वित्त मंत्री की हालिया घोषणा से शेयर बाजार में रौनक लौट आई है। घोषणा के दिन सेंसेक्स में 1,921.15 अंकों की बढ़त और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के निफ्टी में 500 अंकों की बढ़त देखी गई। यह पिछले दस वर्षों में सर्वाधिक है। माना जा रहा है कि सरकार के इन कदमों से मांग और खपत में बढ़ोतरी होगी तथा अर्थव्यवस्था तेज रफ़्तार पकड़ेगी।
तेईस अगस्त को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये कई उपायों को अमलीजामा पहनाने की घोषणा की थी। इसी क्रम में पुनः 14, 19 और 20 सितंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आवास, निर्यात, एमएसएमई और कॉर्पोरेटस को राहत देने की घोषणा की। आवास क्षेत्र के लिये 20,000 करोड़ रूपये और निर्यात क्षेत्र को मजबूत करने के लिये 50,000 करोड़ रूपये देने, एमएसएमई क्षेत्र को सहज एवं सरल तरीके से कर्ज देने, एनपीए के नियमों में राहत देने, कॉर्पोरेट कर में छूट, कॉर्पोरेटस के अनुकूल आयकर में नये प्रावधान को शामिल करने आदि का ऐलान किया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने आवास वित्त कंपनियों के लिये राष्ट्रीय आवास बैंक के माध्यम से अतिरिक्त 20,000 करोड़ रुपये की नकदी समर्थन देने की घोषणा की है। इस घोषणा से इन कंपनियों के लिये कुल नकदी समर्थन बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये हो जायेगा, जिससे वे सस्ती दर पर आवास ऋण उपलब्ध करा सकेंगे।
बुनियादी क्षेत्र को मजबूत करने की पहल
सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सूची का मसौदा तैयार करने के लिये एक अंतर-मंत्रालयी कार्यबल का गठन किया है, जिसके माध्यम से बुनियादी ढाँचे में 100 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि सुनिश्चित की जा सकेगी। इस आलोक में नया कारोबार शुरू करने, कारोबार की क्षमता बढ़ाने, बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने आदि के लिये इक्विटी और ऋण की जरूरत होगी, जिसकी आपूर्ति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक करेंगे।
आवास क्षेत्र को राहत देने की पहल
मौजूदा समय में देशभर में 5.6 लाख ऐसे आवासीय यूनिट हैं, जिनका निर्माण बीच में अटका हुआ है। ऐसे यूनिटों की कुल कीमत 4.5 लाख करोड़ रूपये है, जिनमें 38 प्रतिशत यूनिट एनसीआर में स्थित हैं और इनकी अनुमानित लागत 1.31 लाख करोड़ रूपये है।
ऐसी स्थिति में सुधार लाने के लिये वित्त मंत्री ने 10,000 करोड़ रूपये का स्ट्रेस फंड बनाने की बात कही है। इसमें लगभग इतनी ही राशि का निवेश भारतीय जीवन बीमा निगम, बैंक, एनबीएफआई आदि कर सकते हैं। इस फंड का निर्माण अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) ट्रस्ट के रूप में किया जायेगा, जिसका संचालन आवासीय और बैंकिंग क्षेत्र के पेशेवर करेंगे।
हालाँकि, इसका फायदा उन्हीं रियल एस्टेट परियोजनाओं को मिल सकेगा, जो न तो गैर निष्पादित आस्ति (एनपीए) हैं और न ही उनका मामला एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण) में चल रहा हो। माना जा रहा है कि इन उपायों से फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी।
निर्यातकों को आर्थिक मदद एवं ऑनलाइन रिफंड की व्यवस्था
निर्यातकों को जनवरी, 2020 से रेमिशन ऑफ ड्यूटी और टैक्स ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट (आरओडीटीईपीटी) के तहत कई प्रकार की आर्थिक मदद दी जायेगी, जिसके लिये सरकार 50,000 करोड़ रूपये खर्च करेगी। नई योजना का लाभ सभी प्रकार की वस्तुओं के निर्यात एवं सेवा निर्यात को मिलेगा। नई योजना विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के मुताबिक होगी, ताकि किसी तरह की परेशानी नहीं आये। सितंबर, 2019 से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का रिफंड ऑनलाइन दिया जायेगा, जिससे निर्यातकों को कुछ हद तक पूँजी की समस्या से मुक्ति मिलेगी।
कर्ज में निर्यातकों को वरीयता
अब बैंक निर्यातकों को कर्ज देने में प्राथमिकता देंगे। निर्यातकों को 36,000 करोड़ से 68,000 करोड़ रूपये कर्ज के रूप में दिये जायेंगे। निर्यात क्षेत्र को दिये जाने वाले कर्ज की स्थिति की निगरानी भारतीय रिजर्व बैंक करेगा और इस संबंध में विस्तृत जानकारी भी वह सरकार के साथ साझा करेगा। इसके लिये एक डैश बोर्ड बनाया जायेगा, ताकि रियल टाइम के आधार पर सूचना का आदान-प्रदान किया जाये।
तीन महीनों में भारतीय बंदरगाह वैश्विक स्तर के होंगे
फिलहाल देश के बंदरगाहों से निर्यात के सामान भेजने में ज्यादा समय लगता है। उदाहरण के तौर पर बोस्टन बंदरगाह पर सामान को भेजने में सिर्फ 0.55 दिन का समय लगता है, जबकि शंघाई में यह समय 0.83 दिन है। वहीं, भारत के कोच्चि से सामान भेजने में 1.10 दिन लगते हैं। इसलिये, सरकार चाहती है कि 3 महीनों के अंदर भारतीय बंदरगाहों को वैश्विक स्तर का बनाया जाये, ताकि निर्यातक समय-सीमा के अंदर निर्यात कर सकें। ऐसा होने से ही निर्यातकों का निर्यात चक्र समय पर पूरा होगा, जिससे उनके मुनाफे में इजाफा होगा।
मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा
भारत ने कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) किया है, लेकिन इसका अपेक्षित फायदा नहीं मिल पा रहा है। अस्तु, अब वाणिज्य मंत्रालय, एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के साथ मिलकर एफटीए की समीक्षा करेगा तथा निर्यातकों को एफटीए से फायदा दिलाने के लिये उनके बीच जन-जागरूकता अभियान चलाया जायेगा।
हैंडीक्राफ्ट्स के ई–निर्यात को बढ़ावा
हैंडीक्राफ्ट्स के ई-निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक शिल्पकारों को निर्यात के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके लिये, शिल्पकारों को ई-प्लेटफार्म पर पंजीकृत किया जायेगा। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल इस काम में हैंडीक्राफ्ट्स निर्यातकों की मदद करेगा।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों को बढ़ावा
केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए कुछ और उपायों की घोषणा की है। इसके बरक्स बैंकों को कहा गया है कि वे अगले साल 31 मार्च तक छोटे और मझोले उद्यमियों के ऐसे किसी खाते को गैर निष्पादित आस्ति (एनपीए) घोषित न करें, जिन्हें कर्ज चुकाने में परेशानी हो रही है।
सरकार ने बैंकों से यह भी कहा कि वे ऐसे उद्यमों के कर्ज के पुनर्गठन की संभावना तलाशने की भी कोशिश करें। वित्त मंत्री ने कहा कि छोटे और मझोले उद्योगों के दबाव वाले ऋण खातों के एनपीए नहीं घोषित करने के संबंध में प्रावधान रिजर्व बैंक के परिपत्र में पहले से ही है।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि कर्जदाताओं को ऋण मुहैया कराने के लिये सरकारी बैंक 2 चरणों में बैठक करेंगे। पहला चरण 200 जिलों में 24 सितंबर और 29 सितंबर के बीच शुरू होगा, जबकि दूसरा चरण दूसरे 200 जिलों में 10 और 15 अक्टूबर के बीच शुरू होगा। इसके लिये बैंक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों एवं अन्य वित्तीय कंपनियों की मदद भी लेंगे।इस बैठक में किसान और आवास ऋण लेने वाले कर्जदाता भी शामिल होंगे। इन बैठकों के दौरान खुदरा, कृषि और छोटे उद्यमों के साथ-साथ आवास क्षेत्र से जुड़े लोगों को कर्ज देने पर चर्चा की जायेगी।
कॉर्पोरेट कर में कमी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 सितंबर को कॉर्पोरेट कर की दरों में बड़ी कमी करने की घोषणा की। सीतारमण ने नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर की दर तय की है। वित्त मंत्री के इस ऐलान से भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे कम कॉर्पोरेट कर वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है।
इस तरह नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के लिये कर की प्रभावी दर 17.01 प्रतिशत होगी। वित्त मंत्री की हालिया घोषणा से शेयर बाजार में रौनक लौट आई है। घोषणा के दिन सेंसेक्स में 1,921.15 अंकों की बढ़त और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के निफ्टी में 500 अंकों की बढ़त देखी गई। यह पिछले दस वर्षों में सर्वाधिक है। माना जा रहा है कि सरकार के इन कदमों से मांग और खपत में बढ़ोतरी होगी तथा अर्थव्यवस्था सुस्ती छोड़ एक तेज रफ़्तार पकड़ेगी।