हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन : पाक को अलग-थलग करने की दिशा में भारत का एक और कदम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के बीच विगत दिनों संपन्न हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन में व्यापार और निवेश को बढ़ाने पर चर्चा हुई, जिससे कि दक्षिण एशिया में भारत पाकिस्तान के विरुद्ध अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में शनैः-शनैः कदम बढ़ाता दिख रहा है। अफगानिस्तान की जर्जर अर्थव्यवस्था के पुननिर्माण और रक्षा व सुरक्षा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने का वादा करके वह चीन और पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए आगे बढ़ता दिख रहा है।

वर्तमान समय में तालिबान और पाक समर्थित आतंकवाद की जो फैक्टरी अफगानिस्तान में पनपती जा रही है, उसपर लगाम कसना भारत और अफगानिस्तान दोनों के लिए सुरक्षा और शांति की दृष्टि से नितांत आवश्यक हो चला है और आतंकवाद को रोकने की दिशा में अफगानिस्तान व भारत के बीच हो रहे रक्षा आदि के क्षेत्र में समझौता इन नापाक आतंकी इरादों पर पानी फेरने वाला हो सकता है।

आतंकवाद के मुद्दे पर भी दोनों देशों का रूख तीखा दिखा, जिससे यह आशा की जा सकती है कि आने वाले समय में अफगानिस्तान आतंकवाद के मुद्वे पर भारत के साथ खड़ा रहेगा, क्योंकि अफगानिस्तान भी पाक प्रायोजित आतंकवाद से अछूता नहीं रहा है। हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में खासकर भारत और अफगानिस्तान के मध्य आतंकवाद और चरमपंथ के खात्मे को लेकर गहन विचार-विमर्श किया गया, जो दोनों देशों के लिहाज से नितांत जरूरी मुद्दा था। इस दिशा में सरकार सटीक दृष्टिकोण के साथ काम करती नजर आ रही है। पहले बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों का समर्थन और अब अफगानिस्तान का समर्थन प्राप्त करना भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ युद्ध की दिशा में बड़ी सफलता कहा जा सकता है।

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प्रधानमंत्री मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी

चीन अपने व्यापारिक हितों को साधने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करता रहा है, जिसपर अगर काबू पा लिया जाए, तो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की नसें बंद करने में काफी सहायता मिलेगी। आज के दौर में जब मोदी सरकार आतंकवाद और उसके पोषक पाकिस्तान को कड़ाई से जवाब देने की नीति पर चल रही है, तो ऐसे समय में अफगानिस्तान जैसे पाकिस्तान के निकटवर्ती देश का भारत में पक्ष में खड़ा होना बेहतर ही कहा जाएगा। हमें नहीं भूलना चाहिए कि ये वही अफगानिस्तान है, जो कभी भारत-पाक युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान का साथ देने की खुली उद्घोषणा किया करता था, लेकिन आज वो भारत से हाथ मिलकर पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर लताड़ रहा है। ये मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता कही जाएगी।   

वर्तमान समय में तालिबान और पाक समर्थित आतंकवाद की जो फैक्टरी अफगानिस्तान में पनपती जा रही है, उसपर लगाम कसना भारत और अफगानिस्तान दोनों के लिए सुरक्षा और शांति की दृष्टि से नितांत आवश्यक हो चला है और आतंकवाद को रोकने की दिशा में अफगानिस्तान व भारत के बीच हो रहे रक्षा आदि के क्षेत्र में समझौता इन नापाक आतंकी इरादों पर पानी फेरने वाला हो सकता है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)