सबसे ख़ास बात यह है कि ई-रुपी को किसी निश्चित उपयोग के लिए ही जारी किया जा सकेगा और जिस उपयोग के लिए यह जारी होगा इसका उपयोग उसी मद में करना पड़ेगा। यानी कि इसका गलत उपयोग नहीं किया जा सकता।
बीते सोमवार को देश को एक नई सौगात मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नए डिजिटल भुगतान सिस्टम को लॉन्च किया। इसका नाम ई-रूपी है जो कि एक वाउचर अधारित भुगतान प्रणाली है। इसके माध्यम से कैशलेस और कॉन्टैक्टलैस तरीक से डिजिटल भुगतान किया जा सकेगा।
चूंकि तकनीक प्रधान इस युग में नई ईजादें भी तकनीक के आधार पर हो रही हैं और उनका उपभोक्ता वर्ग लगभग पूरा समाज ही हो गया है, इसलिए नित नए तकनीकी नवाचार अब प्रचलन में हैं। आखिर यही तो वह डिजिटल इंडिया है जिसका नारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है।
यह संतोष की बात है कि यह नारा महज कागजी न रहकर धरातल पर स्पष्ट नज़र आ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अभी तक अनेक कार्यक्रमों के तहत विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण भी ऑनलाइन ही किया है। ई-रुपी को भी उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही लॉन्च किया। यह दिखाता है कि वे डिजिटल इंडिया की केवल बात ही नहीं करते हैं, वे इसे स्वयं आचरण में भी लाते हैं। यही बात उन्हें औरों से अलग करती है।
गौर करें तो देश में वर्ष 2014 के बाद से एक नई तकनीकी क्रांति ने आकार लेना आरंभ कर दिया। 2016 में जब नोटबंदी की गई तब देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वालों की संख्या सीमित थी। लेकिन उसके बाद से डिजिटल उपभोक्ता के रूप में एक नया एवं बड़ा वर्ग तैयार हो गया।
नोटबंदी के बाद बाजार में गिनी चुनी निजी कंपनियां थीं जो डिजिटल वॉलेट की सुविधा देती थीं लेकिन बहुत कम समय में सरकार ने अपना भीम ऐप जब लॉन्च किया तो यह कई खूबियों से युक्त था। इसके जरिये किए जाने वाले भुगतान को यूपीआई ट्रांजेक्शन कहा जाता है। खास बात यह है कि सरकार ने समय-समय पर कई मोबाइल ऐप और डिजिटल सिस्टम लॉन्च किए और उनमें सरकार के साथ देश के अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक भी सहभागी बने।
चूंकि बैंकों ने भी ऑनलाइन भुगतान प्रणाली में कंधे से कंधा मिलाया तभी जाकर उपभोक्ताओं में इसकी स्वीकार्यता बढ़ी। कोरोना महामारी के समय भी केंद्र सरकार का ऐप आरोग्य सेतु करोड़ों देशवासियों ने डाउनलोड किया जिससे उन्हें बहुत मदद मिली। इसी दौरान लंबे समय तक घर में रहे लोगों ने अपना लगभग 99 फीसदी लेनदेन ऑनलाइन ही किया।
इतना ही नहीं, महामारी का बुरा दौर गुजर जाने के बाद जब देश को वैक्सीन बनाने में सफलता मिली तो वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन हेतु कोविन ऐप के रूप में एक शानदार डिजिटल व्यवस्था लाई गई, जो आज आम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय एवं उपयोगी साबित हो रही है।
इसी क्रम में अब प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया eRUPI वाउचर निश्चित ही देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे अनेक वर्ग के लोगों को मदद मिलेगी।
इस डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, डिपॉर्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विस, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी, मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के सहयोग से जारी किया गया है। इसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, HDFC बैंक और ICICI बैंक के सहयोग से लॉन्च किया गया है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने बहुत सार्थक बात कही कि गुजरे समय में टेक्नोलॉजी को केवल समृद्ध लोगों की चीज माना जाता था लेकिन अब तकनीक एक वर्ग विशेष के विशेषाधिकार से निकलकर समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े प्रत्येक आम आदमी की पकड़ में आ चुकी है। ई-रूपी की लॉन्चिंग से ना केवल यह बात पुख्ता हो गई कि सच्चा समाजवाद तो अब आया है, बल्कि विश्व को भी यह संदेश स्पष्ट रूप से गया है कि आज भारत एवं भारतवासी तकनीकी रूप से उन्नत हैं।
e-RUPI कार्ड से अधिकाधिक सरकारी और कॉरपोरेट योजनाओं को जोड़ा जा सकेगा। इस व्यवस्था से अब गरीब और जरूरतमंद तक लोगों तक मदद पहुंचाने में मदद मिलेगी। ई-रुपी वाउचर के इस्तेमाल के लिए बैंक खाते, QR कोड और SMS वाउचर की आवश्यक्ता नहीं होगी। इसे डिजिटल कार्ड, डिजिटल पेमेंट ऐप और इंटरनेट बैंकिंग सर्विस के बिना भी एक्सेस किया जा सकेगा।
इसकी सबसे ख़ास बात यह है कि ई-रुपी को एक निश्चित उपयोग के लिए ही जारी किया जा सकेगा और जिस उपयोग के लिए यह जारी होगा इसका उपयोग उसी मद में करना पड़ेगा। यानी कि इसका गलत उपयोग नहीं किया जा सकता।
कल्याणकारी योजनाओं के लिए ई-रूपी वाउचर जारी किये जा सकेंगे। योजना के तहत चाइल्ड वेलफेयर स्कीम, टीवी उन्मूलन प्रोग्राम, ड्रग्स और डाइग्नोसिक स्कीम जैसे आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ लिया जा सकेगा। इस वाउचर को कोई भी संस्था जारी कर सकेगी। निजी कंपनियां अपने कर्मचारियों को हेल्थकेयर, शिक्षा आदि के लिए ई-रुपी वाउचर जारी कर सकेंगी।
जाहिर है, ई-रूपी वाउचर के जरिये सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के वित्तीय प्रबंधन में और अधिक पारदर्शिता आएगी, भ्रष्टाचार के रास्ते बंद होंगे और जनता को सहज-सुगम ढंग से योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)