पूरे अयोध्या नगर में सुबह से दीपावली पर्व को लेकर उत्साह था। महिलाएं सड़कों पर रंगोली बना रही थीं, पुरुष स्वागत द्वार की सजावट में रत थे। नगर के एक कॉलेज से श्रीराम के जीवन प्रसंग पर आधारित झांकियां निकाली गईं जिन्होंने मन मोह लिया। श्रीराम, लक्ष्मण एवं सीता जी का रूप धरे कलाकारों को लेकर पुष्पक विमान के रूप में हेलीकॉप्टर शाम 4 बजे रामकथा पार्क पर उतरा। यहां मुख्यमंत्री योगी ने स्वयं राम, लक्ष्मण एवं सीता का आरती उतारकर स्वागत किया। इस दौरान आकाश से पुष्पवर्षा भी हुई। शंखनाद और मंत्रोच्चार के बीच पूरा वातावरण पावन हो गया।
बुधवार 18 अक्टूबर का दिन अयोध्या नगरी के लिए अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक था। पूरे नगरवासियों ने कुछ ऐसा देखा जिसकी अभी तक कल्पना भी नहीं रही होगी। दीपोत्सव का पर्व यादगार बन गया। मानो साक्षात त्रेता युग इस युग में उतर आया हो। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर अयोध्या में दीपावली पर्व भव्य पैमाने पर मनायी गयी। इस आयोजन की सूत्रधार भले ही सरकार थी, लेकिन यह जन जन का पर्व था और इसमें नगर का प्रत्येक नागरिक सम्मिलित हुआ। अयोध्या नगरी एक ऐसे विराट आयोजन की साक्षी बनी जिसका जिक्र बरसों तक किया जाता रहेगा।
त्रेता युग में जिस प्रकार भगवान श्रीराम रावण वध करके अयोध्या नगरी लौटे थे, ठीक उसी प्रकार इस आयोजन में भी राम जी का आगमन मंचित किया गया और पावन सरयू नदी के तट पर दीपों की विशाल कतार से प्रकाश करके स्वागत किया गया। यह कोई साधारण दीप-पर्व नहीं था, इसमें डेढ़ लाख से अधिक दीये जलाए गए जिनसे सरयू के घाट जगमगा उठे। यह पूरी तरह से एक सुनियोजित एवं व्यापक पैमाने पर संचालित कार्यक्रम था जो कि पूरे देश के आकर्षण का केंद्र बना।
इस आयोजन के बहाने यहां यह बात करना जरूरी है कि आखिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस प्रकार के आयोजन की क्या आवश्यक्ता पड़ गई। इसके कुछ कारण हैं। वास्तव में, अयोध्या नगरी की पहचान पूरे विश्व पटल में भगवान श्री राम की जन्मस्थली के रूप में ही है। निश्चित ही अयोध्या में प्रतिवर्ष और पूरे साल भर श्रीराम से संबंधित आयोजनों की श्रृंखला संचालित होती रहना चाहिये, लेकिन अबसे पूर्व ऐसा नहीं था। इस धार्मिक नगरी के साथ आक्रांता बाबर का भी नाम जोड़ दिया गया और अनावश्यक रूप से बाबरी मस्जिद का जिक्र जब-तब कर दिया जाता है। इससे इस पवित्र नगरी का महत्व क्षीण होता जाता है।
इस मामले में हमें योगी आदित्यनाथ के पुरुषार्थ, साहस और पहल की मुक्त कंठ से सराहना करना होगी कि सत्ता संभालने के बहुत कम समय में ही उन्होंने अयोध्या में दीपावली पर्व विराट स्तर पर मनाने जैसे बड़े आयोजन का बीड़ा उठाया और उसे साकार भी कर दिखाया। कहना न होगा कि दीप पर्व के दूसरे दिन यानी रूप चतुर्दशी के दिन हुए इस आयोजन पर सुबह से देश भर की निगाहें थीं। विभिन्न सूचना-संचार माध्यमों से जनता को पूरे कार्यक्रम की जानकारी लगातार मिलती रही। उत्तर प्रदेश की सरकारी मशीनरी ने भी इस महती आयोजन में श्रेष्ठ क्रियान्वयन कर दिखाया।
पूरे अयोध्या नगर में सुबह से दीपावली पर्व को लेकर उत्साह था। महिलाएं सड़कों पर रंगोली बना रही थीं, पुरुष स्वागत द्वार की सजावट में रत थे। नगर के एक कॉलेज से श्रीराम के जीवन प्रसंग पर आधारित झांकियां निकाली गईं जिन्होंने मन मोह लिया। श्रीराम, लक्ष्मण एवं सीता जी का रूप धरे कलाकारों को लेकर पुष्पक विमान के रूप में हेलीकॉप्टर शाम 4 बजे रामकथा पार्क पर उतरा। यहां मुख्यमंत्री योगी ने स्वयं राम, लक्ष्मण एवं सीता का आरती उतारकर स्वागत किया। इस दौरान आकाश से पुष्पवर्षा भी हुई। शंखनाद और मंत्रोच्चार के बीच पूरा वातावरण पावन हो गया।
शाम के समय सरयू के तट पर लाखों की संख्या में दीये जलाए गए और पूरा दृश्य दैदीप्यमान हो उठा। नगर की धर्मप्राण जनता को संबोधित करते हुए योगी ने स्पष्ट संकेत दिया कि अयोध्या के लोगों का सपना पूरा किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि रामराज्य की जो अवधारणा त्रेतायुग में थी, उसी के निहितार्थ को वर्तमान युग में लागू करते हुए समाज के लोगों को लाभान्वित किया जाएगा। योगी ने पूर्ववर्ती सरकारों को आड़े हाथों भी लिया और कहा कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने राक्षसी शक्तियों का नाश किया था, उसी प्रकार वर्तमान संदर्भ में प्रदेश में व्याप्त बुराइयों जैसे परिवारवाद, जातिवाद का विनाश हो चुका है।
इससे पहले योगी ने 133 करोड़ रुपए की विकास योजनाओं का शिलान्यास भी किया और अयोध्या नगरी को विकास के पथ पर अग्रसर करने की दिशा में मुहर लगाई। राम कथा पार्क में आयोजित की गई रामलीला में इंडोनेशिया के कलाकारों ने अभिनय प्रस्तुत किया। इस प्रकार यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयोजन बन पड़ा।
इस प्रकार खास थी अयोध्या की यह दीपावली
स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बार अयोध्या में भव्य दीपावली मनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद ही अधिकारीगण स्थल निरीक्षण पर पहुंचे थे। उन्होंने संतों, महंतों से क्रमवार विमर्श किया और आयोजन की रूपरेखा रखी। योजना में नगर के प्रमुख देवस्थलों एवं सरयू के घाटों को सजाना शामिल किया गया था। प्रत्येक मंदिर का शिखर रोशनी से नहाया। राम की पैड़ी, कनक भवन, हनुमानगढ़ी जैसे प्रमुख मंदिरों पर आकर्षक विद्युत सज्जा की गई। मिट्टी के बनाए गए दीपकों का प्रमुख रूप से इस्तेमाल किया गया। यह आयोजन अपने आप में अनूठा आयोजन बनकर उभरा।
सरयू के तट पर बना दीयों का नया कीर्तिमान
इस विराट दीपोत्सव में सरयू नदी के तट पर नया कीर्तिमान कायम किया गया। यहां 1 लाख 87 हजार दीये प्रज्जवलित किए गए। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स के आधिकारिक दल ने स्वयं यहां रहकर पूरे आयोजन का मुआयना किया। दल ने ड्रोन कैमरों से दीयों की संख्या, प्रज्जवलन और संसाधनों की उपलब्धता की लगातार जांच की। इसके बाद इस नए कीर्तिमान का बुक में दर्ज होना लगभग तय हो गया है।
ऐसा आयोजन समय की मांग
अयोध्या की विराट दीपावली वास्तविकता में समय की मांग थी। लंबे समय से यहां ऐसे किसी आयोजन की आवश्यक्ता महसूस की जा रही थी जो कि देश सहित दुनिया को हिंदू धर्म एवं धार्मिक आख्यानों की श्रेष्ठता का संदेश दे। पूर्ववर्ती शासन के समय यह नगर सांप्रदायिक ताकतों के हवाले कर दिया गया था, जहां केवल दंगा फसाद ही सुनने, देखने में आता था। निश्चित ही योगी आदित्यनाथ को इसका श्रेय दिया जाना चाहिये कि उन्होंने इतना भव्य और सुंदर आयोजन करके सृजनात्मकता का भी संदेश दिया और संकेत स्पष्ट किया कि धार्मिक स्वतंत्रता वाले इस देश में किसी भी कीमत पर धार्मिक मूल्यों का हनन नहीं होने दिया जाएगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)