कांग्रेस आज अपने सबसे खराब राजनीतिक दौर से गुजर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव की शर्मनाक पराजय के बाद लगा कि शायद वो अपनी पिछली गलतियों से सबक लेगी। लेकिन अनुच्छेद-370 के खात्मे पर उसने जिस तरह का रुख अख्तियार किया हुआ है और उसकी तरफ से जिस तरह पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने वाले बयान दिए गए हैं, उससे लगता है कि वो पिछली गलतियों से कोई सबक लेने को तैयार नहीं है। शायद इससे भी बुरी दशा में पहुंचकर ही उसे होश आएगा।
भारत सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाहट में है। वो लगातार इस मसले को विश्व पटल पर मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन दिक्कत ये है कि भारत की कूटनीतिक लामबंदी और बढ़ते वैश्विक प्रभाव के समक्ष चीन के सिवाय कोई भी देश इस मसले पर पाकिस्तान का साथ देने को तैयार नहीं नजर आ रहा है। चीन भी पूरी तरह से खुलकर उसका पक्ष नहीं ले पा रहा।
पहले पाकिस्तान ने ये विषय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया जहां वो और उसका साथी चीन एकदम अकेले पड़ गए। मुस्लिम देशों ने तक पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। गत 10 सितम्बर को पाकिस्तान इस मसले को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में लेकर पहुंचा और मामले की अंतर्राष्ट्रीय जांच की मांग की। हालांकि भारत की तरफ से वहां भी पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाकर बेनकाब किया गया।
लेकिन इस पूरे प्रकरण में विशेष बात यह सामने आई कि पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिए तैयार डोजियर में कश्मीर पर भारत को घेरने के लिए भारत के ही दो नेताओं राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला के बयानों का सहारा लिया गया है।
राहुल गांधी के हवाले से लिखा गया है, “20 दिनों से जम्मू-कश्मीर के लोगों की आजादी और नागरिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगा हुआ है। जब हमने श्रीनगर जाने की कोशिश की तो देखा कि विपक्ष के नेताओं और प्रेस को क्रूर प्रशासन और कठोर बल का सामना करना पड़ रहा है।” इसी तरह उमर अब्दुल्ला के बयान का भी जिक्र है। इसके अलावा पिछले महीने जब अनुच्छेद-370 खत्म किया गया था तो पाकिस्तान के मानवाधिकार मंत्री ने राहुल गांधी के ट्विट को आधार बनाकर संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखा था।
कहने की जरूरत नहीं कि एक तरफ भारत सरकार वैश्विक मंचों पर अनुच्छेद-370 हटाने पर पाकिस्तान के आरोपों का कड़ाई से उत्तर दे रही है, तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी जैसे नेताओं द्वारा राजनीतिक कारणों से दिए गए उल-जुलूल बयानों से पाकिस्तान को मदद मिल रही है।
अब कांग्रेस भले इसपर कुछ भी सफाई दे और पाकिस्तान को भला-बुरा कह डैमेज कंट्रोल की कोशिश करे, लेकिन यह तथ्य नहीं बदल सकती कि राहुल गांधी के बयान का पाकिस्तान ने अपने पक्ष में इस्तेमाल किया है। और सिर्फ राहुल गांधी ही क्यों, जब यह अनुच्छेद खत्म किया गया था, तब कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, पी. चिदंबरम आदि नेताओं ने जो बयान दिए थे, उन्होंने भी पाकिस्तान में कुछ कम सुर्खियाँ नहीं बटोरी थीं।
वैसे ये कोई पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस की तरफ से पाकिस्तान को जंचने वाले बयान दिए गए हैं। इससे पूर्व सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद सरकार से सबूत मांगने वाले बयान देकर राहुल गांधी सहित तमाम कांग्रेसी नेता पाकिस्तान में खूब हीरो बने थे। कांग्रेस के ही मणिशंकर अय्यर तो पाकिस्तान में जाकर यह फ़रियाद करते भी नजर आ चुके हैं कि मोदी को हटाने में वो कांग्रेस की मदद करे। कोई कितना कहे, कांग्रेस के पाकिस्तान प्रेम के अनेक उदाहरण हैं।
कांग्रेस आज अपने सबसे खराब राजनीतिक दौर से गुजर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव की शर्मनाक पराजय के बाद लगा कि शायद वो अपनी पिछली गलतियों से सबक लेगी। लेकिन अनुच्छेद-370 के खात्मे पर उसने जिस तरह का रुख अख्तियार किया हुआ है और उसकी तरफ से जिस तरह पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने वाले बयान दिए गए हैं, उससे लगता है कि वो पिछली गलतियों से कोई सबक लेने को तैयार नहीं है। शायद और बुरी दशा में पहुंचकर ही उसे होश आएगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)