सरकार का गठन होने के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों के कर्ज को अपने वायदे के अनुसार माफ़ किया। एंटी रोमियो स्क्वायड के जरिये महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में कदम बढ़ाया, वहीं अवैध बूचड़खानों को भी बंद कराया। ये सारे काम एक साथ ऐसे त्वरित गति से होने लगे कि लोगों की उम्मीद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बढ़ गई और आज जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे किये हैं, तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि यह सरकार उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में तेज़ी के साथ काम कर रही है।
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है जब भाजपा का कोई मुख्यमंत्री सफलतापूर्वक अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे कर रहा है। उत्तर प्रदेश के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार के तीन वर्ष काफी अहम रहे हैं। इस सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जो प्रदेश ही नहीं वरन देश में भी चर्चा के केंद्र में रहे। स्वयं मुख्यमंत्री ने भी कई बार अपने स्पष्ट बयानों के लिए सुर्खियाँ बटोरीं।
मार्च 2017 में जब प्रदेश की जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत का जनादेश दिया, उस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही था कि भाजपा मुख्यमंत्री किसे बनाएगी? अंत में गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम सामने आते ही बहुतेरे सवाल खड़े होने लगे कि एक सांसद कैसे इतना बड़ा प्रदेश चला पायेगा?
ऐसे ही कई और सवाल हवा में तैर रहे थे, लेकिन योगी आदित्यनाथ की पृष्ठभूमि यह जानती थी कि प्रदेश की मूल समस्याएं क्या हैं? उन समस्याओं को केंद्र में रखकर योगी सरकार ने नीतियों का निर्माण शुरू किया जिसका असर आज हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है।
कृषि के क्षेत्र में वर्षों से अटकी पड़ी सिंचाई योजनाओं को हरी झंडी देना हो अथवा निवेश के लिए इंवेस्टर समिट करना हो अथवा बुंदेलखंड से लेकर पूर्वांचल तक एक्सप्रेसवे का जाल बिछाना हो, उत्तर प्रदेश आज चहुँमुखी विकास के मार्ग पर है।
मुख्यमंत्री की कमान सँभालने के बाद योगी की सबसे बड़ी चुनौती जन आकांक्षाओं को पूरा करना था। इसीका परिणाम था कि सरकार ने एक के बाद एक ऐसे फैसले लेने शुरू किये, जिससे आमजन के मन में भरोसा जागृत हुआ कि यह सरकार प्रदेश के विकास को नई ऊँचाई देने जा रही है।
सरकार का गठन होने के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों के कर्ज को अपने वायदे के अनुसार माफ़ किया। एंटी रोमियो स्क्वायड के जरिये महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में कदम बढ़ाया, वहीं अवैध बूचड़खानों को भी बंद कराया। ये सारे काम एक साथ ऐसे त्वरित गति से होने लगे कि लोगों की उम्मीद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बढ़ गई और आज जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे किये हैं, तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि यह सरकार उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में तेज़ी के साथ काम कर रही है।
कानूनराज की वापसी
उत्तर प्रदेश में कोई भी चुनाव हो, सबसे बड़ा मुद्दा बिगड़ती कानून व्यवस्था का रहा है, जब भी समाजवादी पार्टी की सरकार सूबे में होती है, अपराधियों के हौसले बुलंद रहते हैं। प्रदेश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना बड़ी चुनौती थी, लेकिन आज तीन साल बाद यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि अब उत्तर प्रदेश में कानूनराज की वापसी हुई है।
सरकार ने अपराधियों, माफियाओं को पूरी तरह निशाने पर लिया और उनके हौसले को पस्त कर दिया। बिना किसी किन्तु-परन्तु के भाजपानीत सरकार ने प्रदेश में राजनीतिक सह से जन्मे सांगठनिक अपराध शाखाओं को सबसे पहले ध्वस्त करने का काम किया जिसके परिणामस्वरूप आपराधिक मानसिकता वाले लोगों के दिमाग में प्रशासन का भय बैठ गया, जिसमें पुलिस की चुस्ती और योगी की कड़क छवि दोनों ने कारगर छाप छोड़ी।
समूचे प्रदेश में आज अपराध के आंकड़े में 2016 के मुकाबले 30 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के इतर कानून व्यवस्था को व्यावहारिक ढंग से समझने के लिए हमारे पास दो बड़े उदाहरण मौजूद हैं, जिनके द्वारा हकीकत को समझा जा सकता है। प्रयागराज में आयोजित कुम्भ के दौरान 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करना कठिन काम होता है, कई बार ऐसे आयोजनों में अप्रिय घटनाएं हो जाती हैं। लेकिन प्रशासन की मुस्तैदी की बदौलत कुम्भ न केवल सुरक्षा की दृष्टी से कामयाब रहा, बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार को वैश्विक स्तर पर भी प्रसंशा हासिल हुई।
दूसरा और सबसे संवेदनशील मामला राममंदिर के निर्माण का फैसला था। सुप्रीमकोर्ट जब यह फैसला सुनाने वाला था, तब सभी के जेहन में यही सवाल था कि इस फैसले पर जनता की प्रतिक्रिया कैसी होगी। अयोध्या पर आने वाला फैसला हवा में एक अजीब प्रकार का भय फैला रहा था। सबके मन में यही संशय था कि कोई अराजक घटना न घटे। ऐसा सोचना स्वाभाविक भी था क्योंकि यह फैसला दो समुदायों की भावनाओं को प्रभावित करने वाला फैसला था। किन्तु, फैसले के बाद समूचे प्रदेश में एक भी अप्रिय घटना सुनाई नहीं दी।
यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कानून व्यवस्था में सुधार के दावे की अग्निपरीक्षा थी, जिसमें प्रदेश प्रशासन ने अनुकरणीय सफ़लता हासिल की। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर प्रदेश में कई जगह हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। हिंसक भीड़ कानून व्यवस्था को हाथ में लेने से पीछे नहीं हट रही थी, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने बहुत अल्प समय में इसपर काबू तो पाया ही, साथ ही सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने वालों से ही उसकी भरपाई करने की अभूतपूर्व लड़ाई लड़ी तथा अंत में उत्तर प्रदेश रिकवरी पब्लिक एवं प्राइवेट प्रोपर्टी कानून बनाकर यह साबित कर दिया कि विरोध के नाम पर हिंसा की साजिश रच सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने वालों की अब खैर नहीं है।
स्वास्थ्य क्षेत्र की सेहत में सुधार
स्वास्थ्य व्यक्ति की मूलभूत सुविधाओं में सबसे पहले आता है। हर सरकार का दायित्व होता हैं कि वो अपने राज्य के नागरिकों को स्वस्थ रखे। योगी सरकार ने इस दायित्व का बड़ी कुशलता से निर्वहन किया है। योगी की तमाम चुनौतियों में से एक बड़ी चुनौती इंसेफेलाइटिस से निपटना था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस चुनौती को लेकर गंभीर प्रयास किये जिसका असर अब दिखने लगा है। राज्य में इंसेफेलाइटिस के मामलों में 56 फीसदी की कमी आने के साथ-साथ इस जानलेवा बीमारी से होने वाली मौत के आकड़े में भी 81 फीसदी की कमी आई है जो दर्शाता है कि योगी सरकार ने राज्य की बीमार पड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था की सेहत को दुरुस्त करने का काम किया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना का भी सफल क्रियान्वयन राज्य में हो रहा है। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत अभी तक 1 करोड़ 18 लाख परिवार लाभान्वित हुए हैं। इसके साथ ही सबसे बड़ा काम प्रदेश के 21 जिलों में नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है। इससे न केवल प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य की सुविधा मिलेगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। गोरखपुर और रायबरेली में एम्स का कार्य भी तीव्रता से हो रहा है। अब वह दिन दूर नहीं है जब प्रदेश के सुदूर गाँव में रहने वाली जनता को भी उच्च स्वास्थ्य की सुविधाएं आसानी से प्राप्त होने लगेंगी।
योगी सरकार की नीतियों एवं उसके क्रियान्वयन को देखकर यह कहना अनुचित नहीं होगा कि योगी की नेतृत्व वाली सरकार प्रदेश की जनता के बीच अपने भरोसे को मजबूती के साथ कायम रखा है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)