मोबाईल डाउनलोड की जरा धीमी रफ्तार पर मोदी सरकार की आलोचना करने वाले लोग केरल के एर्नाकुलम रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध फ्री वाई-फाई सुविधा के जरिए केरल लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करने वाले श्रीनाथ का नाम भी नहीं लेते हैं। शहरों में फ्री वाईफाई हॉट स्पाट गरीब, मध्यवर्गीय युवाओं की आकांक्षाओं को किस तरह नई उड़ान दे रहे हैं, इसका जिक्र भी मोदी विरोधी नहीं करते हैं।
गांवों में शहरी सुविधा मुहैया कराने वाली सैकड़ों योजनाएं शुरू हुईं लेकिन वे योजनाकारों के वातानुकूलित कमरों से आगे निकलकर गांव की पगडंडी तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देती थीं। इसी तरह की एक योजना थी भारत नेट जिसके तहत देश भर की ग्राम पंचायतों को हाई स्पीड ब्राड ब्रैंड इंटरनेट से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। दुर्भाग्यवश 2011 में शुरू हुई यह योजना अपने उद्देश्य को पाने में विफल रही।
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को ई गवर्नेंस, ई-हेल्थ, ई-एजुकेशन, ई-बैंकिंग, इंटरनेट जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में डिजिटल इंडिया योजना की शुरूआत की जिसका उद्देश्य हर स्तर पर कागज रहित प्रक्रिया को अपनाना ताकि बिचौलियों की समानांतर सत्ता खत्म हो जाए। इसके तहत 31 दिसंबर, 2017 तक एक लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ दिया गया।
2019 तक देश की सभी पंचायतों को हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ देने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इस योजना के क्रियान्वयन में हो रही तेज प्रगति को देखते हुए अब इस लक्ष्य को दिसंबर, 2018 तक ही हासिल कर लिया जाएगा। डिजिटल क्रांति को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने अक्टूबर, 2017 में प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान शुरू किया। इसके तहत अब तक पचपन लाख लोगों को डिजिटल प्रौद्योगिकी के बारे में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इससे डिजिटल क्रांति के प्रसार को बढ़ावा मिल रहा है।
मोदी सरकार डिजिटल इंडिया को सूचना प्रौद्योगिकी का बहुआयामी हथियार बना रही है। यही कारण है कि डिजिटल इंडिया के पूरी तरह लागू होने से पहले ही इसके लाभ मिलने लगे हैं। देश भर में तीन लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए लोगों को सैकड़ों जीवनोपयोगी सुविधाएं जैसे वोटर कार्ड, पासपोर्ट, छात्रवृत्ति, बिजली, आधार, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट, मनी ट्रांसफर, रेल रिजर्वेशन, पेंशन, बीमा, बैंकिंग, जमीन जायदाद संबंधी दस्तावेज, मोबाइल रिचार्ज जैसी सुविधाएं समीप में मिल रही हैं, वह भी बिना किसी रिश्वतखोरी के।
इतना ही नहीं, कॉमन सर्विस सेंटर रोजगार और उद्यमशीलता को नए आयाम दे रहे हैं। ये केंद्र शहरों के ही नहीं, ग्रामीण व कस्बाई इलाकों के छोटे कारोबारियों को सभी तरह की ऑनलाइन प्रक्रियाओं से रूबरू करा रहे हैं। सरकार ने 300 से अधिक प्रक्रियाओं की सेवाओं को कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है।
मोदी सरकार की डिजिटल क्रांति का ही नतीजा है कि तेज रफ्तार वाला इंटरनेट, 4 जी स्मार्ट फोन और कमोबेश हरेक विषय पर डिजिटल सामग्री अब बेहद कम दामों पर सबके लिए सुलभ है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सेल फोन बाजार भारत में है। इन्हीं सुविधाओं का लाभ उठाकर समाज के कमजोर वर्ग अपने को सशक्त बना रहे हैं।
यहां केरल के एर्नाकुलम रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले श्रीनाथ की कामयाबी का उल्लेख प्रासंगिक है। श्रीनाथ ने रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध मुफ्त वाईफाई का इस्तेमाल करके केरल लोक सेवा आयेाग की लिखित परीक्षा की तैयारी की और वह परीक्षा में कामयाब भी रहे। समस्या यह है कि ये उपलब्धियां मोदी विरोधियों को दिखाई नहीं देतीं।
अब मोदी सरकार देश के स्वास्थ्य ढांचे को डिजिटल रूप देने जा रही है। स्वास्थ्य क्षेत्र की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना को कामयाब बनाने के लिए सरकार आधार संख्या आधारित नेशनल हेल्थ स्टैक (एनएचएस) बना रही है। इससे सेहत संबंधी राष्ट्रीय डिजिटल बुनियादी ढांचा बनेगा जिसे केंद्र व राज्य सरकारों के साथ साझा किया जाएगा जिसका इस्तेमाल सरकारी व निजी स्वास्थ्य क्षेत्र में किया जाएगा।
इस स्टैक से हेल्थकेयर सॉल्यूशंस आधारित तकनीक तैयार करने को बढ़ावा मिलेगा। इसमें स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले अस्पतालों, लाभार्थियों, चिकित्सकों और बीमाकर्ताओं सहित स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी हितधारकों के आंकड़े दर्ज होंगे। इसी आधार पर सरकार आगे चलकर पोषण प्रबंधन, बीमारियों पर निगरानी, आपातकालीन प्रबंधन और यहां तक कि हेल्थ कॉल सेंटर बनाएगी।
समग्रत: मोदी सरकार जिस डिजिटल क्रांति को अमलीजामा पहना रही है, उससे आम जनता को तो राहत मिल रही है, लेकिन बिचौलियों, भ्रष्टाचारियों की दुकाने बंद होती जा रही हैं। यही बिचौलिए, भ्रष्टाचारी और उनके राजनीतिक सहयोगी डिजिटल क्रांति के बढ़ते कारवां से परेशान हैं।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)