असल में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सबसे अधिक समस्या पाकिस्तान को हुई है क्योंकि वह उस क्षेत्र में अब अपना एजेंडा नहीं चला पा रहा है। ऐसे में 370 वापस लगाए जाने का सर्वाधिक फायदा पाकिस्तान को ही होगा। और पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाने का काम कांग्रेस 2014 के बाद से लगातार करती आ रही है। यही कांग्रेस का मूल चेहरा व चरित्र है।
इन दिनों कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह फिर से चर्चाओं में हैं। हमेशा की तरह इस बार भी वे विवादास्पद कारणों से चर्चा बने हैं। हाल ही में उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस दोबारा सत्ता में आती है तो कश्मीर में अनुच्छेद 370 को फिर से लाया जा सकता है। जाहिर है इस मामले को तूल पकड़ना ही था। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए हुए करीब दो साल होने आए हैं। तब से लेकर यह विषय चर्चाओं में रहा है। लेकिन यदि अब जाकर ऐसा कोई बयान सामने आया है कि 370 को दोबारा लगाया जा सकता है तो यह गौरतलब है।
ऐसा बयान यदि कोई छुटभैया नेता देता तो ठीक था लेकिन यह बात कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने कही है। वे दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के कई शीर्ष पदों पर रहे हैं। उनकी गिनती आज भी कोर टीम में होती है। ऐसे में उनकी कही गई बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
वास्तव में अनुच्छेद 370 को वापस लाने का यह कथन कांग्रेस के असल चरित्र को जाहिर करता है। इस अनुच्छेद को कांग्रेस ने ही देश पर जबरिया थोपा था और जब भाजपा सरकार ने 2019 में इस वर्षों पुरानी गलती को दुरुस्त किया तो अब कांग्रेस तिलमिला रही है।
यहां इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिये कि दिग्विजय ने यह बात कहां और किनके बीच कही। उन्होंने जिस क्लब हाउस चैट में यह बात कही, वहां उस समय पाकिस्तान के पत्रकार भी मौजूद थे। यानी यह पूरी तरह से प्रायोजित कार्यक्रम और बयानबाजी भी हो सकती है। लेकिन दिग्विजय सिंह के इस बयान ने एक बार फिर कांग्रेस का असली चेहरा उजागर कर दिया है। कांग्रेस नेता का, शत्रु राष्ट्र को खुश करने वाला बयान देना कांग्रेस की पाकिस्तान परस्ती का ताजा उदाहरण बन गया है।
हालांकि इस प्रकार के विवादित बयान दिग्विजय के लिए नई बात नहीं है। वे केवल सुर्खियों में बने रहने के लिए भी उलजलूल बयान देने के लिए कुख्यात हैं। अक्सर वे उटपटांग बयान देते हैं और पूरी कांग्रेस की छिछालेदर कर देते हैं। उनके ताजा बयान के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है।
चूंकि दिग्विजय सिंह कांग्रेस के बड़े नेता हैं, ऐसे में उनके गड़बड़ बयान पर कांग्रेस को अपना रूख स्पष्ट करना चाहिये था। लेकिन कांग्रेस चुप्पी साधे बैठी है। इसका क्या अर्थ निकाला जाए। क्या पूरी कांग्रेस भी यही चाहती है कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 दोबारा लगा दिया जाए। क्या कांग्रेस यह चाहती है कि कश्मीर को वापस दशकों पुराने पिछड़ेपन की गर्त में फिर से धकेल दिया जाए।
अगस्त, 2019 में जब से भाजपा सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया है, तब से वहां आमूल चूल बदलाव आया है। यह बदलाव अधोसरंचनात्मक और सकारात्मक है। अब वहां आतंकी घटनाएं नहीं होतीं, आतंक के शिविर नहीं चलते। लद्दाख को जब से केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल किया गया है, वहां पर विकास दिखाई देने लगा है।
कश्मीर की बड़ी आबादी अब विकास की मुख्य धारा से सीधे जुड़ गई है। वहां के शासकीय कर्मचारियों को भी सरकार ने सातवें वेतनमान का लाभ दिया है। जब वहां सब कुछ ठीक हो रहा है तो भला कांग्रेस को देश के विकास से ऐसी क्या अड़चन हो रही है कि उसके नेता इस तरह का बयान दे रहे।
असल में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सबसे अधिक समस्या पाकिस्तान को हुई है क्योंकि वह उस क्षेत्र में अब अपना एजेंडा नहीं चला पा रहा है। ऐसे में 370 वापस लगाए जाने का सर्वाधिक फायदा पाकिस्तान को ही होगा। और पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाने का काम कांग्रेस 2014 के बाद से लगातार करती आ रही है। यही कांग्रेस का मूल चेहरा व चरित्र है।
दिग्विजय सिंह के मुंह से गलती से सच तो निकल गया लेकिन इसका जवाब सोनिया गांधी, राहुल गांधी को पूरे देश के सामने देना चाहिये। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनका चुप रहना इसी मंसूबे में लिप्त होना साबित कर देगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)