नोटबंदी की वजह से बैंकों में काफी बड़ी मात्रा में डिपोजिट आया है। इसका फायदा बैंकों ने आम आदमी को सस्ते कर्ज के तौर पर दिया है। ये इसी से साबित होता है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल हाउसिंग दरों में 3 फीसदी तक कमी आई है। पिछले साल ये दरें जहां 10.5 से लेकर 12 फीसदी तक थीं, अब ये 8 से 9 फीसदी तक आ गई हैं। इसका फायदा महंगाई दर घटने के रूप में भी मिला। नवंबर, 2016 में महंगाई दर 3.63 फीसदी थी, वह जुलाई 2017 में घटकर 2.36 फीसदी पर आ गई। नोटबंदी जैसे ऐतिहासिक और सार्थक कदम के कारण आने वाले समय में देश कई आर्थिक ऊंचाइयों को छुएगा और एक पारदर्शी तथा भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की स्थापना करने में कामयाब होगा।
आज से एक वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिये एक सार्थक पहल नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 व 1000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। नोटबंदी, देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत ही अच्छा और सराहनीय कदम था। इससे आने वाले समय में देश में सुख और समृद्धि ही आएगी। विपक्ष नोटबंदी के फैसले का भले विरोध करता रहा हो, पर शुरूआती परेशानियों के बावजूद देश की जनता ने इस फैसले का स्वागत किया है।
प्रधानमंत्री के इस कदम को देश ही नहीं, दुनिया भर में सराहनीय माना गया है। दुनिया की कई वितीय संस्थानों और शक्तिशाली देशो ने माना है कि इसे महत्वपूर्ण और साहसिक निर्णय कहा है। वर्ल्ड बैंक, फीच, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई एम एफ), गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक, यूरोपीय संघ (ई यू), भारतीय उधोग परिसंघ (सीआईआई), यूएसआईबीसी आदि विमुद्रीकरण के फैसले की सराहाना भी कर चुके हैं और यह भी कहा है कि भारत, भविष्य में एक शक्तिशाली अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा। नेता, अभिनेता, बुद्धिजीवी और समाजसेवियों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बड़े नोटबंदी के फैसले को सही ठहराते हुए उन्हें एक क्रांतिकारी नेता बताया है।
नोटबंदी के बाद संदिग्ध रही 2.24 लाख फर्जी कंपनियों को बंद कर दिया गया है। इन कंपनियों में पिछले दो साल से कोई काम काज नहीं हो रहा था। साथ ही 3.09 लाख डायरेक्टर्स को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। करीब 56 बैंकों से 35000 कंपनियों की जानकारी मिली है। इन कंपनियों के 58000 बैंक खाते हैं। नोटबंदी के बाद इन खातों में 17,000 करोड़ रुपए जमा किए और निकाले गए हैं। एक कंपनी के बैंक एकाउंट में 8 नवंबर 2016 को नेगेटिव बैलेंस था। नोटबंदी के बाद इस खाते में 2,484 करोड़ रुपए जमा किए और निकाले गए। कागजी कंपनियों के न सिर्फ बैंक खातों बल्कि चल-अचल संपत्ति की बिक्री पर भी सरकार ने रोक लगा दी है।
सरकार की सख्ती न सिर्फ कंपनियों बल्कि डमी डायरेक्टर्स पर भी है। डमी डायरेक्टर्स पर नकेल कसने के लिए सरकार डीन (DIN) एप्लिकेशन के समय ही पैन और आधार जोड़ सकती है। डिजिटल पेमेंट में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 55 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। आने वाले वर्षों में भी इस ट्रेंड के बने रहने की उम्मीद है। यह संकेत देता है कि भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में क्रांति की ओर बढ़ रहा है। नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
नोटबंदी की वजह से बैंकों में काफी बड़ी मात्रा में डिपोजिट आया है। इसका फायदा बैंकों ने आम आदमी को सस्ते कर्ज के तौर पर दिया है। ये इसी से साबित होता है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल हाउसिंग दरों में 3 फीसदी तक कमी आई है। पिछले साल ये दरें जहां 10.5 से लेकर 12 फीसदी तक थीं, अब ये 8 से 9 फीसदी तक आ गई हैं। इसका फायदा महंगाई दर घटने के रूप में भी मिला। नवंबर, 2016 में महंगाई दर 3.63 फीसदी थी, वह जुलाई 2017 में घटकर 2.36 फीसदी पर आ गई। नोटबंदी जैसे ऐतिहासिक और सार्थक कदम के कारण आने वाले समय में देश कई आर्थिक ऊंचाइयों को छुएगा और एक पारदर्शी तथा भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की स्थापना करने में कामयाब होगा।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)