नोटबंदी : काला धन और नकली नोटों के कारोबार पर जोरदार चोट

मोदी सरकार के एकाएक पांच सौ और एक हजार के नोट बंद करने के ऐतिहासिक फैसले ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। जहां एक ओर आम जनों द्वारा इसे काले धन पर अंकुश लगाने के लिए पीएम मोदी का की सर्जिकल स्ट्राइक माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अधिकांश विपक्षी राजनीतिक दल सरकार के इस साहसिक फैसले पर राजनीति करते हुए नजर आ रहे हैं। केंद्र से चीख-चीखकर काले धन के मसले पर सवाल पूछने वाले विपक्षी दल आज इस फैसले का स्वागत करने के बजाय इस पर राजनीतिक रोटियां सेंकने की फ़िराक में लगे  नज़र आ रहे हैं। फिर चाहे वह कांग्रेस हो, आप हो, बसपा हो या फिर समाजवादी पार्टी। इन दलों को इस बेहतरीन निर्णय में खुलकर सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए था, क्योंकि यह देशहित से जुड़ा महत्वपूर्ण फैसला है। लेकिन, इस फैसले को विपक्षी राजनीतिक दल अपने-अपने फायदे के अनुसार ही देखने में लगे हैं। यूपी में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वहां की कई पार्टियां सकते में आ गई हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने केंद्र के इस फैसले से नाराजगी जताते हुए कहा, ‘मोदी सरकार ने देश में आपातकाल की स्थिति पैदा कर दी है। यह आर्थिक नजरबंदी है, जिसमें केवल जेल में नहीं डाला जा रहा है। बाकी सब किया जा रहा है।’ राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बसपा की सुप्रीमो मायावती ने बड़े नोटों को बैन करने को आर्थिक इमरजेंसी करार दिया। मायावती ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह फैसला देश हित का नहीं, बल्कि लोगों को तकलीफ देकर आनंदित होने का है। इस फैसले से चारों ओर त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। शायद ये पार्टियां कांग्रेस राज के दौरान लगने वाले 21 महीने के आपातकाल को भूल गई हैं। इसलिए नासमझी में इस निर्णय को आपातकाल से जोड़कर देख रही हैं। अगर इन्हें इंदिरा सरकार का आपातकाल याद होता तो शायद इस देशहित के फैसले की उससे तुलना करने की नादानी नहीं करते।  

नोटबंदी के इस फैसले का पहला असर तो यह होगा कि जाली नोट बेमतलब हो जाएंगे और उनके जरिये देश की अर्थव्यवस्था को खोखला करने के मंसूबे भी धराशायी हो जाएंगे। वहीं दूसरी ओर काले धन की एक बड़ी मात्रा भी पड़ी-पड़ी बेकार हो जाएगी, क्योंकि निर्धारित समय में बहुत ज्यादा नोट बदलना आसान नहीं होगा। आम और इमानदार लोग तो बड़े आराम से अपने नोट बदल लेंगे, लेकिन जिन्होंने अवैध ढंग से पैसा जमा करके रखा होगा, उनकी शामत आनी तय है। इन सब बातों को देखते हुए स्पष्ट है कि सरकार ने ये कदम पूरी तरह से सोच-समझकर और इसके दूरगामी परिणामों पर विचार करके उठाया है, अतः इसका हर तरह से स्वागत ही होना चाहिए।

वहीं कांग्रेस और आप भी अपने हित के लिए इस मामले को भुनाती हुई नजर आईं। ‘आप’ पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी के कंधोंं पर बंदूक रखते हुए कहा है कि केंद्र ने यह सब करके केवल और केवल जनता को परेशान करने के लिए किया है। यह नई योजना ब्लैक मनी वालों को परेशान करने के लिए नहीं है, बल्कि आम आदमी को परेशान करने के लिए है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी के इस फैसले को पहेली करार देते हुए कहा कि इससे केवल आम आदमी की चिंता बढ़ी है, यह कम होने वाली नहीं है। अब राहुल गाँधी को याद दिलाया जाना चाहिए कि उनकी पार्टी जब सत्ता में थी, तब काले धन पर सर्वोच्च न्यायालय के अनेकों बार कहने के बावजूद एक अदद एसआईटी तक गठित नहीं कर सकी। ऐसे में, आज जब मोदी सरकार द्वारा काले धन की रोकथाम के लिए इतना महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है तो वे इसपर किस मुंह से सवाल उठा रहे हैं ? खैर, इन विपक्षी पार्टियों द्वारा आम आदमी को जरिया बनाकर केवल इस मामले पर अपनी राजनीतिक स्वार्थपूर्ति करने की कोशिश की जा रही है, अन्यथा सरकार का ये निर्णय देश में मौजूद काले धन को ख़त्म कर हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला है। अब सरकार सिर्फ नोट वापस नहीं ले रही, बल्कि वह पांच सौ और दो हजार के नए नोट भी दे रही है, जो पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित होंगे।

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मोदी सरकार यह फैसला लेने के बाद से ही हर प्रकार से जनता के साथ खड़ी दिखाई दे रही है। लोगों को नए नोट मुहैया कराए जा रहे हैं। उन्हें नोटों से संबंधित पल-पल की जानकारी दी जा रही है। सरकार हर पल साथ दिख रही है कि जनता को कोई परेशानी न हो। अब काले धन पर नकेल कसना केवल सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि आम जनता का भी इसमें दायित्व है। देश में भ्रष्टाचार, जाली नोटों का कारोबार, आतंकवाद और काला धन जैसी समस्याएं आज फन फैलाएँ खड़ी हो गई हैं, जो देश के विकास में रोड़ा बन रही हैं। इन समस्याओं पर लगाम लगाने की दिशा में सरकार ये अत्यंत साहसिक निर्णय है। अपनी इस पहल से मोदी सरकार ने साबित कर दिया है कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए वह कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के नेटवर्क के जरिए नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारत में जाली नोट भेजे जा रहे हैं। जाली नोट का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के अलावा आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए भी होता है। ऐसी चुनौतियों के बीच एक चौंकाने वाला कठोर कदम समय की जरूरत बन गया था। इस फैसले का पहला असर तो यह होगा कि जाली नोट बेमतलब हो जाएंगे और उनके जरिये देश की अर्थव्यवस्था को खोखला करने के मंसूबे भी धराशायी हो जाएंगे। वहीं दूसरी ओर काले धन की एक बड़ी मात्रा भी पड़ी-पड़ी बेकार हो जाएगी, क्योंकि निर्धारित समय में किसी के लिए बहुत ज्यादा नोट बदलना आसान नहीं होगा। आम और इमानदार लोग तो बड़े आराम से अपने नोट बदल लेंगे, लेकिन जिन्होंने अवैध ढंग से पैसा जमा करके रखा होगा, उनकी शामत आनी तय है। इस निर्णय के बाद लोग ज्यादा से ज्यादा कार्ड से या ऑनलाइन पेमेंट करेंगे, जिससे खरीद-बिक्री पर टैक्स नहीं छुपाया जा सकेगा। इस तरह इकॉनमी में भी पारदर्शिता आएगी, जिसके दीर्घकालिक असर होंगे। इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर में आने वाला काला धन भी रुकेगा, जिससे प्रॉपर्टी की कीमतें कम होंगी और हर गरीब को रहने के लिए एक छत मिल सकेगी। इन सब बातों को देखते हुए स्पष्ट है कि सरकार ने ये कदम पूरी तरह से सोच-समझकर और इसके दूरगामी परिणामों पर विचार करके उठाया है, अतः इसका हर तरह से स्वागत ही होना चाहिए।

(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)