पाकिस्तान के प्रति चीन की नरमी ने आतंकवाद को बल दिया है और यह बात आज अमेरिका भी स्वीकार कर चुका है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंक को लेकर मोदी सरकार की यह एक बड़ी कामयाबी है। इस प्रकार सरकार आतंकवाद पर सेना, जांच एजेंसियों और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के द्वारा हर तरफ से हमला बोला रही है। हर तरफ से हो रहे इस हमले से न केवल घाटी में बल्कि सीमा पार भी आतंकियों के हौसले पस्त होते जा रहे हैं।
आज भारत लगातार आतंकवाद का डटकर मुक़ाबला कर रहा है। भारत में आतंकवाद से सीधे तौर पर प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर में इन दिनों आतंकियों की शामत आई हुई है। एक तरफ सेना लगातार आतंकियों पर हमला बोल रही है, तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी पाकिस्तान से फंड लेकर आतंकियों को पालने-पोसने वाले अलगाववादियों की नकेल कसने में लगी है। इधर अमेरिका ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को ‘ अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन’ घोषित कर दिया है। कुछ समय पूर्व इसी संगठन के एक आतंकी सईद सलाहुद्दीन को ‘वैश्विक आतंकी’ भी घोषित किया गया था।
इसका सीधा-सा मतलब ये है कि हिजबुल मुजाहिद्दीन अब अल कायदा, इस्लामिक स्टेट, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन की सूची में शामिल है। ये न केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत द्वारा पाकिस्तान को आतंक-पोषक देश सिद्ध करने से सम्बंधित पक्ष को मजबूती देगा बल्कि इससे इस तथाकथित आजादी की मांग करने वाले उग्रवादी संगठन की भी नकेल कसी जा सकेगी।
हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने हुर्रियत के कई नेताओं समेत अन्य प्रमुख लोगों के आतंकी संगठनों से संबंधों होने की बात कही है, इसमें हुर्रियत नेता गिलानी का दामाद भी शामिल है। अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी और उनसे सख्त पूछताछ से एनआईए को जो जानकारियाँ प्राप्त हुई हैं, उसके आधार पर बीते दिनों एजेंसी ने लगभग 12 जगहों पर छापेमारी की।
इन छापों की जगहों में 2 वकील, 2 ड्राइवर और एक सरकारी कर्मचारी शामिल थे। इनमे एक वकील मोहम्मद शफ़ी रेशी हुर्रियत नेता गिलानी का करीबी और पीडीपी विधायक यशीर रेशी का चाचा है। इन सबको हवाला फंडिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही, सेना ने भी 125 आतंकियों की लिस्ट जारी की है, जिनमें से चुन-चुन कर आतंकियों का सफाया किया जा रहा है।
यानी भारत सरकार आतंकवाद से लड़ने के लिए चारो ओर से निशाना साधे हुए है और कड़क मिजाज बरकरार रखते हुए देश की सुरक्षा में लगी हुई है। अमेरिका का भारत के स्वतंत्रता दिवस के तुरंत बाद दक्षिण-एशियाई देशों में पाकिस्तान को एकदम अलग-थलग पड़ते जाने की बात कहना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाक प्रेरित आतंकवाद को लेकर एक सख्त रुख बनते जाने को ही दर्शाता है।
पाकिस्तान के प्रति चीन की नरमी ने आतंकवाद को बल दिया है और यह बात आज अमेरिका भी खुले तौर पर स्वीकार कर चुका है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंक को लेकर मोदी सरकार की यह एक बड़ी कामयाबी है। इन बातों के आलोक में कहा जा सकता है कि सरकार द्वारा आतंकवाद पर सेना, जांच एजेंसियों और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के द्वारा हर तरफ से हमला बोला जा रहा। हर तरफ से हो रहे इस हमले से न केवल घाटी में बल्कि सीमा पार भी आतंकियों के हौसले पस्त होते जा रहे।
(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)