प्रयागराज : कुम्भ से प्रवाहित हुई विकास की धारा

कुम्भ में हुई योगी सरकार की कैबिनेट बैठक अनेक अर्थों में महत्वपूर्ण रही। एक तो यह प्रयागराज कुम्भ में सम्पन्न हुई। दूसरा यह कि इसमें विकास और संस्कृति दोनों का ध्यान रखा गया। सड़कों के जाल बिछाने का निर्णय लिया गया, इससे विकास होगा। इन्हें प्रयागराज से जोड़ा जाएगा, यह कुम्भ पर सरकार की सौगात है।

कुंभ का ऐतिहासिक महत्व विश्व प्रसिद्ध है। इस प्रकार का आयोजन अन्यत्र कहीं भी नहीं होता है। यह उचित है कि प्रत्येक सरकारें अपने स्तर पर इसके निर्बाध आयोजन का प्रयास करती रही हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इसे यहीं तक  सीमित नहीं रखा। उसने अपने को भावनात्मक रूप से भी कुम्भ से जोड़ा है। यह अंतर तैयारियों में भी दिखाई दिया।

पूरे मेला क्षेत्र और आवागमन के मार्गो पर भव्यता देखी जा सकती है। मुख्यमंत्री अनेक बार प्रयागराज गए, सभी तैयारियों को स्वयं देखा। उनके निर्देश पर अनेक प्रकार के सुधार किए गए। तैयारियों का प्रारंभ ही हिन्दू जनभावना के अनुरूप था। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया गया। सरकार के प्रयासों से पहली बार किले में हनुमान जी और सरस्वती कूप  के दर्शन की व्यवस्था की गई। यह कार्य पहले भी हो सकते थे। लेकिन इसके लिए अपेक्षित इच्छाशक्ति का अभाव था।

फोटो साभार : Navoday Times

इतना ही  नहीं योगी ने अपनी कैबिनेट की बैठक प्रयागराज में करके बड़ा सन्देश दिया है। सामान्यतः सरकार के प्रवक्ता, मंत्रीगण बैठक के निर्णयों की जानकारी मीडिया को देते हैं। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री और उनके दोनों उपमुख्यमंत्रियों ने यह जिम्मेदारी संभाली। कैबिनेट बैठक में विकास और संस्कृति का सामंजस्य था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की यहां पर सम्पन्न कैबिनेट बैठक का केंद्र बिंदु प्रयागराज ही था। प्रयागराज की  कनेक्टिविटी के लिए गंगा एक्सप्रेस वे प्रस्तावित किया गया है। फोर लेन वाला यह एक्सप्रेस वे विश्व का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा। यह पश्चिमी यूपी को प्रयागराज से जोड़ेगा। छह सौ  किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस वे मेरठ से प्रयागराज तक बनेगा। यह एक्सप्रेसवे मेरठ, अमरोहा, बुलंदशहर, बदायूं, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज आएगा। यह एक्सप्रेस वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को प्रयागराज से जोड़ेगा।

योगी ने कहा कि अनेक कारणों से इस बार का प्रयागराज कुंभ अनोखा है। पिछले कुंभ की तुलना में काफी कुछ बदल गया है। उन्होंने कहा कि हमारे पास समय कम था, फिर भी निर्मल, अविरल गंगा का रूप प्रधानमंत्री की ही दूरदर्शिता का प्रमाण है।पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के गोरखपुर लिंक को भी योगी कैबिनेट ने सहमति दी है। इक्यानवे  किलोमीटर के इस के लिंक पर साढ़े पांच करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसका काम तेज गति से चल रहा है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को भी सहमति प्रदान की गई है। यह 296 किलोमीटर लम्बा एक्सप्रेस वे है। इसके निर्माण पर साढ़े आठ हजार करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च होंगे।

प्रयागराज में महर्षि भारद्वाज की  प्रतिमा की स्थापना उपरांत पार्क का सौंदर्यीकरण किया गया है। यहां पर सरकार अब महर्षि भारद्वाज आश्रम का भी भव्य सौंदर्यीकरण कराएगी। प्रयागराज से चित्रकूट के बीच पहाड़ी में महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा और रामायण शोध संस्थान बनाने का फैसला लिया गया है। यहां पर महर्षि  वाल्मिकी की प्रतिमा  लगेगी।

स्पष्ट है कि प्रयागराज में कैबिनेट की बैठक ने आधुनिक युग के इतिहास में नया अध्याय जोड़ा है। कन्नौज के महाराजा हर्षवर्धन कुम्भ अवधि में अपनी सरकार यहीं से चलाते थे। तब यातायात के ऐसे साधन नहीं थे। योगी आदित्यनाथ ने जनभावनाओं के अनुरूप कार्य किया है।

यह कैबिनेट बैठक अनेक अर्थों में महत्वपूर्ण रही। एक तो यह प्रयागराज कुम्भ में सम्पन्न हुई। दूसरा यह कि इसमें विकास और संस्कृति दोनों का ध्यान रखा गया। सड़कों के जाल बिछाने का निर्णय लिया गया, इससे विकास होगा। इन्हें प्रयागराज से जोड़ा जाएगा, यह कुम्भ पर सरकार की सौगात है।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)