बीते साढ़े चार वर्षों में राष्ट्रीय पटल पर एक नया, सक्षम और समर्थ उत्तर प्रदेश उभरकर आया है। पांच वर्ष पहले इसे बीमारू प्रदेश माना जाता था। निवेशकों की उत्तर प्रदेश में कोई दिलचस्पी नहीं थी। जबकि मुख्यमंत्री योगी के प्रयासों से अब यह निवेश के लिए सर्वाधिक आकर्षक प्रदेश बन गया है।
बीते दिनों उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के साढ़े चार वर्ष पूरे हुए। इस अवसर पर सरकार ने अपना रिपोर्ट कार्ड प्रदेश की जनता के समक्ष प्रस्तुत किया है। योगी सरकार के इन साढ़े चार वर्षों में विकास अनेक कीर्तिमान स्थापित हुए हैं। पांच वर्ष पहले तक उत्तर प्रदेश की राजनीति सपा और बसपा में सिमटी थी। एक पार्टी से मतदाता नाराज हुए तो दूसरी पार्टी को ले आये। उससे नाराज हुए तो फिर बदलाव कर दिया। सरकारें बदलती थीं लेकिन व्यवस्था में बदलाव नहीं होता था। जन आकांक्षाएं अधूरी ही रह जाती थीं।
आज से साढ़े चार वर्ष पहले मतदाताओं ने विकल्प के रूप में भाजपा को मौका दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जानते थे कि केवल सरकार का बदलना पर्याप्त नहीं है। इसलिए उन्होंने सबसे पहले व्यवस्था में बदलाव व सुधार किया। निवेश व विकास के अनुकूल माहौल बनाया गया। इसके सकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं। बयालीस विकास योजनाओं में उत्तर प्रदेश नम्बर वन पर है। कई योजनाओं में योगी सरकार की उपलब्धि सत्तर वर्षों पर भारी है।
सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए योगी सरकार की ओर से तीन प्रकार की बुकलेट जारी की गई हैं। एक बुकलेट सोलह, दूसरी बावन और तीसरी सिर्फ चार पेज की है। मतलब गागर में सागर। पहली बुकलेट में पारदर्शी और जवादेह सरकार का दस्तावेज है। विकास के कीर्तिमान का उल्लेख है। इसके कवर पेज पर वैचारिक प्रतिबद्धता की झलक है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रभु श्रीराम की प्रतिमा भेंट कर रहे हैं।
दूसरी बुकलेट में ‘विकास की लहर, हर गांव-हर शहर’ की दास्तान है। ‘काम दमदार योगी सरकार’ के नारे के साथ चतुमुर्खी विकास का संदेश है। तीसरी बुकलेट में ‘सोच ईमानदार-काम दमदार, छा गयी योगी सरकार’ का जज्बा है। यह संकल्प से सिद्धि की यात्रा है।
वस्तुतः साढ़े चार वर्षों में राष्ट्रीय पटल पर एक नया, सक्षम और समर्थ उत्तर प्रदेश उभर कर आया है। पांच वर्ष पहले इसे बीमारू प्रदेश माना जाता था। निवेशकों की उत्तर प्रदेश में कोई दिलचस्पी नहीं थी। जबकि मुख्यमंत्री योगी के प्रयासों से यह निवेश के लिए सर्वाधिक आकर्षक प्रदेश बन गया है। एंटी रोमियो स्क्वाड से लेकर मिशन शक्ति तक की कोशिशों से महिलाएं सुरक्षित व सम्मानित महसूस कर रही हैं। स्वावलम्बन की मिसाल बन रही हैं।
पांच वर्ष पहले प्रदेश में बेरोजगारी दर सत्रह प्रतिशत थी। अब चार प्रतिशत है। योगी के कोरोना आपदा प्रबंधन की सराहना विश्व स्वास्थ्य संगठन व नीति आयोग ने भी की है। पहले उत्तर प्रदेश साम्प्रदायिक दंगों की चपेट में था, जबकि साढ़े चार वर्ष में प्रदेश दंगों से मुक्त होने की राह पर बढ़ा है। अपराधियों माफिया के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल किया गया। डेढ़ हजार करोड़ रुपये से अधिक की अवैध सम्पत्ति जब्त की गई।
इन्वेस्टर्स समिट पहले भी होती थी, लेकिन सुरक्षित माहौल के अभाव में उद्योगपति निवेश को उत्सुक नहीं थे। अब कानून व्यवस्था बेहतर होने से प्रदेश में निवेश का माहौल बना है। योगी सरकार ने साढ़े चार साल में प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्य के रूप में आगे बढ़ाने का रास्ता बना दिया है। यूपी देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।
उद्योगों के लिए माहौल बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप जिस यूपी में कोई निवेशक आना नहीं चाहता था, अब वहां लोग निवेश कर रहे हैं। सरकार ने अब तक तीन लाख करोड़ से अधिक का निवेश हासिल करने में सफलता पाई है। इसी का परिणाम है कि यूपी में प्रतिव्यक्ति आय दोगुनी से अधिक पहुंच गई है।
चार-पांच साल पहले तक यूपी में किसान सरकारों की प्राथमिकता से बाहर था, लेकिन आज वह राजनीति के एजेंडे में शामिल है। किसानों के उत्थान के लिए, उनकी आय में दोगुना वृद्धि के लिए लगातार कदम उठाए गए हैं। सरकार ने दो करोड़ इकसठ लाख शौचालय बनाकर तैयार किए जिसका लाभ दस करोड़ लोगों को मिला है। जिला मुख्यालयों में दस घंटे बिजली और तहसील मुख्यालय पर बाइस घंटे बिजली की सुविधा दी जा रही है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अठारह घंटे बिजली पहुंचाने का काम सरकार कर रही है।
इसके अतिरिक्त योगी सरकार द्वारा किसान व गरीब कल्याण, लाखों करोड़ के निवेश, अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार, पांच एक्सप्रेस वे पर कार्य, स्वास्थ्य आदि तमाम और क्षेत्रों में भी पिछली सरकारों के रिकार्ड को बहुत पीछे छोड़ दिया गया है। जबकि पिछला करीब दो वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना से प्रभावित रहा है। इसके बाद भी योगी आदित्यनाथ ने विकास की गति कम नहीं होने दी।
प्रधानमंत्री की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की कार्ययोजना पर अमल चल रहा है। राज्य सरकार की कार्यपद्धति में बदलाव से आय भी बढ़ी है। शीघ्र ही स्टेट जीएसटी से होने वाली आय एक लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार कर लेगी। राज्य सरकार ने अब तक गन्ना किसानों को करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया है।
कोरोना काल में भी सभी एक सौ उन्नीस चीनी मिलें संचालित की गईं। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लगभग छत्तीस लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई। छियासठ लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है तथा किसानों को ग्यारह हजार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है। राज्य सरकार द्वारा मक्के की खरीद कर किसानों को करीब दो सौ करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि का भुगतान किया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत प्रदेश के दो करोड़ बयालीस लाख किसानों को लाभान्वित किया गया है। इसके लिए राज्य को भारत सरकार से प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।
प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में चालीस लाख आवास उपलब्ध कराए गए हैं। चौवन लाख कामगार श्रमिक, स्ट्रीट वेण्डर्स आदि को भरण-पोषण भत्ते का लाभ मिला है। कामगारों श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा तथा सर्वांगीण विकास के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उत्तर प्रदेश कामगार एवं श्रमिक सेवायोजन एवं रोजगार आयोग का गठन किया गया है। प्रदेश के युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने के उद्देश्य से निःशुल्क कोचिंग हेतु मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना संचालित की जा रही है।
साढ़े चार वर्ष पहले उत्तर प्रदेश ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ में देश में चौदाहवें स्थान पर था, आज व्यापार का वातावरण बना है और प्रदेश देश में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ में दूसरे स्थान पर आ गया है। आज प्रदेश में तेजी के साथ निजी निवेश हो रहा है। निजी क्षेत्र में अब तक तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ है। इसके माध्यम से पैंतीस लाख युवाओं को रोजगार व नौकरी के साथ जोड़ा गया है।
जीएसटी के तहत उनचास हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होता था, जो अब बढ़कर एक लाख करोड़ रुपए हो गया है। वहीं आबकारी के रूप में चार वर्ष पहले करीब बारह हजार करोड़ रुपए राजस्व मिलता था, जो कि अब छत्तीस हजार करोड़ रुपए मिल रहा है।
स्टाम्प एवं निबंधन में नौ से दस हजार करोड़ रुपए मिलता था, जो कि अब पच्चीस हजार करोड़ हो गया है। मंडी शुल्क में छह से आठ सौ करोड़ रुपए मिलता था, अब दो हजार करोड़ रुपए प्राप्त होता है। इसी प्रकार पूर्व में माइनिंग से उत्तर प्रदेश को करीब तेरह सौ करोड़ रुपए की आय ही होती थी, जो अब बढ़कर बयालीस सौ करोड़ रुपये तक पहुँच गयी है।
यह सब उपलब्धियां योगी सरकार के चुस्त प्रशासन, सही नीयत तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश का ही परिणाम हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री योगी के सुशासन से उत्तर प्रदेश न केवल विकास के पथ पर आगे बढ़ा है बल्कि यहाँ ‘ईज आफ लिविंग’ भी बेहतर हुई है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)