बीते अक्टूबर में भूमि विकास कार्यालय द्वारा कांग्रेस के स्वामित्व वाली एसोसिएट जर्नल्स को लीज समाप्ति के चलते नवम्बर में हेराल्ड हाउस खाली करने का नोटिस भेजा गया था। इस नोटिस के खिलाफ एजेएल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए कहा था कि हेराल्ड हाउस में अखबार, वेबसाइट आदि चल रही हैं, इसलिए इसकी लीज कैसे ख़त्म की जा सकती है? दिल्ली उच्च न्यायालय ने अब इस याचिका को खारिज करते हुए अपने फैसले में कांग्रेस के लिए कई कई टिप्पणियाँ की हैं।
गत 21 तारीख को नेशनल हेराल्ड मामले में एसोसिएट जर्नल्स लिमटेड (एजेएल) की तरफ से दायर याचिका पर आए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल बीते अक्टूबर में भूमि विकास कार्यालय द्वारा कांग्रेस के स्वामित्व वाली एसोसिएट जर्नल्स को लीज समाप्ति के चलते नवम्बर में हेराल्ड हाउस खाली करने का नोटिस भेजा गया था।
इस नोटिस के खिलाफ एजेएल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए कहा था कि हेराल्ड हाउस में अखबार, वेबसाइट आदि चल रही हैं, इसलिए इसकी लीज कैसे ख़त्म की जा सकती है? दिल्ली उच्च न्यायालय ने अब इस याचिका को खारिज करते हुए अपने फैसले में कांग्रेस के लिए कई कई टिप्पणियाँ की हैं।
अदालत की टिप्पणियों की चर्चा से पूर्व एकबार इस पूरे मामले पर नजर डालें तो एजेएल की स्थापना पं नेहरू द्वारा आजादी से पूर्व की गयी थी, जिसके तहत हिंदी में नवजीवन, उर्दू कौमी आवाज़ और अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन होता था। आजादी के बाद भी यह सब चलते रहे। लेकिन 2008 में घाटे और 90 करोड़ का कर्ज चढ़ जाने के कारण एजेएल ने पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद करने का निर्णय लिया।
इस कर्ज की भरपाई के लिए कांग्रेस ने यंग इंडियन नाम की एक गैर-लाभकारी कंपनी का गठन किया जिसमें 76 प्रतिशत का शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास था। इस तरह कांग्रेस ने यंग इंडिया कंपनी को नब्बे करोड़ रुपये दिए जिससे इस कंपनी ने एसोसिएट जर्नल को खरीद लिया।
आयकर अधिनियम के मुताबिक़ कोई राजनीतिक पार्टी किसी भी तीसरे पक्ष के साथ इस तरह की लेन-देन नहीं कर सकती। भाजपा नेता एवं वकील सुब्रमणियम स्वामी इस प्रक्रिया में कई तरह की गड़बड़ियों और घोटालों का आरोप कांग्रेस पर लगाते रहे हैं। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें सोनिया गांधी और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जमानत पर हैं।
अब दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर आएं तो यंग इंडियन द्वारा एसोसिएट जर्नल को ख़रीदे जाने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने कहा है कि यंग इंडियन ने एजेएल को हाईजैक कर लिया था। ऐसे ही एजेएल की याचिका के इस कथन कि इस मामले में नेहरू की विरासत को बदनाम करने की कोशिश हो रही है, पर न्यायालय ने कहा है कि यह कोई समझ नहीं पा रहा है कि कैसे पंडित नेहरू की विरासत को नष्ट या बदनाम किया गया है? अदालत ने यह भी माना कि एजेएल की खरीद की प्रक्रिया संदिग्ध है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद अब अगले दो सप्ताह में एजेएल को हेराल्ड हाउस खाली करना पड़ेगा। जाहिर है, इस फैसले ने नेशनल हेराल्ड मामले में पहले से ही सवालों के घेरे में रही कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। देखना दिलचस्प होगा कि अब कांग्रेस की तरफ से क्या रुख अपनाया जाता है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)