मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान गरीबों के समक्ष उपजे रोजी-रोटी के संकट का समाधान कैसे किया जाए। देशवासियों विशेषकर कमजोर वर्गों को तात्कालिक राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने 1,70,000 करोड़ रूपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। सरकार की पहली प्राथमिकता है कि लॉकडाउन के दौरान कोई भूखा न रहे। इसके लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को दो हिस्सों में बांटकर रणनीति तैयार की गई है।
पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण के मामले लगातर बढ़ रहे हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि चिकित्सा सुविधाओं के मामले में दुनिया भर में मानक स्थापित करने वाले इटली, स्पेन, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों पर कोरोना कहर बरपा रहा है। दरअसल ये देश कोरोना संक्रमण के दूसरे व तीसरे चरण की भयावहता का अनुमान लगाने में विफल रहे। गौरतलब है कि जिन देशों ने कोरोना संक्रमण के दूसरे व तीसरे चरण के लिए व्यापक तैयारी व बचाव किया उन देशों में संक्रमण भयावह रूप धारण नहीं कर पाया जैसे सिंगापुर और हांगकांग।
भारत में भी शुरूआती दो महीनों के दौरान कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत धीमी गति से फैला। इसके बावजूद सरकार ने 2 फरवरी को कोरोना पर मंत्रिमंडलीय समूह (जीओएम) गठित कर दिया। सिनेमाघर, शापिंग मॉल, जिम बंद करा दिए गए। इतना ही नहीं कोरोना प्रभावित देशों के विदेश यात्रियों पर रोक लगाने के साथ-साथ होटलों में आयोजित किए जाने वाले सभी तरह के कार्यक्रम रद्द कर दिए गए।
कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के भयावह खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देश की जनता से संकल्प और संयम अपनाने का आग्रह किया। इसके साथ-साथ उन्होंने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू में हिस्सेदारी लेने का आह्वान किया जो कि पूरी तरह सफल रहा।
दुनिया भर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को एक बार फिर देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होने 21 दिनों के लिए पूर्ण रूप से लॉकडाउन की घोषणा करते हुए लोगों से अपील की कि किसी भी कीमत पर घर के बाहर न निकलें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यह 21 दिन नहीं संभले तो देश और आपका परिवार 21 साल पीछे चले जाएंगे। इतना ही नहीं, कई परिवार तो तबाह हो जाएंगे।
लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए हवाई उड़ानों, रेलगाड़ियों, अंतर्राज्यीय बसों पर 14 अप्रैल तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया ताकि कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन कम से कम हो। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाओं की उपलब्धता के बारे में बताते हुए अधंविश्वास और अफवाहों से बचने की सलाह दी।
इसके बाद प्रधानमंत्री लॉकडाउन के देशव्यापी असर को कम करने और इलाज की समुचित व्यवस्था करने में जुट गए। सबसे पहला काम था जरूरी सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना और कोरोना जांच की सुविधाओं का विस्तार। सरकार ने कोरोना वायरस की जांच के लिए 119 सरकारी लैबों को अधिकृत किया। इसके अलवा 35 निजी लैबों को भी अनुमति दी गई। निजी क्षेत्र के अस्पताल-लैब अपनी लूट के लिए कुख्यात रहे हैं इसीलिए सरकार ने कोरोना वायरस के टेस्ट के लिए अधिकतम 4500 रूपये की सीमा तय कर दी।
मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान देशवासियों विशेषकर गरीबों के समक्ष उपजे संकट का समाधान कैसे किया जाए। विशेषकर कमजोर वर्गों को तात्कालिक राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने 1,70,000 करोड़ रूपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। सरकार की पहली प्राथमिकता है कि लॉकडाउन के दौरान कोई भूखा न रहे। इसके लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को दो हिस्सों में बांटकर रणनीति तैयार की गई है।
मोदी सरकार का सर्वाधिक बल तात्कालिक राहत पहुंचाने पर है। इसके तहत सरकार 80 करोड़ राशन कार्ड धारकों को तीन महीने तक पांच किलो गेहूं-चावल और एक किलो दाल मुफ्त में वितरित करेगी। अगले तीन महीनों तक 20 करोड़ जन धन महिला खाता धारकों को हर महीने 500 रूपये दिए जाएंगे। इसी तरह आठ करोड़ उज्ज्वला लाभार्थियों को तीन महीने तक मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर दिए जाएंगे।
ग्रामीण इलाकों में लॉकडाउन के असर को कम करने के लिए 13.62 करोड़ मनरेगा मजदूरों की दैनिक मजदूरी 182 रूपये से बढ़ाकर 202 रूपये कर दी गई है। तीन करोड़ बुजुर्गों, गरीब विधवाओं, विकलांगों के खाते में एक हजार रूपये ट्रासफर किए जांएगे। वर्ष 2020-21 के लिए प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 2000 रूपये की पहली किस्त अप्रैल के पहले सप्ताह तक किसानों के बैंक खाते में पहुंच जाएगी। निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के कल्याण कोष में जमा 31 हजार करोड़ रुपये का इस्तेमाल 3.5 करोड़ पंजीकृत मजदूरों के लिए होगा।
पीएफ स्कीम रेगुलेशन में बदलाव कर नॉन रिफंडेबल एडवांस 75 प्रतिशत जमा धन या तीन माह का वेतन निकालने की सुविधा मिलेगी। महिला उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए महिल स्वंय सहायता समूह की महिलाओं को दीन दयाल योजना के तहत 20 लाख रूपये तक का लोन मिलेगा। यह लोन बिना किसी ब्याज के दिया जाएगा।
सरकार ने कोरोना वायरस के इलाज में लगे डॉक्टरों, पैरा मेडिकलकर्मियों, चिकित्सा सेवाकर्मियों को 50 लाख रुपये का बीमा कवर देने का फैसला किया है। इनमें आशा वर्कर्स, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ भी शामिल हैं। इसका लाभ 20 लाख मेडिकल कर्मचारियों को मिलेगा।
समग्रत: मोदी सरकार का भारत में कोरोना जैसी आपदा से निपटने के लिए तत्परतापूर्वक सभी मोर्चों पर कदम उठाती नजर आ रही है। उम्मीद करते हैं कि सरकार के प्रयास परिणाम में तब्दील हों और देश शीघ्र इस संकट से बाहर आए।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)