पूर्वांचल को अच्छे दिनों की सौगात, मोदी ने पूरा किया गोरखपुर में किया वादा

शैलेन्द्र कुमार शुक्ला 

आजादी के बाद से उपेक्षा का शिकार पूर्वी उत्तर प्रदेश अर्थात पूर्वांचल के लिए 22 अगस्त का दिन ऐतिहासिक रहा, जब प्रधानमंत्री ने खाद कारखाना और एम्स का शिलान्यास किया। 28 साल से बंद पड़े फार्टिलाइजर कारखाने को पुनर्संचालित करने एवं एम्स के शिलान्यास से निश्चित तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास का गति मिलेगी। एवं रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। गौर करने वाली बात यह है कि इसका लाभ केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश को ही नहीं अपितु बिहार और नेपाल के कुछ हिस्सों को भी मिलेगा। जब अपने संबोधन में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पूर्वी और पश्चिमी भारत विकास के दो पहिए हैं अब पश्चिम के साथ पूर्वी छोर भी मजबूत होगा, तब प्रधानमंत्री के इस बात से विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को अत्यधिक बल मिला।  भाजपा सरकार का मूलमंत्र ‘सबका साथ सबका विकास’ को एक नयी परिभाषा मिली।

अगर आंकड़ो पर गौर किया जाय तो 1978 से अब तक 13 हजार नौनिहाल इस बीमारी की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। करीब इतने ही शारीरिक एवं मानसिक रूप से अपंग हो चुके हैं। गौरतलब है कि यह सरकारी रिकॉर्ड है, जबकि जमीनी सच्चाई इससे कहीं अलग है। इस ओर ना तो राज्य सरकार गंभीरता से सोची है और ना के पूर्व की केन्द्र सरकार। इस मामले का संज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार ने यहां एम्स की स्थापना का निर्णय किया। 1000 करोड़ की लागत से 700 विस्तरों वाला अस्पताल तैयार होने से स्वास्थ्य समस्याओं का बहुत हद तक समाधान हो जाएगा। तथा दिमागी बुखार से असमय काल कवलित होते नौनिहालों को राहत मिलेगी।

 पूर्वांचल को किसी जमाने में चीनी का कटोरा कहा जाता था, लेकिन राज्य सरकार की अनदेखी और पक्षपात पूर्ण रवैया के कारण यहां के चीनी मिल लगातार बंद होते गए जिससे यहां के गन्ना किसानों की कमर टूट गयी। लेकिन केन्द्र सरकार की पहल से गन्ना मुल्यों के त्वरित भुगतान से किसानों में नया विश्वास पैदा हुआ है। यही नहीं खेती और किसानी की आपार संभावनाओं से परिपूर्ण इस क्षेत्र को तीसरी हरित क्रांति का संभावित केन्द्र बताकर प्रधानमंत्री ने सूखे और बाढ़ तथा राज्य सरकार की अनदेखी का दंश झेल रहे गन्ना सहित अन्य किसानों को उम्मीदों से सराबोर कर दिया।खाद कारखाना खुलने  के साथ ही पूर्वांचल में औद्योगिक क्रांति का सुत्रपात होगा। लोगों के आय के साधन बढ़ेगें और नए-नए अवसरों का सृजन होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस गैस अधारित अर्थ व्यवस्था की बात कही उससे यहां बंद पड़े छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों को पुनः संचालित करने का मौका मिलेगा जिसका असर यहां की गरीब जनता पर पड़ेगा और निश्चित तौर पर गरीबी हारेगी।

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गरीबी और बेरोजगारी के बाद इस क्षेत्र की दूसरी और सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य की है खासकर दिमागी बुखार की सबसे ज्यादा। अगर आंकड़ो पर गौर किया जाय तो 1978 से अब तक 13 हजार नौनिहाल इस बीमारी की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। करीब इतने ही शारीरिक एवं मानसिक रूप से अपंग हो चुके हैं। गौरतलब है कि यह सरकारी रिकॉर्ड है, जबकि जमीनी सच्चाई इससे कहीं अलग है। इस ओर ना तो राज्य सरकार गंभीरता से सोची है और ना के पूर्व की केन्द्र सरकार। इस मामले का संज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार ने यहां एम्स की स्थापना का निर्णय किया। 1000 करोड़ की लागत से 700 विस्तरों वाला अस्पताल तैयार होने से स्वास्थ्य समस्याओं का बहुत हद तक समाधान हो जाएगा।  दिमागी बुखार से असमय काल कवलित होते नौनिहालों को राहत मिलेगी।

पर्यटन की दृष्टि से भी पूर्वांचल देश का अग्रणी भाग बन सकता है। महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली, निर्वाण स्थल और जहां भगावान तथागत को ज्ञान प्राप्त हुआ वो सारनाथ सब पूर्वांचल के हिस्से है, साथ ही अयोध्या, प्रयाग और काशी में भी पर्यटन की असीम संभानाएं हैं, इसके अलावे भी ऐतिहासिक अनुसंधान की दृष्टि से कई स्थल महत्वपूर्ण है। अगर इन सभी क्षेत्रों को आपस में जोड़ दिया जाय तो पर्यटन के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। भारत नेपाल की सीमा पर स्थित सोनौली से गोरखपुर तक हाइवे बनाने की घोषणा से पूर्वांचल के पर्यटन उद्योग को नई उंचाई मिलेगी और इससे छोटे-छोटे व्यापारियों को सीधे फायदा होगा। पूर्व में सड़क और परिवहन की समुचित व्यवस्था नहीं होने से पूर्वांचल का पर्यटन उद्योग सुस्त पड़ा हुआ था, लेकिन प्रधान मंत्री की घोषणा के बाद इसको गति और दिशा दोनो मिलेगी।