था में रूटीन उतार-चढ़ाव का हिस्सा माना जा सकता है। वहीं, वर्ष २०१६-१७ में कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्र की वृद्धि दर का पिछले वर्ष की तुलना में ०.८ % बढ़कर ४.४ % होने की बात कही गयी है। वहीं, तीसरी तिमाही में इसके बढकर ६ प्रतिशत तक होने का अनुमान है।
ऐसे ही कुछ और क्षेत्रों में भी कमोबेश उतार-चढ़ाव रहा है, मगर यह अर्थव्यवस्था में होने वाले नियमित उतार-चढ़ाव भर हैं। नोटबंदी का इनपर कोई प्रभाव है, ये कहना बेहद सतही बात होगी। नोटबंदी एक सकारात्मक कदम है और देश की अर्थव्यवस्था में इसके दूरगामी प्रभाव होंगे। पूरी संभावना है कि वे प्रभाव अर्थव्यवस्था के लिए हितकारी होंगे। बहरहाल, नोटबंदी के बाद विपक्ष द्वारा जो यह दुष्प्रचार किया गया था कि इससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचेगा। लेकिन, इसके बाद तीसरी तिमाही के ये आंकड़े दिखाते हैं कि विपक्षियों के ये सारे दावे वास्तविकता से दूर केवल भ्रम और दुष्प्रचार पर आधारित थे, जिनकी पोल अब खुल गयी है। नोटबंदी से न तो किसानों को ही कोई हानि हुई है और न ही आर्थिक वृद्धि पर ही किसी प्रकार का दुष्प्रभाव पड़ा है।
(लेखिका पत्रकारिता की छात्रा हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)