इसमें कोई शक नहीं कि वर्तमान में भारत का सारा जोर कोरोना से लड़ाई पर है लेकिन यह संतोष की बात है कि इसके साथ ही कश्मीर के मोर्चे पर हमारे जवान पहले की तरह ही सजग व सचेत हैं तथा सरकार का ध्यान भी उधर बना हुआ है। इस कोरोना काल में भारत को परेशान करने में लगा पाक हर मोर्चे पर मात खा रहा है। अब सोचना पाकिस्तान को ही है कि वो कोरोना जैसे वैश्विक संकट के इस दौर में अब भी क्या खुद में कुछ बदलाव लाएगा और इस आपदा से अपने लोगों को बचाने के लिए काम करेगा या भारत से बेमतलब का वैर ठानकर अपने लोगों को और मुश्किल में डालेगा।
कोरोना महामारी से संघर्ष के बीच कश्मीर घाटी और सरहद पर भी इन दिनों बहुत कुछ चल रहा है। केंद्र सरकार दोनों मोर्चों पर सक्रियता बनाए हुए है। पिछले एक पखवाड़े में बहुत कुछ ऐसा घटा है जिससे यह प्रमाणित हुआ कि कोरोना त्रासदी के दौर में सर्वस्व झोंक देने के बावजूद आंतरिक सुरक्षा के मामले में समानांतर रूप से भारत कितना गंभीर है। बात पीओके से शुरू करते हैं।
बीते दिनों भारतीय मौसम विभाग ने नई दिल्ली से मौसम का अनुमान जारी किया। इसमें बड़ा बदलाव यह देखा गया कि दिल्ली से नार्थ वेस्ट इंडिया के दैनिक पूर्वानुमान में पाकिस्तान के कब्जे वाले स्थानों के बारे में भी मौसम का अनुमान व्यक्त किया गया। इनमें गिलगिट बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद के मौसम का हाल बताया गया। इससे पहले मौसम विभाग केवल जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के मौसम की जानकारी देता था, लेकिन अब पहली बार पीओके के बारे में भी जानकारी दी गयी।
यह खबर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में तेजी से उभरी। पाकिस्तान ने भी देखादेखी अपने रेडियो से लद्दाख को लेकर ताजा अनुमान जताया तो उसमें अधिकतम और न्यूनतम की बुनियादी त्रुटि बता दी, जिसके चलते सोशल मीडिया पर पाकिस्तान का जमकर मखौल उड़ा। सैन्य मोर्च पर पराजित होने के बाद अब यह एक और जगहंसाई का प्रकरण सामने आया है। खैर, भारतीय मौसम विभाग के अनुमान के बाद से विश्व समुदाय में यह संदेश भी स्पष्ट रूप से गया कि पीओके भारत का ही हिस्सा है और उसे पाकिस्तान ने जबरिया कब्जाया हुआ है।
आपको याद होगा जब पिछले दिनों पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने गिलगिट बाल्टिस्तान में चुनाव कराने को कहा तो भारत ने किस प्रकार पुरज़ोर आपत्ति दर्ज कराई थी। इन दिनों मीडिया में जिस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं उसका मजमून यही है कि पीओके को लेकर भारत कुछ बड़ा और विशेष करने वाला है। कुछ ऐसा जिससे इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके। भारत का विदेश मंत्रालय कई बार साफ कर चुका है कि यह भारत का हिस्सा है। इस मामले पर सरकार का ताजा रूख और पत्र व्यवहार भी इशारा करते हैं कि अब भारत अधिक समय नष्ट करने के मूड में नहीं है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले कुछ बयानों में इस बात पर जोर देकर कहा है कि पाकिस्तान से इस विषय में कोई बात करने का सवाल ही नहीं उठता है। जो भारत का हिस्सा है, वह भारत का हिस्सा है। अब केवल कार्यवाही होगी।
बात ये है कि पाकिस्तान एक ऐसा पड़ोसी है जो खुद तो इस कठिन समय में अपने नागरिकों की रक्षा के लिए कुछ भी नहीं कर रहा, तिसपर सीमा पर सैन्य झड़प बढ़ाकर भारत को भी परेशान करने की मंशा पाले हुए है। जबसे देश में पहली बार लॉकडाउन घेाषित हुआ, उसके बाद से ही सीमा पर पाकिस्तान लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रहा है।
पिछले सप्ताह हंदवाड़ा में पाकिस्तान द्वारा ही प्रेरित बड़ी आतंकी घटना घटी लेकिन भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए महज 24 घंटों में मुठभेड़ में शहीद हुए कर्नल की शहादत का बदला ले लिया। हिजबुल कमांडर रियाज नायकू के ढेर होने से कश्मीर में आतंक के एक लंबे अध्याय का भी अंत हो गया।
निश्चित ही इससे आतंकियों में खलबली मची हुई है। आतंक के शिविरों में यह संदेश तो स्पष्ट रूप से चला गया है कि भारत अब चुप नहीं बैठता है। वह किसी भी हमले का तुरंत और करारा पलटवार करता है। अब हाल यह है कि पाकिस्तान को भीतर ही भीतर एक और सर्जिकल स्ट्राइक का भय है। पाकिस्तान की वायु सेना के विमानों को पिछले दिनों भारत के सीमावर्ती इलाकों में उड़ान भरते, गश्त करते देखा गया। उन्हें अब यह आशंका है कि कहीं भारतीय सेना उनके अन्य आतंकी शिविरों को तबाह ना कर दे।
पाक की यह बौखलाहट वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयानों से भी झलक रही है। जब भारत ने आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान को दोष दिया तो इमरान ने स्वयं ही आगे रहकर ट्वीट करके दुहाई दी कि भारत पाकिस्तान को निशाना बना रहा है। वैश्विक समुदाय के सामने उन्होंने यह रोना रोकर थोड़ी बहुत सहानुभूति अर्जित करने की कोशिश की लेकिन उनके समर्थन में किसी देश का कोई जवाब नहीं आया।
इसमें कोई शक नहीं कि वर्तमान में भारत का सारा जोर कोरोना से लड़ाई पर है लेकिन यह संतोष की बात है कि इसके साथ ही कश्मीर के मोर्चे पर हमारे जवान पहले की तरह ही सजग व सचेत हैं तथा सरकार का ध्यान भी उधर बना हुआ है। सोचना पाकिस्तान को है कि वो कोरोना जैसे वैश्विक संकट के दौर में भी क्या खुद में कुछ बदलाव लाएगा और इस आपदा से अपने लोगों को बचाने के लिए काम करेगा या अब भी भारत से बेमतलब का वैर ठानकर अपने लोगों को और मुश्किल में डालेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)