भारत विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान कदम दर कदम भारत से मुंह की खाता रहा लेकिन वो इससे कोई सीख नहीं ले सका, अथवा लेने की कोशिश नहीं किया। उसके इरादे भारत और खासकर कश्मीर को लेकर कभी भी नेक नहीं रहे। वो उसी कबिलाई मानसिकता में आज भी जी रहा है, जिसकों सदियों पहले सभ्य समाज द्वारा नाकार दिया गया था। अपनी अंदरूनी मामलों से निबटने के बजाय पाकिस्तान हमेशा कश्मीर का राग अलापता रहता है, और यहां अस्थिरता पैदा करने और अलगाव को हवा देने में लगा रहता है। जबकि उस के खुद के आंतरिक मामले इतने जटिल है जो निकट भविष्य में पाकिस्तान को कई टूकड़ों में विभाजित कर सकता है। पाकिस्तानी सेना में जिस तरह पंजाबी पठानो का बोला बाला है और पूरे पाकिस्तान खासकर बलुसिस्तान में जिस प्रकार उन लोगों का आतंक है वह पूरी दुनिया देख रही है। आज भी वहां कि पंजाबी बहुल आर्मी मुहाजिरों (भारत के प्रवासी मुसलमान) को शक के नजरिए से देखती है। आए दिन नौजवानों को जबरन उठा लिया जाता है और मौत के घाट सुला दिया जाता है। पाकिस्तान के निर्वासित लेखक और समाजिक कार्यकर्ता की तारेक फतह की मानें तो पाकिस्तानी आर्मी द्वारा अकेले बलूचिस्तान में अब तक कम से कम 50 हजार नौजवानों को मौत के घाट उतार दिया गया है। इस फेहरिस्त में बूढ़े बच्चे और महिलाएं शामिल नहीं है। वह पाकिस्तान जब कश्मीर में मानवाधिकार की बात करता है तो उसी छवि विश्व पटल पर सिवाय एक विदुषक के कुछ नहीं बनती।
भारत के साथ सीधी जंग लड़ने का अंजाम कई बार भुगत चुके पाकिस्तान के नेता, वहां की सेना और उग्रवादी तत्व यह भली भांति समझ गए हैं कि सीधी टक्कर में पाकिस्तान भारत के सामने कहीं भी नहीं टिक पाएगा। इसलिए अपनी नापाक साजिशों को अंजाम देने के लिए पिछले तीन दशक से कभी आंतंकवाद और कभी अलगाव वाद को हवा देते रहते हैं। और यहीं नहीं इस सवाल पर सही जवाब देने से भी बंचते हैं, या यूं कहें कि सफेद झूठ बोलते हैं। यही हाल कारगिल में हुआ था। जिस तरह कारगिल को लेकर वहां की सेना लंबे समय तक झूठ बोलती रही कि उसमें पाक सेना शामिल नहीं थी मुहाजिरों ने घुसपैठ की थी, उसी तरह वर्तमान में वह सीमा पार से किए जा रहे घुसपैठ पर भी लगातार झूठ बोलते आ रहा है।
अभी कुछ दिन पहले जब भारत कारगिल विजयोत्सव मनाने की तैयारी में लगा था तब पाकिस्तान काला दिवस मना रहा था वह भी एक दुर्दांत आतंकवादी के मारे जाने के विरोध में। खैर आतंक का काला दौर और पंगू होता लोकतंत्र तो पाकिस्तान की नियति ही बन गया है। जहां हर सही और जनहित वाले फैसले फौजी बूटों के तले रौंद दी जाती है, और उस पर भारत विरोध की पटकथा लिखी जाती है। जो खुद पाकिस्तान उसके हुक्मरान और वहां की आवाम के लिए घातक है, इससे भारत की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। इस बात से पाकिस्तान भी बखूबी वाकिफ है लेकिन वो अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चाहे वो 1999 का पाकिस्तानी घुसपैठियों का गुरिल्ला युद्ध हो अथवा 1948 का कबिलाईयों के भेष में कश्मीर में पाकिस्तान का अक्रमण हर बार पाकिस्तान को हार झेलनी पड़ी है। 1965 और 1971 में तो उसका हश्र पूरी दुनिया देख चुकी है।
भारत के साथ सीधी जंग लड़ने का अंजाम कई बार भुगत चुके पाकिस्तान के नेता, वहां की सेना और उग्रवादी तत्व यह भली भांति समझ गए हैं कि सीधी टक्कर में पाकिस्तान भारत के सामने कहीं भी नहीं टिक पाएगा। इसलिए अपनी नापाक साजिशों को अंजाम देने के लिए पिछले तीन दशक से कभी आंतंकवाद और कभी अलगाव वाद को हवा देते रहते हैं। और यहीं नहीं इस सवाल पर सही जवाब देने से भी बंचते हैं, या यूं कहें कि सफेद झूठ बोलते हैं। यही हाल कारगिल में हुआ था। जिस तरह कारगिल को लेकर वहां की सेना लंबे समय तक झूठ बोलती रही कि उसमें पाक सेना शामिल नहीं थी मुहाजिरों ने घुसपैठ की थी, उसी तरह वर्तमान में वह सीमा पार से किए जा रहे घुसपैठ पर भी लगातार झूठ बोलते आ रहा है। जम्मू-कश्मीर सहित देश भर में आतंकी हमलों को अंजाम देने वाली आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तानी सेना और सरकार का किस तरह संरक्षण मिलता रहा है, यह अब किसी से दबी छिपी बात नहीं रह गई है। भारत पाकिस्तान ही नहीं, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ को भी पाकिस्तानी घुसपैठ और साजिशों के पुख्ता सबूत उपलब्ध करवा चुका है। मुंबई अटैक के दस में नौ हमलावर मौके पर ही मार गिराए गए थे जबकि आमिर अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था, जिसे बाद में लंबी सुनवाई के बाद उसके अंजाम तक पहुंचाया गया।मुंबई हमले के बाद एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकवादी कसाब के बारे में भी पहले पाकिस्तान ऐसे ही झूठ बोलता रहा। लेकिन एक पाकिस्तानी टीवी चैनल के खुलासे ने सबकुछ साफ कर दिया पाकिस्तान की नियति भी। वह चैलन यह भी बताया कि कसाब को कैसे पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादी संगठनों ने ट्रेनिंग दिया और किस प्रकार से कराची के रास्ते उसको भारत पहुचाया गया। उसके बाद भी कश्मीर से कई बार भारतीय सैन्यबलों द्वारा पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों को जिंदा पकड़ा गया है। लेकिन पाकिस्तान हमेशा अपनी मक्कारी और फरेब का ही परिचय दिया है।
पाकिस्तान और वहां पल रहे आतंकी संगठनों को यह समझ लेनी चाहिए कि भारत में अब सब कुछ बदल चुका है, वहां एक मजबूत और निणर्णायक सरकार काम कर रही है। जिसके एजेंडे में देश पहले है बाकी अन्य मुद्दे और विषय है। भारत सरकार जिस प्रकार कश्मीर में उपद्रवियों पर नकेल लगा रहा है उससे साफ है कि वो देश की एकता और अखंडता को लेकर कोई भी समझौता नहीं करने वाली है। इसके बाद भी अगर पाकिस्तान समझ पाने में असमर्थ है अथवा समझने की कोशिश नहीं करता है तो यह उसके लिए ही घातक होगा जिसका खामियाजा पाकिस्तान को वर्तमान के साथ-साथ आने वाले भविष्य को भी भुगतना पड़ेगा।