भारत में वित्त वर्ष 2022-23 के जून-अगस्त 2022 की अवधि के दौरान यात्रा और पर्यटन उद्योग में रोजगार के नए अवसरों में 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। मासिक आधार पर रोजगार के नए अवसरों में 8 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज हुई है। यह सब केंद्र सरकार द्वारा पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समय समय पर लिए गए निर्णयों के चलते ही सम्भव हो पाया है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड जैसे राज्यों का योगदान इसमें बहुत अधिक रहा है। वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, आदि जैसे धार्मिक शहरों में तो पर्यटकों की संख्या में अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है।
अभी हाल ही में जारी की गई सीधी नियुक्ति मंच हायरेक्ट की ‘जॉब इंडेक्स रिपोर्ट’ के अनुसार, जून 2022 से अगस्त 2022 के तीन महीनों के दौरान टूर एंड ट्रेवल उद्योग में नए रोजगार के अवसरों में जोरदार तेजी देखी गई है, जो भारत के लिए रोजगार की दृष्टि से बहुत अच्छा संकेत माना जा सकता है। दरअसल कोविड महामारी के दौर का असर कम होने के बाद अन्य उद्योगों के साथ ही पर्यटन उद्योग भी अब तेजी से वापिस पटरी पर आ गया है।
भारत में वित्त वर्ष 2022-23 के जून-अगस्त 2022 की अवधि के दौरान यात्रा और पर्यटन उद्योग में रोजगार के नए अवसरों में 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। मासिक आधार पर रोजगार के नए अवसरों में 8 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज हुई है। यह सब केंद्र सरकार द्वारा पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समय समय पर लिए गए निर्णयों के चलते ही सम्भव हो पाया है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड जैसे राज्यों का योगदान इसमें बहुत अधिक रहा है। वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, आदि जैसे धार्मिक शहरों में तो पर्यटकों की संख्या में अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है।
पर्यटन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश राज्य लगातार आगे बढ़ रहा है। केवल वाराणसी की ही चर्चा की जाय तो वाराणसी में पर्यटन के क्षेत्र में केवल चार वर्षों में 10 गुना से अधिक की वृद्धि देखी गई है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद से पर्यटकों की संख्या में बड़ा उछाल आया है। धार्मिक आयोजनों के इतर वाराणसी शहर में वाटर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके अंतर्गत चार क्रूज संचालित किए जा रहे हैं।
देव दीपावली के साथ ही गंगा आरती, पंचकोसी यात्रा, अंतरग्रही परिक्रमा, घाटों का सुंदरीकरण, सारनाथ का विकास, गलियों का कायाकल्प भी पर्यटकों को बहुत लुभा रहा है। भारत में प्राचीन समय से धार्मिक स्थलों की यात्रा, पर्यटन उद्योग में, एक विशेष स्थान रखती है। एक अनुमान के अनुसार, देश के पर्यटन में धार्मिक यात्राओं की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहती है।
साथ ही, अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से वाराणसी को न केवल आस्था के केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है बल्कि इस प्रकार की व्यवस्थाएं भी खड़ी की जा रही हैं कि यहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजित किए जा सकें। वाराणसी में शीघ्र ही एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का इनडोर स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में 95 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
इस भव्य इनडोर स्टेडियम में बैडमिंटन, हैंडबॉल, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, टेबल टेनिस, वेटलिफ्टिंग, स्क्वैश, कॉम्बैट जैसे 20 से अधिक इनडोर खेल खेलने की सुविधा होगी। यह मल्टी-लेवल, मल्टी-स्पोर्ट्स इनडोर स्टेडियम, पैरा स्पोर्ट्स के मानकों को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है।
दरअसल पर्यटन एक ऐसा उद्योग है जिसमें कम निवेश से रोजगार के अधिक से अधिक अवसर निर्मित किए जा सकते हैं। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा किए गए एक आकलन के अनुसार पर्यटन पर प्रति 10 लाख रुपए के निवेश पर 47.5 रोजगार के नए अवसर प्रतिपादित होते हैं जबकि कृषि एवं विनिर्माण के क्षेत्र में इसी निवेश की राशि से क्रमशः 44.7 एवं 12.6 रोज़गार के अवसर प्रतिपादित होते हैं।
एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2017-18 में देश में 8.11 करोड़ लोगों को पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा था, जो कि देश में कुल रोजगार के अवसरों का 12.38 प्रतिशत था। इस उद्योग में रोजगार एवं विदेशी मुद्रा अर्जन की असीम सम्भावनाएं मौजूद हैं। यात्रा एवं पर्यटन क्षेत्र, वर्तमान में भारत का तीसरा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा अर्जन करने वाला क्षेत्र है। साथ ही, देश के सकल घरेलू उत्पाद में भी इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
पर्यटन उद्योग में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का समावेश रहता है। यथा, अतिथि सत्कार, परिवहन, यात्रा इंतजाम, होटेल आदि। इस क्षेत्र में व्यापारियों, शिल्पकारों, दस्तकारों, संगीतकारों, कलाकारों, होटेल, वेटर, कूली, परिवहन एवं टूर आपरेटर आदि को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
दिनांक 4 सितम्बर 2019 को वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्व यात्रा पर्यटन प्रतियोगी सूची में भारत की रैंकिंग वर्ष 2017 के 40वें स्थान से ऊपर उठकर वर्ष 2019 में 34वें स्थान पर आ गई है। यह रैंकिंग वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम द्वारा प्रत्येक 2 वर्ष में एक बार जारी की जाती है। वर्ष 2015 में जारी की गई सूची में भारत की रैंकिंग 52वें स्थान पर थी।
इस प्रकार 2015-19 के बीच 4 वर्षों के दौरान भारत ने इस रैंकिंग में 18 स्थानों की छलांग लगाई है। एशियाई देशों में निम्न मध्य-आय श्रेणी के देशों में केवल भारत ही एक ऐसा देश है जो इस सूची में प्रथम 35 स्थानों के अंदर अपनी जगह बना पाया है। अन्यथा, इस सूची में विकसित एवं मध्य आय श्रेणी के देशों का ही वर्चस्व है।
ऐतिहासिक महत्व के कई स्थान एवं बौध, इस्लाम, सिख एवं हिन्दू धर्म के कई धार्मिक स्थलों को विकसित कर विदेशी पर्यटकों को देश में आकर्षित किया जा सकता है। भारत सरकार द्वारा देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई उपाय किए जा रहे हैं।
इनमे मुख्य हैं, स्वदेशी दर्शन योजना के अन्तर्गत 13 थिमेटिक सर्कट्स का विकास किया जाना, मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मेडिकल वीजा आसानी से जारी किया जाना, इनक्रेडिबल इंडिया अभियान-2 को प्रारम्भ किया जाना, सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्व में सबसे लम्बी 182 मीटर की स्टैचू की स्थापना किया जाना तथा होटेल एवं पर्यटन के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 100 प्रतिशत किया जाना, आदि शामिल हैं। भारतीय पर्यटन उद्योग में 87 प्रतिशत हिस्सा देशी पर्यटन का है जबकि शेष केवल 13 प्रतिशत हिस्सा ही विदेशी पर्यटन का है।
मोदी सरकार के साथ साथ हम नागरिकों का भी कुछ कर्तव्य है कि देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हम भी कुछ कार्य करें। जैसे प्रत्येक नागरिक, देश में ही, एक वर्ष में कम से कम दो देशी पर्यटन स्थलों का दौरा अवश्य करे। विदेशों से आ रहे पर्यटकों के आदर सत्कार में कोई कमी न रखें ताकि वे अपने देश में जाकर भारत के सत्कार का गुणगान कर सकें। आज करोड़ों की संख्या में भारतीय, विदेशों में रह रहे हैं। यदि प्रत्येक भारतीय यह प्रण करे कि प्रतिवर्ष कम से कम 5 विदेशी पर्यटकों को भारत भ्रमण हेतु प्रेरणा देगा तो एक अनुमान के अनुसार विदेशी पर्यटकों की संख्या को एक वर्ष के अंदर ही दुगना किया जा सकता है।
(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)