ई-वे बिल सभी तरह के ट्रांसपोर्ट पर लागू होगा और इसकी वैधता दूरी के हिसाब से तय होगी, जिससे कर के दायरे में बढ़ोतरी होगी। ई-वे बिल में माल पर लगने वाले जीएसटी की पूरी जानकारी होगी, जिससे पता लगेगा कि सामान का जीएसटी चुकाया गया है या नहीं। इससे कर की वसूली बढ़ेगी और कर चोरी भी रुकेगी।
इलेक्ट्रॉनिक वे बिल (ई-वे बिल) व्यवस्था फिर से शुरू की गई है। इस बार इस व्यवस्था को पूरी तैयारी के साथ उतारा गया है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की सफलता के लिये इस व्यवस्था का मजबूत होना जरूरी है। इस बार सरकार ने ई-वे बिल के कई नियमों को सरल बनाकर छोटे कारोबारियों को राहत देने की कोशिश की है।
ई-वे बिल से छूट के दायरे को 10 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर किया गया है, जिससे छोटे कारोबारियों को फायदा होगा। ई-कॉमर्स, एफएमसीजी, कूरियर आदि कंपनियों को भी राहत दी गई है। माना जा रहा है कि इस व्यवस्था के आने से उनके पेपर वर्क में कमी आयेगी, जिससे वे समय की बचत कर सकेंगे।
ई-वे बिल व्यवस्था के तहत ट्रांसपोर्टरों को अब बिल ले जाने की जरूरत नहीं होगी। वे मोबाइल फोन में डिजिटल रूप में इस दस्तावेज को दिखा सकेंगे, जिससे उन्हें कागजी कार्रवाई से मुक्ति मिलेगी। वस्तु भेजने के लिये जारी की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक रसीद जेनरेट करने के लिये कामगारों की भर्ती की भी स्वीकृति सरकार ने दी है। सरकार ने ई-वे बिल बनाते वक्त केवल कर योग्य वस्तुओं की आपूर्ति की कीमत को ही मानने की मंजूरी दे दी है। इसका यह अर्थ हुआ कि यदि एक ट्रक पर ऐसी वस्तुएं हैं, जिनमें कुछ पर जीएसटी लगना है और कुछ पर नहीं तो केवल जीएसटी लगने वाली वस्तुओं को ही ई-वे बिल में दर्ज किया जायेगा।
नये नियम के अनुसार ई-वे बिल की वैधता आधी रात तक रहेगी, जो पहले 24 घंटे तक की थी यानी यदि ई-वे बिल 8 अप्रैल को सुबह 8 बजे 100 किलोमीटर के लिए जारी किया गया है तो अप्रैल 9 की आधी रात तक वह वैध रहेगा। इस बिल की वैधता की सीमा को भी तय किया गया है। अगर किसी वस्तु को 100 किलोमीटर तक की दूरी में भेजना है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैध होगा। यदि किसी वस्तु को 100 से 300 किलोमीटर के बीच की दूरी में भेजना होगा तो इसकी वैधता 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर की दूरी होने पर 5 दिन और 500 से 1000 किलोमीटर की दूरी होने पर यह 10 दिन के लिये होगी।
किसी वस्तु को एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर लाने या ले जाने के लिये आपूर्तिकर्ता को ई-वे बिल की जरूरत होगी। जब विक्रेता ई-वे बिल को जीएसटीएन पोर्टल पर अपलोड करेगा तो एक यूनीक ई-वे नंबर (ईबीएन) जेनरेट होगा, जिसकी जरूरत आपूर्तिकर्ता, ट्रांसपोर्ट कंपनी और क्रेता को होगी। उल्लेखनीय है कि आपूर्तिकर्ता को यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन के लिए भी जारी करना जरूरी होगा, जो जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं।
इस बिल में आपूर्तिकर्ता, ट्रांसपोर्ट और क्रेता का विवरण दर्ज करना होगा। अगर किसी वस्तु को एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर भेजने पर और उसकी कीमत 50,000 रूपये से ज्यादा होने पर आपूर्तिकर्ता को संबंधित जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी। ऐसा करने से 50,000 रूपये से कम का कारोबार करने वाले कारोबारियों को जीवनयापन करने में आसानी होगी, जबकि इस राशि या इसके ऊपर की राशि का माल ले जाने वाले कारोबारियों पर यह नियम आरोपित करने से कर दायरे में बढ़ोतरी होगी।
एक ट्रक में कई कंपनियों की वस्तुओं को भेजे जाने पर ट्रांसपोर्टर को एक समेकित बिल बनाना होगा, जिसमें सभी कंपनियों के सामानों का विवरण अलग-अलग दर्ज होगा। इस बिल में यह भी बताना होगा कि विक्रेता वस्तु को किसे बेच रहा है अर्थात क्रेता की जानकारी भी जीएसटीन पोर्टल पर दर्ज करानी होगी। साथ ही, यह भी बताना होगा कि उसने वस्तु को खरीद लिया या फिर खरीदने से मना कर दिया। यह जानकारी मुहैया नहीं कराने पर मान लिया जायेगा कि वस्तु को खरीद लिया गया है। माल ले जाने वाले ट्रक के दुर्घटनाग्रस्त होने पर अमूमन वस्तुओं को दूसरे ट्रक से गंतव्य तक भेजा जाता है। ऐसी स्थिति में दूसरा ई-वे बिल जारी करने की जरूरत होगी।
नये ई-वे बिल से केंद्र और राज्य कर प्राधिकरणों को वस्तुओं की आवाजाही पर नजर रखने में मदद मिलेगी। ई-वे बिल सभी तरह के ट्रांसपोर्ट पर लागू होगा और इसकी वैधता दूरी के हिसाब से तय होगी, जिससे कर के दायरे में बढ़ोतरी होगी। ई-वे बिल में माल पर लगने वाले जीएसटी की पूरी जानकारी होगी, जिससे पता लगेगा कि सामान का जीएसटी चुकाया गया है या नहीं। इससे कर की वसूली बढ़ेगी और कर चोरी भी रुकेगी।
कहा जा सकता है कि विक्रेता और क्रेता के साथ-साथ सभी वस्तुओं का विवरण जीएसटीन पोर्टल पर दर्ज होने से कारोबारियों के लिये कर चोरी करना आसान नहीं होगा। अभी तक कर चोरी के कारण जीएसटी संग्रह में तेजी नहीं आ सकी है। चूँकि, जीएसटी बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसलिए, कर संग्रह में उतार-चढ़ाव का दौर फिलहाल जारी है, लेकिन इस बिल के आ जाने के बाद जीएसटी संग्रह में तेजी आयेगी, इसकी उम्मीद की जा सकती है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)