रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 10.5 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकता है। दास का मानना है कि अर्थव्यवस्था में सुधार साफ तौर पर दिख रहा है और अगर सुधार की गति मौजूदा रफ़्तार से भी आगे बढ़ती है तो अगले वित्त वर्ष में आर्थिक स्थिति के सामान्य होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रखा है। रेपो दर 4 प्रतिशत पर और रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर बना रहेगा. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने विगत 3 मौद्रिक समीक्षाओं में नीतिगत दरों को यथावत रखा है। रेपो दर 15 सालों के न्यूनतम स्तर पर है। रेपो दर में पिछले साल के फरवरी महीने से अब तक 115 बेसिस पॉइंट की कटौती की जा चुकी है।
हाल के महीनों में डीजल और पेट्रोल की कीमत में भारी उछाल आया है, जिसकी वजह से महंगाई बढ़ने के आसार हैं। चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए उपभोक्ता महंगाई दर (सीपीआई) के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहले 5.8 प्रतिशत था। तालाबंदी को चरणबद्ध तरीके से खोलने के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है, जिससे ऋण की मांग बढ़ने लगी है।
इसलिए, नीतिगत दरों में और भी कटौती करने का फिलहाल कोई औचित्य रिजर्व बैंक ने नहीं महसूस किया। हालांकि, जरूरत पड़ने पर रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में आगामी मौद्रिक समीक्षाओं में कटौती कर सकता है।
मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकारी बॉन्ड खरीदने की इजाजत छोटे निवेशकों को भी दी जायेगी। हालाँकि, छोटे निवेशक सरकारी बॉन्ड की खरीद-फरोख्त रिजर्व बैंक की निगरानी में करेंगे। भारत एशिया का पहला देश होगा, जो छोटे निवेशकों को बॉन्ड खरीदने की इजाजत देगा। वर्तमान में दुनिया के कुछ ही देशों ने छोटे निवेशकों को ऐसी छूट दी है। रिजर्व बैंक के इस कदम से गिल्ट बाजार और डेट बाजार के विस्तार की भी उम्मीद है।
मौद्रिक समिति द्वारा नीतिगत दरों को यथावत रखने से ऋण दरों में या ऋण की किस्तों में कमी नहीं आयेगी। हालाँकि, रिजर्व बैंक द्वारा उठाये गये इस कदम से बैंक जमा दरों में भी कटौती नहीं करेंगे, जिससे बुजुर्ग जमाकर्ताओं, जो अमूमन ब्याज की राशि से अपना जीवनयापन करते हैं, को राहत मिलेगी।
हालाँकि, बैंक अपनी आय में इजाफा करने के लिये ऋण ब्याज दर में बढोतरी कर सकते हैं। ऐसा होने पर जमा ब्याज दर में भी बढोतरी की जा सकती है। आगामी मौद्रिक समीक्षाओं में भी नीतिगत दरों के यथावत रहने से जमा ब्याज दर में बढ़ोतरी भी की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि ऋण और जमा ब्याज दरों में संतुलन बनाये रखने के लिये जब ऋण ब्याज दरों में कटौती की जाती है तो जमा ब्याज दरों में भी कटौती की जाती है। इससे बैंक की देनदारी और लेनदारी के बीच संतुलन बना रहता है।
भुगतान और निपटान प्रणाली को बेहतर, सटीक एवं तेज बनाने के लिये बैंकों की बची हुई 18,000 शाखाओं को भी सितंबर 2021 तक चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) के दायरे में लाया जायेगा, जिससे सीटीएस के तहत भुगतान और जमा का पेपरलेस सत्यापन किया जा सकेगा। सीटीएस का इस्तेमाल वर्ष 2010 से किया जा रहा है और इसके दायरे में 150000 लाख से अधिक बैंक शाखाएँ हैं।
रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी भी जारी करने की योजना बना रहा है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी के अवैध लेनदेन पर लगाम लगाया जा सके। मौजूदा समय में क्रिप्टोकरेंसी गैर-कानूनी डिजिटल लेनदेन का मुख्य स्रोत बना हुआ है। वर्तमान में बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीफसी), प्रीपेड पेमेंट आदि के लिए मौजूद अलग-अलग लोकपाल की जगह एकीकृत लोकपाल की व्यवस्था की जायेगी अर्थात एक देश-एक लोकपाल की संकल्पना देश में लागू की जायेगी।
इसके बरक्स, रिजर्व बैंक जून,2021 में इंटरनेट आधारित लोकपाल योजना लागू करेगा। इस व्यवस्था से आर्थिक विवाद का दायरा कम होगा, जिससे विवाद में फंसी एक बड़ी राशि का इस्तेमाल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में किया जा सकेगा।
एनबीफसी को ज्यादा पूंजी उपलब्ध कराने के लिए उन्हें भी बैंकों की तरह टैप टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (टीएलटीआरओ) से पूंजी हासिल करने की इजाजत रिजर्व बैंक ने दे दी है। कोरोना महामारी के दौर में पूँजी की कमी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने कामथ समिति की सिफ़ारिश के आधार पर 26 सेक्टरों को इस व्यवस्था से पूंजी प्राप्त करने की सुविधा दी है।
रिजर्व बैंक सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमियों (एमएसएमई) को भी ज्यादा पूंजी उपलब्ध कराने के लिए कुछ तकनीकी संशोधन करने वाला है साथ ही साथ जिन एमएसएमई ने पूर्व में बैंकों से कर्ज नहीं लिया है, बैंकों को उन्हें कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने का भी प्रस्ताव है, ताकि किसी भी एमएसएमई को कारोबार को शुरू करने या उसका विस्तार करने में उनके समक्ष पूँजी की कमी बाधा नहीं बने। साथ ही, रिजर्व बैंक माइक्रोफाइनेंस के विस्तार के लिए भी योजना बना रहा है, क्योंकि माइक्रोफाइनेंस के जरिये ही कमजोर तबके को आर्थिक रूप से सबल बनाया जा सकता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 10.5 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकता है। दास का मानना है कि अर्थव्यवस्था में सुधार साफ तौर पर दिख रहा है और अगर सुधार की गति मौजूदा रफ़्तार से भी आगे बढ़ती है तो अगले वित्त वर्ष में आर्थिक स्थिति के सामान्य होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
एक फरवरी को पेश किए गए बजट में भी विकास की गति को तेज करने पर बल दिया गया था और 5 फरवरी को पेश की गई मौद्रिक समीक्षा में भी रिजर्व बैंक ने महँगाई को नियंत्रण में रखते हुए अर्थव्यवस्था को गुलाबी बनाने के लिये अनेक उपाय किये हैं।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)