ई-शासन: मोदी सरकार में बढ़ा पारदर्शिता, सुगमता और संवाद का अवसर

शिवानन्द द्विवेदी
किसी भी सरकार अथवा शासकीय व्यवस्था की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाता है कि वह अपने कार्यों में पारदर्शिता, आम जन के लिहाज से सुगमता और जनता से संवाद स्थापित करने की दिशा में किस ढंग से प्रयास कर रही है। शासकीय तंत्र की कार्यप्रणाली में लोकतांत्रिक मूल्यों के स्थायित्व के लिए पारदर्शिता, सुगमता और जनसंवाद, तीनों का स्थापन एक अनिवार्य शर्त की तरह है। इन तीनों तत्वों के बिना विशुद्ध लोकतान्त्रिक शासकीय प्रणाली के वास्तविक स्वरुप को स्थापित नहीं किया जा सकता है। संक्षिप्त में अगर इन तीनों बिन्दुओं को समझने का प्रयास करें तो पारदर्शिता से आशय यह है कि सरकार द्वारा लागू की जाने वाली योजनाओं एवं किये जा रहे कार्यों से प्रति आम जनता को न सिर्फ अवगत कराना बल्कि सार्वजनिक स्तर पर उस योजना से संबंधित हर आंकड़े आदि को सार्वजनिक करना है। कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए यह जरुरी है कि सरकार की योजनाओं आदि के संबंध में जारी प्रमाणिक तथ्यों अथवा सूचनाओं को सुगमता से हासिल किया जा सकें। लिहाजा, सुगमता और पारदर्शिता दोनों ही परस्पर संबधित तत्व हैं। अब अगर बात जनसंवाद की करें तो शासकीय कार्यप्रणाली में जनसंवाद का होना बेहद अनिवार्य है। जनता से जुड़कर, उनसे बात करके और फिर उनकी जरूरतों के अनरूप शासन तभी काम कर सकता है जब वो जनसंवाद को शासकीय व्यवस्था में प्राथमिकता दे। हालांकि पारदर्शिता को शासकीय व्यवस्था में स्थापित करने के लिए अलग-अलग कालखंडों में अलग-अलग ढंग से प्रयास होते रहे हैं।

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वर्ष २००५ में लागू सूचना का अधिकार क़ानून को भी इसका एक उदाहरण माना जा सकता है। लेकिन पारदर्शिता को स्थापित करने के लिए लागू सूचना का अधिकार क़ानून इतना सुगम नहीं बन पाया कि इसका उपयोग आमजन भी सहजता से कर पाता। पिछले एक दशक में सूचना और संचार के माध्यम जब आधुनिक एवं तकनीक सम्पन्न हुए हैं ऐसे में शासकीय कार्यप्रणाली में ई-गवर्नेंस का महत्व बढ़ गया है। अब सूचनाओं को प्राप्त करने अथवा उपलब्ध कराने के लिए तकनीक का उपयोग कारगर साबित हो रहा है। दस वर्ष पहले १८ मई २००६ को शुरू की गयी इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रद्योगिकी विभाग, प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा राष्ट्रीय ई-शासन योजना शुरू की गयी। ई-शासन के तहत सरकारी स्तर पर की गयी यह कोई पहली शुरुआत कही जा सकती है। इसके तहत कुल 27 मिशन मोड परियोजनाओं को रखा गया। हालांकि आज एक दशक बाद वर्तमान की केंद्र सरकार ने डिजिटल इण्डिया को प्राथमिकता देते हुए शासकीय कार्यों को भी ई-गवर्नंस’ के तहत संचालित करने की दिशा में बड़ा काम किया है। सरकार के लगभग सभी मंत्रालय ऑनलाइन सूचनाएं उपलब्ध कराने की दिशा में काफी हद तक आगे बढ़ चुके हैं।

ई-शासन और पारदर्शिता
ई-शासन में पारदर्शिता स्थापित होने की संभावना इसलिए अत्यधिक होती है क्योंकि यह सर्व-सुलभ है। ई-शासन के तहत पारदर्शी ढंग से काम कर रहे केंद्र सरकार के कुछ मंत्रालयों द्वारा किये गए कार्यों को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। वर्तमान सरकार ने तमाम वेब-पोर्टल्स एवं ‘एप्स’ के माध्यम से अपनी योजनाओं एवं कार्यों को सार्वजनिक करने की दिशा में बड़ा प्रयास किया है। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा विद्युतीकरण के कार्यों को पारदर्शी बनाने के लिए एक वेब पोर्टल(http://garv.gov.in/) एवं ‘GARV’ नाम से एक मोबाइल एप जारी किया गया है। इस वेब-पोर्टल अथवा मोबाइल एप से कोई भी व्यक्ति राज्यवार, जिलेवार, पंचायतवार सहजता से यह विवरण प्राप्त कर सकता है कि किसी क्षेत्र-विशेष विद्युतीकरण का कार्य कितना हुआ है, अथवा कितना शेष बचा है। इस वेब पोर्टल के माध्यम से न सिर्फ कार्य का ब्यौरा प्राप्त किया जा सकता है बल्कि कार्य-प्रगति संबंधी समस्त जानकारी भी हासिल की जा सकती है। इस माध्यम में कार्य की प्रगति से जुड़े अधिकारी से संबंधित सम्पर्क जानकारी भी सार्वजनिक की गयी है। चूँकि सार्वजनिक स्तर पर विद्युतीकरण से जुडी योजनाओं के सार्वजनिक होने की वजह से लापरवाही आदि की संभवाना बहुत कम रहती है और कार्य से जुड़े पड़ताल की जानकारी हासिल करना बेहद आसान होता है। अगर कहीं से कोई गलत जानकारी सरकार को किसी निचले स्तर के अधिकारी द्वारा दी जाती है तो उस जानकारी को क्रॉस-चेक करना किसी के लिए भी बेहद आसान हो गया है। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत विद्युतीकरण की दिशा में पारदर्शी ढंग से काम करते हुए मई २०१८ तक १८००० उन गांवों हजार गांवों तक बिजली पहुंचाने का संकल्प लिया गया है जहाँ अभी तक बिजली नहीं पहुँच सकी है। पीआईबी पर उपलब्ध ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक़ अप्रैल २०१६ तक ७,४४५ गांवों तक बिजली पहुंचाने का कार्य पूरा किया जा चुका है। विद्युत् मंत्रालय की वेबसाईट के अनुसार बिजली की उत्पादन क्षमता में २२,५०६ मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई है तो वहीँ ६५,५५४ मेगा वोल्ट एमप. की बढ़ोत्तरी सब-स्टेशन की संख्या में हुई है। २२,१०० सर्किट किलोमीटर विद्युत् लाइनों पर काम पूरा हो चुका है। हालांकि ई-शासन के तहत विद्युतीकरण से जुड़े कार्यों में अलग-अलग स्तर पर अलग वेब-पोर्टल्स उपलब्ध हैं, जहाँ से संबंधित जानकारियों को सहजता से हासिल किया जा सकता है। 
                 राष्ट्रीय ई-शासन के तहत अन्य क्षेत्रों में भी व्यापक स्तर पर काम पारदर्शी ढंग से चल रहा है। ई-टेंडर एवं ई-आक्शन को एक बेहतरीन उदाहरण माना जा सकता है। चूँकि पिछले कुछ वर्षों में कोल आवंटन में सार्वजनिक हुई गडबडियों पर नियंत्रण करने एवं ठेकों और नीलामी की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा ई-आक्शन एवं ई-टेंडर को बढ़ावा दिया जा रहा है। नीलामी की प्रक्रिया को पूर्णतया ऑनलाइन एवं पारदर्शी बनाने के लिए eauction.gov.in/eAuction/app वेब पोर्टल कार्य कर रहा है। सरकार का प्रयास लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना है कि वे ऑफलाइन नीलामी की बजाय ऑनलाइन नीलामी की प्रक्रिया को तरजीह दें। ई-आक्शन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें सबकुछ वेबपोर्टल पर पारदर्शी ढंग से सार्वजनिक होता है और आवेदन से लगाये नीलामी की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। कुछ इसी प्रकार सरकार द्वारा कोयला ब्लाक आवंटन के लिए ई-आक्शन की नीति केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गयी है, जो काफी पारदर्शी ढंग से काम करती नजर आ रही है। ई-आक्शन की तरह ही ई-टेंडर एवं ई-खरीद की प्रक्रिया को भी प्राथमिकता के साथ शुरू कर दिया गया है। केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय द्वारा ई-टेंडर प्रक्रिया को बेहद कारगर ढंग से लागू किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रलाय से संबधी सभी कार्यों को ई-टेंडर के तहत किया जा रहा है और इसके लिए एक वेबपोर्टल(https://morth.eproc.in/ProductMORTH/publicDash) समर्पित किया गया है। इस वेबपोर्टल पर सभी नए टेंडर्स, चल रहे टेंडर्स एवं पूरा हो चुके टेंडर्स की जानकारी उपलब्ध है। हाल में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बताया गया है कि वर्ष 2015-16 में 6000 किमी राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य सरकार ने पूरा किया है। सरकार द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तकनीक की आधुनिक प्रणालियों को सड़क निर्माण कार्य में इस्तेमाल करके यह लक्ष्य हासिल किया है। हालांकि मंत्रालय ने आगामी वर्ष 2016-17 के लिए सड़क परियोजनाओं में दोगुने से ज्यादा तेजी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। चूँकि पहले सड़क निर्माण की टेंडर प्रक्रिया बेहद जटिल एवं अपारदर्शी होती थी, लिहाजा प्रगति की रफ्तार का सुस्त होना स्वाभाविक था। अब चूँकि ई-टेंडर के माध्यम से यह पूरी प्रक्रिया तेज तो हुई ही है, साथ ही पारदर्शी भी हुई है लिहाजा काम तेजी से चल रहा है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार सरकार द्वारा प्रतिदिन 18 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य हासिल किया जा चुका है, जिसे 30 किलोमीटर प्रतिदिन तक हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें कोई शक नहीं कि ई-शासन की प्रणाली मजबूत होने की वजह से शासकीय कार्यों में तेजी तो आई ही है, साथ में पारदर्शी ढंग से कार्य भी हो रहा है।

ई-शासन में जनसंवाद और सुगमता
लोक और तंत्र के बीच संवाद का सुगम होना लोकतंत्र को मजबूत बनाने में बड़ा कारक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम के तहत ‘Write To PM’ विकल्प के जरिये जनसंवाद का एक अभूतपूर्व मंच उपलब्ध कराया है। भारत जैसे एक विशाल लोकतांत्रिक देश के लिए यह प्रधानमंत्री से संवाद का यह ऑनलाइन विकल्प अभूतपूर्व इस लिहाज से भी कहा जा सकता है क्योंकि भारत के आमजन की अवधारणा में यह कल्पना की भी बात नहीं थी कि वे प्रधानमंत्री को सीधा पत्र लिखेंगे और उसपर त्वरित कार्रवाई होगी। इसके लिए बाकायदे एक वेब माध्यम(http://pmindia.gov.in/en/interact-with-honble-pm/) तैयार किया गया है। इस वेब माध्यम से कोई भी आम अथवा ख़ास व्यक्ति प्रधानमंत्री को समस्या, शिकायत अथवा सुझाव से जुड़े पत्र लिख सकता है। इस पत्र को लिखते ही प्रेषक को एक पंजीकरण नम्बर प्रधानमंत्री कार्यालय से ऑनलाइन प्राप्त होता है। उस पंजीकरण नम्बर के माध्यम से पत्र लिखने वाला व्यक्ति द्वारा http://pgportal.gov.in/viewstatus.aspx पर जाकर अपने शिकायत, सुझाव अथवा समस्या पर हुई कार्रवाई अथवा प्रगति की सटीक एवं आधिकारिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस माध्यम की सबसे अच्छी बात यह है कि यह सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से संबद्ध है एवं वहीँ से पत्र के विषय से जुड़े विभागों एवं मंत्रालयों को हस्तांतरित की जाती है। पत्र प्रेषक को उक्त अधिकारी का संपर्क सूत्र भी उपलब्ध कराया जाता है जिसके अधीन उसका मामला है। कहीं न कहीं प्रधानमंत्री से संवाद का यह विकल्प उस अवधारणा को खंडित करने में मदद कर रहा है, जिसमे आम लोग अक्सर यह मान लेते थे कि उनकी सुनवाई प्रधानमंत्री तक संभव ही नहीं है। इस ऑनलाइन माध्यम की गंभीरता और सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अनेक बार खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्रों का जिक्र किया है जो उन्हें इस ऑनलाइन माध्यम से लिखे गये हैं। आधुनिक तकनीक के माध्यम से स्थापित नवोन्मेषी प्रणाली ने कहीं कहीं पारदर्शिता के साथ शासकीय व्यवस्था में जनसंवाद की संभावना को मजबूत करने का काम किया है। हालांकि इसके अतिरिक्त ‘नरेंद्र मोदी’ मोबाइल एप के माध्यम से भी प्रधानमंत्री जनता से संवाद को प्राथमिकता देते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के अतिरिक्त अन्य मंत्रालयों में भी जन-भागीदारी को तरजीह दी जा रही है। रेल मंत्रालय द्वारा सोशल मीडिया फीडबैक सिस्टम पर ख़ास जोर दिए जाने से सुधारों को नई दिशा मिलती दिख रही है एवं जनता में भी आत्म विश्वास बढ़ता नजर आ रहा है।

ई-शासन और कृषि
कृषि के क्षेत्र को भी ई-शासन के माध्यम से मजबूत करने का कार्य केंद्र सरकार द्वारा तेजी से किया जा रहा है । यह बेशक एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है लेकिन सरकार जिस ढंग कार्य कर रही है उससे यह उम्मीद जताई जा सकती है कि इसका सकारात्मक परिणाम भविष्य में देखने को मिलेगा। सरकार ने http://mkisan.gov.in/hindi/ वेबसाईट के माध्यम से किसानों के हितों से जुडी तमाम जानकारियों को बिना इंटरनेट के भी उनके मोबाइल पर उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया है। इस पोर्टल का लक्ष्य एसएमएस पोर्टल की अवधारणा पर केन्द्रित है जो मोबाइल टेलीफोनी की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए किसानों के बीच उचित समय पर, विशिष्ट एवं समग्र जानकारी पहुँचाने की दिशा में काम कर रहा है। चूँकि गांवों में किसानों के पास अभी इंटरनेट की न तो उपलब्धता है और न ही व्यापक स्तर पर समझ ही बन पाई है, लिहाजा किसानों के हितों से जुड़े इस वेब पोर्टल को मोबाइल संदेश एवं मोबाइल कॉल आधारित बनाया गया है। हालाँकि http://agricoop.nic.in/ एवं http://www.soilhealth.dac.gov.in/ अदि के माध्यम से कृषि क्षेत्र को भी ई-सेवा से जोड़ने का पूरा प्रयास किया गया है।

कहीं न कहीं जब शासकीय तंत्र में जनसंवाद की प्रक्रिया सुगम होगी तो पारदर्शिता में बढ़ोत्तरी होना स्वाभाविक ही है। वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इण्डिया के माध्यम से डिजिटाईजेशन की प्रक्रिया को बहुत तेज रफ़्तार से विस्तार दिया जा रहा है। सरकार का यह प्रयास स्पष्ट तौर पर दिख रहा है कि शासकीय कार्यों से जुड़े सभी क्षेत्रों को पूर्णतया ऑनलाइन करके शासन को जटिल की बजाय आसान बनाया जाय। इस दिशा में सरकार काफी सफलता से आगे बढ़ती दिख रही है। इसमें कोइ शक नहीं कि जब शासकीय कार्यों में जनसंवाद को बढ़ावा मिलता है तो स्वाभाविक रूप से पारदर्शिता स्थापित होती है एवं शासन सुगमता से संचालित होता है। राष्ट्रीय ई-शासन के माध्यम से पारदर्शिता, जनसंवाद एवं सुगमता तीनों ही लक्ष्यों को आसानी से और कम समय में हासिल किया जा सकता है। प्राथमिक स्तर पर इसके लक्षण खुलकर सामने आ चुके हैं। भविष्य में इसके और सुदृढ़ होने की उम्मीद है।