सरकार के सुधारगामी क़दमों से अर्थव्यवस्था में बेहतरी आने की उम्मीद

सेवा और विनिर्माण दोनों ही क्षेत्रों की गतिविधियों को दर्शाने वाला कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जनवरी के 56.3 से बढ़कर फरवरी में 57.6 पर पहुंच गया। यह लंबी अवधि की औसत 54.6 की तुलना में अधिक है। सेवा क्षेत्र में घरेलू और विदेशी दोनों ही बाजारों में मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक सेवा और विनिर्माण दोनों ही क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने से निजी क्षेत्र में 8 सालों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है।

सेवा क्षेत्र में फरवरी में लगातार पांचवें महीने तेजी दर्ज की गई। चार मार्च को जारी मासिक सेवा पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई) सर्वेक्षण के मुताबिक फरवरी में सेवा क्षेत्र में 7 सालों  में सबसे अधिक तेजी दर्ज की गई। सर्वेक्षण के अनुसार नये ठेके और निर्यात की मांग में बढ़ोतरी और कारोबारी माहौल सुधरने से ये तेजी दर्ज की गई। 

आईएचएस मार्केट इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स भी जनवरी के 55.5 से बढ़कर फरवरी में 57.5 पर पहुंच गया। जनवरी 2013 के बाद सेवा क्षेत्र के उत्पादन में यह सर्वाधिक तेजी है। अंतरराष्ट्रीय मांग में बहुत अधिक तेजी नहीं आई है, लेकिन इसकी रफ्तार लंबी अवधि के औसत से ज्यादा है। 

सांकेतिक चित्र

पिछले साल के सितंबर महीने से हर महीने सेवा क्षेत्र की रफ्तार में तेजी आ रही है। सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। इससे अर्थव्यवस्था में जान बरकरार है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र की आधी से अधिक हिस्सेदारी है। दूसरी अहम राहत की बात यह है कि रबी सत्र में उत्पादन बेहतर रहने के संकतों से कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर भी 3 प्रतिशत से अधिक रही है।

निजी क्षेत्र में भी तेजी

सेवा और विनिर्माण दोनों ही क्षेत्रों की गतिविधियों को दर्शाने वाला कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जनवरी के 56.3 से बढ़कर फरवरी में 57.6 पर पहुंच गया। यह लंबी अवधि की औसत 54.6 की तुलना में अधिक है। सेवा क्षेत्र में घरेलू और विदेशी दोनों ही बाजारों में मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक सेवा और विनिर्माण दोनों ही क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने से निजी क्षेत्र में 8 सालों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है।

व्यय में वृद्धि 

उपभोक्ता व्यय लगातार पिछली कई तिमाहियों से 6 प्रतिशत से नीचे रहा है, लेकिन चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में सरकारी व्यय दूसरी एवं तीसरी तिमाही में क्रमश: 13.2 प्रतिशत और 11.8 प्रतिशत दर से बढ़ा है, जिससे उपभोक्ता व्यय में आई कमी की कुछ भरपाई हुई है।

सुधार की सरकारी पहल  

पिछले साल कारोबार को बढ़ाने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। समिति ने  सुझाव दिया था कि कंपनी कानून में जितने भी क्षम्य अपराध हैं, उनमें आधे से अधिक को अपराध की श्रेणी से बाहर करने से कारोबारी माहौल में सकारात्मक बदलाव आयेगा। कंपनी कानून में जिन गैर कानूनी गतिविधियों को एक निश्चित राशि का भुगतान कर निष्पादित किया जा सकता है, उन्हें क्षम्य अपराध कहते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 मार्च को कंपनी कानून, 2013 में कुल 72 संशोधनों को मंजूरी दी है।

वित्त मंत्री ने कहा है कि कंपनी कानून के अंदर 66 क्षम्य अपराधों में से 23 की श्रेणी बदली जायेगी और 7 अपराधों को समाप्त किया जायेगा। सरकार कई धाराओं में से कारावास के प्रावधानों को हटा देगी और कई क्षम्य अपराधों के लिये निर्धारित दंड शुल्क को कम करेगी। इसके अलावा 50 लाख रुपए से कम सीएसआर जिम्मेदारी वाली कंपनियों को अब सीएसआर समिति बनाने की जरूरत नहीं होगी, जिससे उनकी परेशानी कम होगी। सरकार ने कारोबारी सहूलियत को बढाने के दृष्टिकोण से ये फैसले लिए हैं।    

बैंकों का विलय 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 मार्च को 10 सरकारी बैंकों का आपस में विलय करके 4 बड़े बैंक बनाने की अधिसूचना जारी कर दी। सरकार की योजना के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक के साथ ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय होना प्रस्तावित है। विलय के बाद इनका कारोबार 17.94 लाख करोड़ रूपये का हो जायेगा और यह देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। 

भारतीय स्टेट बैंक पहले की तरह देश का सबसे बड़ा बैंक बना रहेगा। केनरा बैंक के साथ सिंडीकेट बैंक का विलय होना प्रस्तावित है। विलय के बाद इनका कारोबार 15.20 लाख करोड़ रूपये का हो जायेगा और यह देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक होगा। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का विलय होना प्रस्तावित है। विलय के बाद इनका कारोबार 14.59 लाख करोड़ रूपये का हो जायेगा और यह देश का पाँचवाँ सबसे बड़ा बैंक हो जायेगा।

इंडियन बैंक के साथ इलाहाबाद बैंक का विलय होना प्रस्तावित है। विलय के बाद इनका कारोबार 8.08 लाख करोड़ रूपये का हो जायेगा और यह देश का सातवाँ बड़ा बैंक होगा। इस विलय बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 से कम होकर 12 रह जायेगी। माना जा रहा है कि इस विलय से बैंकों को पूँजी का सामना नहीं करना पड़ेगा साथ ही साथ उनके प्रदर्शन में भी इजाफा होगा।   

एमएसई में क्रेडिट वृद्धि 10 महीनों के उच्चतम स्तर पर 

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एएससीबी) के जनवरी 2020 के सेक्टोरल क्रेडिट ग्रोथ आंकड़ों के मुताबिक कुल बैंक क्रेडिट का लगभग 90 प्रतिशत क्रेडिट ग्रोथ 39 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा किये गये ऋण वितरण के कारण हुआ है। इससे यह पता चलता है कि इंक्रीमेंटल क्रेडिट उद्योग को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों में उल्लेखनीय रूप से हुआ है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में वाईटीडी आधार पर क्रेडिट ग्रोथ 3.8 प्रतिशत की दर से बढ़कर 421 बिलियन रुपये रुपए हो गया। सेवा क्षेत्र में वाईटीडी आधार पर वृद्धि 0.7 प्रतिशत रही, जो राशि में 640 बिलियन रुपए है। 

व्यक्तिगत ऋण में वाईटीडी आधार पर वृद्धि 12.5 प्रतिशत की दर से हुआ, जो राशि में 2765 बिलियन रूपये था। एमएसई क्षेत्र में क्रेडिट बढ़कर 10 महीनों में 387 बिलियन रूपये हो गया है, जबकि उद्योगों में वाईटीडी आधार पर 683 बिलियन रुपये की नकारात्मक वृद्धि हुई है, जबकि दिसंबर 2019 में 221 बिलियन रूपये और जनवरी 2020 में 232 बिलियन रुपये की वृद्धि हुई थी। हालांकि, इस साल के अंत तक इसमें सकारात्मक वृद्धि होने की संभावना बनी हुई है। 

उद्योग के भीतर, पेपर एवं पेपर उत्पाद, लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद, बेवरेज एंड तंबाकू, रबर व प्लास्टिक और उनके उत्पाद, सीमेंट एवं उसके उत्पाद, दूरसंचार और सड़क, निर्माण आदि क्षेत्रों में वृद्धि हो रही है, लेकिन टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, केमिकल एवं केमिकल उत्पाद, बेसिक मेटल एवं मेटल उत्पाद और इंजीनियरिंग उत्पाद में सुस्ती का माहौल है। 

माँग में तभी तेजी आयेगी, जब कारोबारियों और आम आदमी को सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होगा। इस मामले में बैंकों ने सकारात्मक पहल की है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना बढ़ी है। कुछ क्षेत्रों में क्रेडिट ग्रोथ भी हुआ है। निजी क्षेत्र के प्रदर्शन में बेहतरी आई है। व्यय में भी वृद्धि हुई है, जिससे माँग में तेजी आने की उम्मीद है। सरकार ने कंपनी कानून में संशोधन और बैंकों के विलय की मदद से अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में अग्रतर कदम उठाया है। माना जा रहा है कि सरकार द्वारा उठाये गये इन कदमों से आर्थिकी में बेहतरी आयेगी।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)