विदेशी मुद्रा भंडार एक अक्टूबर तक 434.6 अरब डॉलर रहा, जो 31 मार्च 2019 के मुकाबले 21.7 अरब डॉलर अधिक है। यह अर्थव्यवस्था के लिये अच्छा है। इधर, केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय बहुत ही सही समय में किया है। एक तो अभी त्योहारी सीजन है और दूसरा 1 अक्टूबर से अधिकांश बैंकों ने उधारी दरों को रेपो दर से जोड़ दिया है। इससे रेपो दर में कटौती का तुरंत फायदा ग्राहकों को मिलेगा। नीतिगत दर में कटौती के बाद स्टेट बैंक समेत कुछ सरकारी बैंकों ने तत्काल प्रभाव से अपने उधारी दरों में कटौती की भी है। लिहाजा, उम्मीद की जा रही है कि नीतिगत दर में कटौती से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी।
मौद्रिक नीति समिति के 5 सदस्यों ने एकमत से रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की सिफ़ारिश की, जिससे रेपो दर कम होकर 5.15 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2019 में नीतिगत दर में लगातार पाँचवीं बार कटौती की गई है। मौद्रिक नीति समिति ने रिवर्स रेपो दर में भी 25 आधार अंकों की कटौती की है। इस कटौती से यह 5.15 प्रतिशत से घटकर 4.90 प्रतिशत हो गया है। नीतिगत दर में 25 आधार अंकों की कटौती करने से मार्जिनल स्टेंडिग फेसिलिटी (एमसीएफ) और बैंक दर 5.40 प्रतिशत हो गया है।
कुछ अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि मौद्रिक नीति समिति ने कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स इन्फ्लेशन के 4 प्रतिशत के आसपास रहने के आधार पर दरों में कटौती की है। दरअसल सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाना चाहती है। मौद्रिक नीति समिति ने सरकार द्वारा उठाये गये सुधारात्मक कदमों के बारे में कहा कि सरकार के द्वारा उठाये गये कदमों से अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से गति मिलेगी और इससे निजी क्षेत्र में खपत बढ़ेगी तथा घरेलू माँग में तेजी आयेगी। मौद्रिक नीति समिति का मानना है कि कृषि क्षेत्र में सुधार आने से रोजगार के अवसर बढ़ेगें साथ ही साथ किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
रेपो दर में कटौती से आम लोगों को फायदा मिलने की उम्मीद है, क्योंकि स्टेट बैंक समेत अधिकांश बैंकों ने अपने गृह ऋण, वाहन कर्ज एवं अन्य खुदरा कर्जों को रेपो दर से जोड़ दिया है। इसलिये, नीतिगत दर में कटौती से उधारी दरों में कमी आयेगी, जिससे ग्राहकों को कर्ज पर कम ब्याज देना होगा। नीतिगत दर में कटौती के बाद स्टेट बैंक सहित कुछ सरकारी बैंकों ने अपने उधारी दर को कम किया भी है।
रेपो दर में कटौती का सभी क्षेत्रों के कारोबारियों ने स्वागत किया है। रियल एस्टेट कारोबारियों का कहना है कि रिजर्व बैंक के इस कदम से त्योहारी सीजन में उनके कारोबार में बढ़ोतरी होगी। चूँकि, अभी सस्ती दर पर रेडी टू मूव आवास का विकल्प ग्राहकों के पास उपलब्ध है। साथ ही, बजट में सरकार ने 45 लाख रूपये या उससे कम की संपत्तियों पर आवास कर्ज के ब्याज पर कर कटौती सीमा को बढ़ाकर 3.50 लाख रूपये कर दिया है। लिहाजा, दीवाली के मौके पर आमजन रेपो दर में कटौती का फायदा उठा सकते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार एक अक्टूबर तक 434.6 अरब डॉलर रहा, जो 31 मार्च 2019 के मुकाबले 21.7 अरब डॉलर अधिक है। यह अर्थव्यवस्था के लिये अच्छा है। इधर, केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय बहुत ही सही समय में किया है। एक तो अभी त्योहारी सीजन है और दूसरा 1 अक्टूबर से अधिकांश बैंकों ने उधारी दरों को रेपो दर से जोड़ दिया है। इससे रेपो दर में कटौती का तुरंत फायदा ग्राहकों को मिलेगा। नीतिगत दर में कटौती के बाद स्टेट बैंक समेत कुछ सरकारी बैंकों ने तत्काल प्रभाव से अपने उधारी दरों में कटौती की भी है। लिहाजा, उम्मीद की जा रही है कि नीतिगत दर में कटौती से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)