ई-रुपी : ई-गवर्नेंस को मजबूती देने वाला कदम

ई-रुपी की सबसे ख़ास बात इसका ‘पर्सन और पर्पज बेस्ड’ होना है। यानी कि इसे जिस व्यक्ति और जिस काम के लिए जारी किया जाएगा उस व्यक्ति द्वारा उसी काम में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। यदि सरकार ने ई-रुपी के जरिये किसी का इलाज कराने के लिए या पढ़ाई के लिए कोई रकम दी है, तो उसका उपयोग इन्हीं चीजों के लिए किया जा सकेगा। अन्य किसी काम में इसका उपयोग नहीं हो सकता। कहने की जरूरत नहीं कि यह व्यवस्था सरकारी मदद के दुरूपयोग की संभावनाओं को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से शासन में तकनीक का अधिकाधिक समावेश करते हुए ई-गवर्नेंस की अवधारणा को साकार करने पर बल देते रहे हैं। उनका मानना है कि सरकार के कामकाज को जितना अधिक तकनीक से जोड़ा जाएगा, उसतक आम आदमी की पहुँच उतनी ही सहज और सुगम होगी।

प्रधानमंत्री केवल ऐसी बातें ही नहीं करते, अपितु केंद्र सरकार ने इसके लिए कदम भी उठाए हैं। सरकार द्वारा डिजिटल इण्डिया अभियान की शुरुआत की गयी है। उमंग एप के माध्यम से तमाम सरकारी सेवाओं को मोबाइल में उपलब्ध कराया जा चुका है, जिसका लाभ अनेक लोगों तक पहुँच रहा है। 

यहाँ डीबीटी का उदाहरण भी उल्लेखनीय होगा। जनधन खाता, आधार कार्ड और मोबाइल (JAM) के आधार पर काम करने वाली डीबीटी योजना के माध्यम से आज देश में 54 मंत्रालयों के अंतर्गत संचालित 314 योजनाओं का पैसा उनके लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे भेजा जा रहा है। इसके तहत अबतक कुल 17,66,434 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं। 

इस डिजिटल प्रक्रिया ने भ्रष्टाचार पर कड़ी रोक लगाई है, जिसके परिणामस्वरूप अबतक 1,78,396 करोड़ रुपये की बचत भी हुई है। समझा जा सकता है कि शासन में तकनीक के उपयोग से कितना व्यापक परिवर्तन लाया जा सकता है। इसके अलावा कोविड वैक्सीनेशन के लिए संचालित कोविन पोर्टल भी शासन में तकनीक का उपयोग का सबसे ताज़ा उदाहरण है।

इसी क्रम में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बीते 2 अगस्त को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ई-रुपी नामक एक डिजिटल भुगतान प्रणाली की शुरुआत की गयी। यह भुगतान का एक संपर्क और नकदी रहित साधन है। यह एक प्रीपेड वाउचर होगा जो क्यूआर कोड या एसएमएस लिंक के जरिये काम करेगा।

सरकारी संस्थाएं, कॉरपोरेट या कोई भी सेवा प्रायोजक अपने पार्टनर बैंक की मदद से ई-रुपी वाउचर जनरेट कर सकते हैं। इसके बाद सेवा प्रदाता केन्द्र पर लाभार्थी ई-रुपी के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं। सेवा प्रदाता केन्द्र पर क्यूआर कोड या एसएमएस रूप में प्राप्त ई-रुपी वाउचर को स्कैन किया जाएगा, फिर मोबाइल वेरिफिकेशन होगा और वाउचर रिडीम हो जाएगा तथा तुरंत भुगतान हो जाएगा। 

प्रधानमंत्री ने ई-रुपी की शुरुआत करते हुए कहा कि, “ई-रुपी उस साल में शुरू हो रहा है, जब भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। भारत आज दुनिया को दिखा रहा है कि टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट करने में, उससे जुड़ने में वो किसी से भी पीछे नहीं हैं।“ निश्चित रूप से आज देश तकनीक को तेजी से ग्रहण कर रहा है, जिसके पीछे वर्तमान सरकार के प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका है।   

ई-रुपी की सबसे ख़ास बात इसका ‘पर्सन और पर्पज बेस्ड’ होना है। यानी कि इसे जिस व्यक्ति और जिस काम के लिए जारी किया जाएगा उस व्यक्ति द्वारा उसी काम में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। यदि सरकार ने ई-रुपी के जरिये किसी का इलाज कराने के लिए या पढ़ाई के लिए कोई रकम दी है, तो उसका उपयोग इन्हीं चीजों के लिए किया जा सकेगा।

अन्य किसी काम में इसका उपयोग नहीं हो सकता। कहने की जरूरत नहीं कि यह व्यवस्था सरकारी मदद के दुरूपयोग की संभावनाओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। फिलहाल सरकार द्वारा इसका उपयोग स्वास्थ्य से सम्बंधित कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जा रहा है, लेकिन आगे इससे अन्य योजनाओं को भी जोड़ा जा सकता है।  

विचार करें तो ई-रुपी सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार मुक्त वित्तीय प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सिद्ध हो सकती है। इससे सरकार अपनी जितनी योजनाओं को सफलतापूर्वक जोड़ सकेगी उन योजनाओं के क्रियान्वयन में उतनी ही बेहतरी आएगी।

लोगों को आवास, शौचालय आदि के निर्माण के लिए दी जाने वाली सरकारी सहायता में भी ई-रुपी का उपयोग अत्यंत कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि इन निर्माणों के लिए मिली वित्तीय सहायता का लोग अन्य कार्यों में उपयोग कर लेते हैं और योजना अपना लक्ष्य नहीं प्राप्त कर पाती। ऐसे में, आवास-शौचालय में इस्तेमाल होने वाली सामग्री के लिए यदि ई-रूपी जारी कर दिया जाए तो लोग उसका अन्यत्र उपयोग नहीं कर पाएंगे। 

इसी तरह मुद्रा योजना के तहत स्वरोजगार के लिए दिए जाने वाले ऋण में भी यदि किसी प्रकार संभव हो तो ई-रूपी को लागू करने पर विचार किया जा सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ऋण की राशि का स्वरोजगार से सम्बंधित चीजों में ही उपयोग हुआ है। ऐसी और भी अनेक योजनाएं हो सकती हैं, जिनमें ई-रुपी के इस्तेमाल करके पात्र लोगों तक उनका पूरा लाभ पहुँचाया जा सकता है। 

कुल मिलाकर ई-रुपी भुगतान प्रणाली सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की दिशा में क्रांतिकारी पहल सिद्ध हो सकती है। सरकारी योजनाओं में इस भुगतान प्रणाली का प्रयोग जितना अधिक बढ़ेगा, ई-गवर्नेंस की अवधारणा को उतनी ही अधिक मजबूती मिलेगी। 

 (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)