जी-7 में नरेंद्र मोदी ने कहा कि कश्मीर द्विपक्षीय मसला है। किसी तीसरे देश को इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मोदी ने अमेरिका के सामने यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला है। हम इस मामले पर दुनिया के किसी भी देश को कष्ट नहीं देना चाहते हैं।
जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक सुधार के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश यात्रा पर गए। पाकिस्तान ने इस मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण की तैयारी की थी। ऐसे में इस यात्रा पर लोगों की नजर थी। लेकिन नरेंद्र मोदी ने इसका कोई असर नहीं पड़ने दिया। मोदी ने जी-7 में दो टूक कहा कि अपने संविधान में संशोधन करना भारत का अधिकार और आंतरिक मसला है। पाक अधिकृत कश्मीर द्विपक्षीय मसला है। इसमें किसी अन्य देश को बोलने की आवश्यकता नहीं है। मोदी इस यात्रा में भारत के हित को सुनिश्चित करने में सफल रहे। भारत को सभी जगह सम्मान और समर्थन मिला।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने जी-7 में शामिल होने के लिए नरेंद्र मोदी को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। उन्होंने कश्मीर पर भारत के कदम का पूरा समर्थन किया। संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया। इसके अलावा जी-7 में नरेंद्र मोदी के प्रस्तावों को भी विशेष महत्व दिया गया।
प्रधानमंत्री फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन की यात्रा पर गए थे। फ्रांस संयुक्त राष्ट्र महासंघ सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। यहां उनकी राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों से वार्ता हुई। इसमें द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने और रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने का निर्णय हुआ। मोदी ने मैक्रो से वार्ता के पहले ट्वीट किया कि यह यात्रा फ्रांस के नेतृत्व के साथ पहले की गई बातचीत को आगे बढ़ाएगी।
दोनों नेताओं की सीधी बातचीत के बाद शिष्टमंडल स्तर की वार्ता हुई। फ्रांस के राष्टपति के अलावा मोदी की वहाँ के प्रधानमंत्री एडवर्ड फिलिप से भी उपयोगी वार्ता हुई। यहां भारतीय समुदाय से भी मोदी ने संवाद किया। उन्हें पिछले दिनों कश्मीर में हुए सुधारों से अवगत कराया। भारतीय मूल के लोगों की इसमें खासी दिलचस्पी थी। वह सरकार के ऐतिहासिक कार्य से खुश थे।
मोदी ने फ्रांस में एयर इंडिया के दो विमान हादसों में मारे गए पीड़ितों की याद में बनाए गए एक स्मारक स्थल का उद्घाटन भी किया। मोदी ने कहा कि फ्रांस भारत का मजबूत रणनीतिक साझेदार है। दोनों देश इसकी अहमियत समझते हैं और इसे साझा करते हैँ। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के बीच मित्रता, आपसी समृद्धि, शांति और प्रगति को बल मिलेगा।
यात्रा के दूसरे चरण में नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात गए। यहां उन्हें संयुक्त अरब सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ जायद’ से सम्मानित किया गया। अबू धाबी के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जाएद अल नाहयान से उनकी वार्ता हुई। मोदी ने विदेशों में नकदी रहित लेनदेन का विस्तार करने के लिए अरब में भारतीय रुपे कार्ड का औपचारिक रूप से शुभारंभ भी किया।
यात्रा के तीसरे चरण में नरेंद मोदी बहरीन पहुंचे। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली बहरीन यात्रा थी। यहां बहरीन के शाह शेख हमाद बिन इसा अल खलीफा से उनकी वार्ता हुई। दोनों देशों ने सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय किया। मोदी खाड़ी क्षेत्र में सबसे पुराने मंदिर श्रीनाथजी के पुनरुद्धार की औपचारिक शुरुआत में शामिल हुए। मोदी और बहरीन के क्राउन प्रिंस के बीच व्यापारिक संबंधों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी सहमति बनी।
क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमाद बिन ईसा अल खलीफा ने नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च सम्मान ‘द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां’ से सम्मानित किया। तीन देशों की यात्रा से भारत को लाभ हुआ। नरेंद्र मोदी को दो देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान प्रदान किये। सभी देशों ने भारत को समर्थन दिया। लेकिन इस दौरान अपने मित्र व सहयोगी अरुण जेटली के निधन से मोदी का मन व्यथित भी रहा। अरुण जेटली को याद कर वह भावुक हुए।
बहरीन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते समय वह अपनी भावुकता छिपा नहीं सके। किया। कहा कि मैं एक दर्द दबा कर आपके बीच खड़ा हूं। विद्यार्थी काल से लेकर सार्वजनिक जीवन में हम मिलकर साथ चले। हर पल एक-दूसरे के साथ जुड़े रहना और साथ मिलकर जूझते रहना। जिस दोस्त के साथ यह सब किया, उसने आज दुनिया छोड़ दी। इतनी दूर बैठा हूं और मेरा एक दोस्त चला गया।
बहरीन के प्रधानमंत्री प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल खलीफा एयरपोर्ट पर मोदी को लेने पहुंचे थे। अल गुदाइबिया पैलेस में मोदी का शानदार स्वागत किया गया। इसी प्रकार संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद खुद मोदी को छोड़ने हवाई अड्डे तक आये थे। बहरीन से मोदी फ्रांस में हो रहे जी-7 समिट में हिस्सा लेने वापस लौटे थे। फ्रांस के बियारेट्ज शहर में पैंतालीसवें जी-7 समिट में शामिल हुए थे।
जी-7 सम्मेलन की विधिवत शुरुआत के पहले ही नरेंद्र मोदी कई प्रमुख लोगों से वार्ता कर चुके थे। इनमें फ्रांस के राष्ट्रपति, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव शामिल हैं। विकसित देशों के इस समूह का भारत सदस्य नहीं है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के विशेष आग्रह पर मोदी इसमें शामिल हुए।
भारतीय विदेश मंत्रालय का यह कहना ठीक है कि यह आमंत्रण बड़ी आर्थिक ताकत रूप में भारत की पहचान की स्वीकृति है। सम्मेलन से पहले ही मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों, रक्षा-सुरक्षा एवं व्यापार समेत कई मुद्दों पर बात हुई। मोदी ने एशेज श्रृंखला के तीसरे टेस्ट मैच में इंग्लैंड की रोमांचक जीत पर भी जॉनसन को बधाई दी।
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुतेरस से भी विभिन्न मसलों पर बात की। जी-7 की बैठक में मोदी ने पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसे मुद्दों पर प्रस्तावित दो सत्रों को संबोधित किया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने अमेरिका व ईरान के तनाव को कम कराने का प्रयास किया। इस कार्य में नरेंद्र मोदी ने भी सकारात्मक रुख दिखाया।
ईरान के विदेश मंत्री जरीफ भी यहां पहुंचे थे। वह करीब तीन घंटे रुकने के बाद वापस चले गए। रूस को पुनः शामिल करने पर भी चर्चा की गई। पहले रूस इसका सदस्य था। तब इसे जी एट कहा जाता था। इस समय ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान व अमेरिका इसके सदस्य है। उन्नीस सौ चौदह में यूक्रेन के प्रायद्वीप क्रीमिया पर कब्जे मसले पर रूस इससे बाहर हो गया था। जी-7 में नरेंद्र मोदी ने वैश्विक महत्व के मुद्दे उठाए, जिस पर सदस्य देशों का समर्थन भी मिला।
जी-7 में नरेंद्र मोदी ने कहा कि कश्मीर द्विपक्षीय मसला है। किसी तीसरे देश को इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मोदी ने अमेरिका के सामने यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला है। हम इस मामले पर दुनिया के किसी भी देश को कष्ट नहीं देना चाहते हैं।
ट्रम्प ने भी भरोसा जताया कि दोनों देश अपनी समस्या को मिलकर सुलझा सकते हैं। ट्रंप के साथ साझा प्रेसवार्ता के दौरान दोनों नेताओं की की बॉडी लैंग्वेज भी ख़ासा आकर्षण का केंद्र रही और इससे दोनों देशों के संबंधों में मौजूद आत्मीयता भी प्रकट हुई। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी की तीन देशों की इस विदेश यात्रा और जी-7 सम्मेलन में शिरकत के दौरान दुनिया में भारत की बढ़ती धाक स्पष्ट रूप से सामने आई।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)