जीएसटी के आंकड़ों से पता चलता है कि जीएसटी के कार्यान्वयन से राज्यों को लाभ हुआ है। उल्लेखनीय है कि 24 राज्यों में से 15 राज्यों को कर राजस्व में पिछले वित्त वर्ष के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2018 में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब आदि राज्यों ने जीएसटी के कारण अधिकतम राजस्व संग्रह किया।
पुरजोर विरोध एवं मशक्कत के बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई, 2017 से लागू हो गया। शुरू में मुख्य तौर पर दरों और स्लैबों की संख्या को लेकर विपक्षी दलों ने विरोध किया, लेकिन सरकार ने इसे सकारात्मक रूप से स्वीकार करते हुए उनमें आवश्यकतानुसार संशोधन किया। इसके अलावा भी सरकार ने दूसरे जरूरी सुधार किये।
जीएसटी को लागू हुए 1 साल होने को हैं। इसलिये, 45वीं मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी पर चर्चा करते हुए इसे ईमानदारी की जीत बताया है। इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को लागू करने के बाद सरकार को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन इससे जुड़ी दिक्कतें जल्द ही समाप्त हो गईं। छोटे कारोबारियों को जरूर इस कर प्रणाली से दिक्कत हुई, फिर भी उन्होंने इसे अपनाया।
गौरतलब है कि अभी भी पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया गया है। एक साल बीतने के बाद सरकार को इसे जीएसटी के दायरे में लाने की पहल करनी चाहिए। रिफ़ंड एवं रिटर्न की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है, जिससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आई और कर वंचना की घटनाएँ भी कम हुई। अब इससे जीएसटी संग्रह में बदोतरी हो रही है।
वित्त वर्ष 2018 में जुलाई, 2017 से फरवरी, 2018 के बीच जीएसटी संग्रह 7.41 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें से सीजीएसटी घटक 1.19 लाख करोड़ रुपये, एसजीएसटी 1.72 लाख करोड़ रुपये और आईजीएसटी 3.66 लाख करोड़ रुपये एवं शेष 0.62 लाख करोड़ रुपये मुआवजे सेस के रूप में एकत्र किया गया।
हालाँकि, आईजीएसटी के मद में आने वाली 1.68 लाख करोड़ रुपये का अभी तक केंद्र और राज्यों के बीच में बँटवारा नहीं हुआ है। इसमें से राज्यों को 40 प्रतिशत हिस्सा मिलना है। राज्यों द्वारा प्राप्त कुल जीएसटी 3.99 लाख करोड़ रुपये है। केंद्र का हिस्सा वित्त वर्ष 2018 में लगभग 3.42 लाख करोड़ रुपये रहा।
वित्त वर्ष 2019 के केंद्रीय बजट में 7.43 लाख करोड़ रुपये जीएसटी संग्रह का अनुमान लगाया गया था। 21 प्रमुख राज्यों ने लगभग 5.62 लाख करोड़ रूपये जीएसटी का अनुमान एसजीएसटी और आईजीएसटी को मिलाकर लगाया था। वित्त वर्ष 2019 में प्रति माह 1.08 लाख करोड़ रूपये जीएसटी संग्रह के औसत अनुमान के आधार पर माना जा रहा है कि वित्त वर्ष के अंत में यह 13.05 लाख करोड़ रूपये होगा।
अप्रैल, 2018 में जीएसटी संग्रह 0.94 लाख करोड़ रुपये था और मार्च, 2018 में 1.03 लाख करोड़ रुपये। इस तरह, दोनों महीनों में औसत जीएसटी संग्रह 0.98 लाख करोड़ रुपये था। राज्यों ने वित्त वर्ष 2019 में 18,698 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व संग्रह किया। जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद, कर अनुपालन में सख्ती एवं कर के आधार में बढ़ोत्तरी के कारण राज्यों का कर राजस्व वित्त वर्ष, 2018 में बढ़ गया है।
हालाँकि, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने कराधान की प्रकृति में बदलाव के कारण जीएसटी संग्रह में गिरावट दर्ज किया है। सेवा कर, वैट, उत्पाद शुल्क, प्रवेश कर, मनोरंजन कर जैसे अप्रत्यक्ष करों को एक कर यानी जीएसटी में समाहित होने से राज्यों को समायोजन के मोर्चे पर जीएसटी संग्रह में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार पहले से ही सहमत है कि जीएसटी के कारण राजस्व संग्रह में किसी भी कमी के लिये राज्यों को अगले 5 सालों तक मुआवजा दिया जायेगा। इस संदर्भ में 24 राज्यों, जिसमें उत्तर पूर्वी राज्य शामिल नहीं हैं, के बजट दस्तावेज के आधार पर किये गये कर राजस्व संरचना के विश्लेषण से पता चलता है कि राज्यों के कर राजस्व पर जीएसटी का प्रभाव केवल कुछ राज्यों को छोड़कर नगण्य है।
जीएसटी के आंकड़ों से पता चलता है कि जीएसटी के कार्यान्वयन से राज्यों को लाभ हुआ है। उल्लेखनीय है कि 24 राज्यों में से 15 राज्यों को कर राजस्व में पिछले वित्त वर्ष के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2018 में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब आदि राज्यों ने जीएसटी के कारण अधिकतम राजस्व संग्रह किया।
गौरतलब है कि जीएसटी लागू करने के बाद राज्यों ने वित्त वर्ष 2018 में 18,698 करोड़ रुपये की कमाई की है। दिलचस्प बात यह है कि पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण राज्यों ने 18,728 करोड़ रुपये कमाये हैं, वहीं जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण वित्त वर्ष 2018 में राज्यों ने अतिरिक्त रूप से 18,698 करोड़ रुपये कमाये हैं।
यदि हम इस राशि को 18,728 करोड़ रुपये के साथ मिलाएँ, जो राज्यों ने कच्चे तेल में वृद्धि के कारण कमाये थे तो उन्हें कुल 37,426 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। कहा जा सकता है कि राजस्व में बढ़ोतरी से केंद्र एवं राज्य सरकारें विकासात्मक एवं सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कार्यों पर यथोचित राशि खर्च करने में समर्थ हो सकेंगे।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)