पीयूष द्विवेदी
विगत दिनों भारत दौरे पर आए विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महान नेता बताते हुए कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत बदल रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी न केवल बड़े लक्ष्य निर्धारित करते हैं, बल्कि एक निश्चित समय सीमा तक उसे पूरा करने का माद्दा भी रखते हैं। जिम योंग किम ने यह भी स्वीकार किया कि मोदी के नेतृत्व में भारत बदलने लगा है और विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर हो रहा है। साथ ही उन्होंने सरकार की स्मार्ट सिटी, नमामि गंगे आदि तमाम महत्वाकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन में आर्थिक सहयोग देने की बात भी कही। गौर करें तो अबसे कुछ समय पहले तक स्थिति यह थी कि भारत को अपनी ज़रूरतों के लिए विश्व बैंक तथा दुनिया के अन्य धनकुबेर देशों की तरफ याचक की दृष्टि से देखना पड़ता था। अक्सर विश्व बैंक द्वारा भारत की विभिन्न विफलताओं का उल्लेख कर अपनी सहायता के उपयोग को लेकर सवाल उठाए जाते रहते। लेकिन मौजूदा सरकार के आने के बाद से इस स्थिति बड़ा परिवर्तन आया है। अब विश्व बैंक न केवल भारतीय शीर्ष नेतृत्व की सराहना कर रहा है बल्कि बिन मांगे झोली खोलकर सहयोग देने को भी तैयार है। वैसे ये बदलाव किसी जादुई छड़ी से नहीं हुआ है, बल्कि सरकार के सकारात्मक प्रयासों के कारण हुआ है। दरअसल विगत संप्रग सरकार के दौरान केन्द्रीय स्तर पर हुए भारी भ्रष्टाचार, लचर केन्द्रीय नेतृत्व और कमजोर सुरक्षा नीति के फलस्वरूप भारत को लेकर दुनिया में अत्यंत निराशा और उदासीनता का वातावरण पैदा हो गया था, जिसे नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली मौजूदा राजग सरकार ने अपनी रचनात्मक योजनाओं व कार्यक्रमों के द्वारा समाप्त कर दुनिया भर में भारत के प्रति एक नई आशा और मजबूत विश्वास जगाने का काम किया है।
और इसमे सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अथक विदेश यात्राओं का है। इन यात्राओं के द्वारा उन्होंने विदेशों में न केवल भारत के स्वर्णिम अतीत से विश्व को पुनः परिचित कराया है, बल्कि वर्तमान भारत में मौजूद वैश्विक नेतृत्व की संभावनाओं से भी दुनिया का साक्षात्कार कराने का काम किया है। यही कारण है कि अब दुनिया भारत को पूरी गंभीरता से लेते हुए उसकी तरफ एक उम्मीद की नज़र से देखने लगी है और आज अमेरिका से लेकर दुनिया के तमाम महाशक्ति देश भारतीय हितों के हर मोर्चे पर भारत के पक्ष में खड़े दीखते हैं। जिस विश्व बैंक के समक्ष भारत कभी याचक हुआ करता था, वो अब भारत की बिन मांगे सहयोग देने को तैयार है। कह सकते हैं कि आज भारत, काफी हद तक दुनिया की उम्मीदों का भारत बन चुका है। देश के आम आदमी समेत बाकी दुनिया को यह उम्मीदों का भारत दिख रहा है, मगर देश के कुछेक प्रज्ञाचक्षुओं को अब भी देश में केवल निराशा ही नज़र आ रही है। दरअसल अब उनकी लूट-खसोट का राज ख़त्म हो चुका है, इसलिए उनके लिए निराशा का माहौल जरूर है। उनकी ये निराशा बनी रहे क्योंकि ऐसे लोगों की नाखुशी में ही देश का भला है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)