जब प्रधानमंत्री मोदी ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना को बड़े पैमाने पर शुरू किया तब विरोधियों विशेषकर वामपंथियों ने इसका यह कहते हुए विरोध किया था कि भारत जैसे देश में यह योजना गरीबी बढ़ाने का काम करेगी। लेकिन आज दुनिया इस योजना की प्रशंसा कर रही है। कोरोना महामारी के दौरान करोड़ों गरीबों को संकट से उबारने वाली मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर या डीबीटी) एक बार फिर चर्चा में है। विश्व बैंक ने न सिर्फ मोदी सरकार व डीबीटी की प्रशंसा की है बल्कि अन्य देशों को इससे सीखने की सलाह दी है।
विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास के अनुसार कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने गरीब और जरूरतमंद लोगों को जिस प्रकार से समर्थन दिया वह असाधारण है। गरीबी एवं पारस्परिक समृद्धि नामक रिपोर्ट जारी करते हुए डेविड मालपास ने कहा कि अन्य देशों को भी व्यापक सब्सिडी के बजाए भारत की तरह लक्षित नकद हस्तांतरण जैसा कदम उठाना चाहिए।
डेविड मालपास ने कहा कि महामारी की सबसे बड़ी कीमत गरीब लोगों को चुकानी पड़ी। कमजोर और कम विकसित सामाजिक सुरक्षा व वित्तीय प्रणालियों के कारण गरीब देशों में गरीबी बढ़ गई। दूसरी ओर डिजिटल नकद हस्तांतरण के जरिए भारत ग्रामीण क्षेत्र के 85 प्रतिशत परिवारों और शहरी क्षेत्र के 69 प्रतिशत परिवारों को खाद्य एवं नकदी समर्थन देने में सफल रहा जो उल्लेखनीय है।
वैश्विक महामारी कोरोना से मुकाबला करने में डिजिटल इंडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस दौरान सरकार ने एक क्लिक पर देश की करोड़ों महिलाओं, किसानों, मजदूरों के बैंक खातों में हजारों करोड़ रुपये भेजे। एक देश एक राशन कार्ड की मदद से 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन सुनिश्चित किया गया।
भारत सरकार ने 2020-21 के दौरान डीबीटी के माध्यम से 5.52 लाख करोड़ रुपये सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजा जो कि 2021-22 में बढ़कर 6.3 लाख करोड़ रुपये हो गया। 2015 से अब तक 25 लाख करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजे जा चुके हैं। इसमें से 56 प्रतिशत धनराशि पिछले ढाई साल में अंतरित की गई।
स्पष्ट है कोरोना संकट के दौरान डीबीटी जीवन रक्षक साबित हुई। आज केंद्र सरकार के 53 मंत्रालयों की 319 योजनाएं डीबीटी से जुड़ी हैं। इससे 105 करोड़ लोग लाभान्वित हो रहे हैं। इनमें से कई लोगों को एक से अधिक योजनाओं का लाभ मिल रहा है। 2021-22 में डीबीटी के तहत 783 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए।
डिजिटल इंडिया के माध्यम से भारत ने उदाहरण प्रस्तुत किया है कि प्रौद्योगिकी का सही इस्तेमाल पूरी मानवता के लिए कितना क्रांतिकारी है। आठ-दस साल पहले जन्म प्रमाण पत्र, बिल जमा करने, राशन, प्रवेश, रिजल्ट और बैंकों के लिए भी लाइन लगती थी लेकिन अब ये सेवाएं डिजिटल होने से सुलभ, तेज और सस्ती हो गईं हैं। डिजिटल इंडिया ने सरकार को नागरिकों के द्वार और फोन तक पहुंचा दिया है। 1.25 लाख से अधिक कामन सर्विस सेंटर और ग्रामीण स्टोर अब ई कॉमर्स को ग्रामीण भारत में लेकर जा रहे हैं।
मोदी सरकार के प्रयासों से देश में डेटा की कीमत बहुत कम है। यही कारण है कि छोटे व्यापारी, उद्यमी, स्थानीय कारीगर इन सभी को डिजिटल इंडिया ने मंच दिया। आज रेहड़ी पटरी वाले भी कह रहा है कि कैश नहीं यूपीआई कर दीजिए तो यह मोदी सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम का ही नतीजा है।
देश में 5जी सेवा शुरू हो चुकी है। 5जी सेवा लांच करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत सरकार का उद्देश्य सभी भारतीयों को इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक को सिर्फ वायस कॉल या वीडियो देखने तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि इसमें नई क्रांति होनी चाहिए।
डिजिटल इंडिया अभियान का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे योजनाओं के क्रियान्वयन की सटीक जानकारी हो जाती है जिससे वे समय पूरी हो जाती है। घर-घर बिजली पहुंचाने की योजना हो या सिलेंडर। योजनाएं समय से पहले लक्ष्य हासिल कर रही हैं तो उसका कारण मोदी सरकार की डिजिटल निगरानी प्रणाली ही है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)