हाल ही में शेयर बाजार में उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की गई है। के वी सुब्रमण्यम के मुताबिक घरेलू शेयर बाजार में बढ़त आना अर्थव्यवस्था के लिये अच्छा संकेत है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि कोरोना महामारी में भी निवेशकों का भरोसा बरकरार है। तीन जून को सेंसेक्स 382 पॉइंट चढ़कर रिकॉर्ड 52,232 पर और निफ्टी 15,690 पर बंद हुआ है। बाजार की बढ़त का मुख्य कारण देश में कोरोना वायरस का घटता संक्रमण दर और केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दरों को यथावत रखना है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 4 जून को किये गये मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रखा है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 4.00 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर को 4।25 प्रतिशत और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर बरक़रार रखा है।
हालाँकि, एमपीसी ने यह आश्वासन दिया है कि जरुरत पड़ने पर वह नीतिगत दरों में आगामी महीनों में कटौती कर सकता है। उल्लेखनीय है कि एमपीसी ने अप्रैल 2021 में किये गये मौद्रिक समीक्षा में भी नातिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। यह लगातार छठा ऐसा मौका है, जब रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है। वर्ष 2020 से अब तक रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में 1.50 बेसिस पॉइंट से ज्यादा की कटौती की है।
एमपीसी के अनुसार इस समय कारोबारियों को आर्थिक मदद मुहैया कराने की जरूरत है। कारोबारियों की आर्थिक मदद करने पर ही वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही के दौरान विकास की गति को वर्तमान में फिर से हासिल किया जा सकता है। केंद्रीय बैंक का जोर विकास दर में तेजी लाने और मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाये रखने का है। इसलिये, केंद्रीय बैंक विकास दर में तेजी लाने और महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिये निरंतर प्रयास कर रहा है।
अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए 17 जून को 40 हजार करोड़ रुपए की सरकारी प्रतिभूतियां रिजर्व बैंक खरीदेगा, जबकि दूसरी तिमाही में 1.20 लाख करोड़ रुपए की सरकारी प्रतिभूतियां रिजर्व बैंक द्वारा खरीदी जायेगी, वहीं केंद्रीय बैंक 10,000 करोड़ रुपये का राज्य विकास ऋण या राज्यों द्वारा जारी बॉन्ड खरीदेगा।
रिजर्व बैंक के अनुसार आगामी सप्ताहों में विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के स्तर को छू सकता है। विदेशी मुद्रा का भंडार वर्ष 2020 के प्रारंभ से 135 अरब डॉलर से अधिक बढ़ चुका है। गौरतलब है कि अधिक विदेशी मुद्रा भंडार से रूपये की कीमत को डॉलर के मुकाबले स्थिर रखने में मदद मिलती है। साथ ही, इससे जरुरत के सामानों को आयात करने में भी आसानी होती है।
रिजर्व बैंक के अनुसार कोरोना वायरस की दूसरी लहर को देखते हुए आतिथ्य उद्योग क्षेत्र के लिए विशेष ऋण खिड़की खोली जायेगी। इस योजना के तहत ट्रैवल एजेंट, टूर ऑपरेटर, एडवेंचर-हैरिटेज से जुड़ी सेवाएं देने वाले, विमानन क्षेत्र से जुड़ी ग्राउंड हैंडलिंग और आपूर्ति श्रंखला जैसी सेवाएं देने वाले, निजी बस ऑपरेटर, कार मरम्मत करने वाले व किराए पर कार देने वाले, इवेंट ऑर्गेनाइजर, स्पा क्लीनिक, ब्यूटी पार्लर संचालक आदि ऋण ले सकते हैं। इन्हें रियायती दर पर ऋण देने के लिये बैंक, रिजर्व बैंक से रेपो दर पर उधार ले सकते हैं।
रेपो दर पर उधारी 3 सालों के लिये दिया जायेगा और यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा सिडबी को भी ऋण देने के लिए 16 हजार करोड़ रुपए उपलब्ध कराये जायेंगे, ताकि सूक्ष्म, लघु, मझौले उद्यमों (एमएसएमई) को रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा सके। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सबसे अधिक नुकसान एमएसएमई को ही हुआ है।
आम आदमी की परेशानियों को दूर करने के लिये रिजर्व बैंक ने नेशनल ऑटोमेटिड क्लीयरिंग हाउस (एनएसीएच) को सातों दिन यानी पूरे सप्ताह चालू रखने की घोषणा की है। गौरतलब है कि बड़े पैमाने पर लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये सब्सिडी की राशि अंतरित करने के कारण एनएसीएच प्रणाली बीते सालों में बेहद लोकप्रिय हुआ है। इसकी महत्ता कोरोना महामारी के दौरान और भी बढ़ी है। इसी प्रणाली के जरिये कोरोना काल में किसानों और जरूरतमंद लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाई गई है।
इस नई सुविधा के 1 अगस्त 2021 से शुरू होने के बाद बैंक रविवार और अन्य अवकाश के दिन भी लेनदेन करेंगे। एनएसीएच बड़े पैमाने पर भुगतान करने वाली प्रणाली है, जिसका संचालन नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की मदद से किया जाता है। यह प्रणाली डिविडेंड, ब्याज, वेतन, पेंशन जैसे भुगतान को एक साथ कई खातों में अंतरित करने की सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा, यह बिजली बिल, टेलीफोन बिल, गैस कनेक्शन का बिल, पानी का बिल, ऋण की क़िस्त, म्यूचुअल फंड, बीमा क़िस्त आदि जमा करने की सुविधा उपलब्ध कराता है।
उदाहरण के लिए जब ग्राहक बैंक को इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरेंस सर्विस (ईसीएस) के लिये सहमति देता है तो एनएसीएच के जरिए पैसा खाते से स्वत: डेबिट हो जाता है। इसलिये, अगर किसी ने अपने बैंक खाते से किसी भी तरह की क़िस्त या बिल के स्वतः भुगतान या ईसीएस की सुविधा ले रखी है, तो उन्हें 1 अगस्त से खाते में हमेशा पर्याप्त बैलेंस रखना होगा।
यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो बैलेंस कम होने के कारण भुगतान या स्टेंडिंग इंस्ट्रक्शन फेल हो जायेगा। ज्ञात हो कि मौजूदा प्रणाली के तहत रविवार को पर्याप्त बैलेंस नहीं होने पर ग्राहक सोमवार को अपने खाते में पैसा जमा करते हैं, जिससे किस्त या बिल का भुगतान सोमवार को हो जाता है, लेकिन इस नई सुविधा के शुरू होने के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा।
कोरोना महामारी की वजह से अभी ऋण का उठाव अपने न्यूनतम स्तर पर है। इसी वजह से ऋण का ब्याज दर कम है। बैंक को ऋण ब्याज दर और जमा दर के बीच एक निश्चित स्प्रेड रखना होता है, क्योंकि ऐसा करने से ही बैंक मुनाफा कमा सकते हैं। इस व्यवस्था में ऋण ब्याज दर अधिक होता है और जमा दर कम। ऋण ब्याज दर कम होने की वजह से मौजूदा समय में जमा दर भी अपने न्यूनतम स्तर पर है।
वैसे, ऋण ब्याज दर कम होने का फायदा मकान या फ्लैट खरीदने के इच्छुक लोग ले सकते हैं, क्योंकि अभी रियल एस्टेट की कीमत कम है। सस्ती दर पर ऋण मिलने और फ़्लैट या मकान की कम कीमत होने की वजह से कोरोना काल में मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन (एमएमआर) में 65 प्रतिशत लोगों ने बड़े घर खरीदे हैं, जबकि एनसीआर में 85 प्रतिशत लोगों ने अपना पहला घर खरीदा है।
केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम के अनुसार जुलाई महीने से अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगेगी, क्योंकि कोरोना वायरस की दूसरी लहर की वजह से संक्रमित हो रहे लोगों की संख्या में जून महीने के पहले सप्ताह में उल्लेखनीय कमी आई है। इसी वजह से राज्य लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटा रहे हैं। उम्मीद है कि जुलाई महीने तक टीकाओं की कमी दूर हो जायेगी और टीकाकरण की प्रक्रिया में तेजी आने से आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आयेगी।
आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा के जीडीपी का 9.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो सरकार के पूर्व अनुमान 9.5 प्रतिशत से कम है। इस दौरान जीडीपी 7.3 प्रतिशत रहा, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में जीडीपी 1.6 प्रतिशत रहा था।
हाल ही में शेयर बाजार में उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की गई है। के वी सुब्रमण्यम के मुताबिक घरेलू शेयर बाजार में बढ़त आना अर्थव्यवस्था के लिये अच्छा संकेत है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि कोरोना महामारी में भी निवेशकों का भरोसा बरकरार है। तीन जून को सेंसेक्स 382 पॉइंट चढ़कर रिकॉर्ड 52,232 पर और निफ्टी 15,690 पर बंद हुआ है। बाजार की बढ़त का मुख्य कारण देश में कोरोना वायरस का घटता संक्रमण दर और केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दरों को यथावत रखना है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप धीरे-धीरे कम हो रहा है। आशा है कि जून महीने के अंतिम सप्ताह तक स्थिति नियंत्रण में आ जायेगी। इसलिये, जुलाई महीने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सकती है। अभी ऋण का उठाव कम है। बैंकों की ऋण वृद्धि दर 5 से 6 प्रतिशत के बराबर है, जोकि सामान्य स्थिति में दो अंक से अधिक रहती है। इसलिये, ताजा मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो दर में कटौती करने का कोई औचित्य नहीं था। अगर ऋण के उठाव में तेजी आती है तो सरकार आगामी महीनों में नीतिगत दरों में कटौती कर सकती है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)