भारत में नरेन्द्र मोदी के पूर्व जितने प्रधानमंत्री हुए थे, उनका जन्म आजादी के पहले हुआ था। नरेन्द्र मोदी भारत की आजादी के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। वे नयी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं। आजादी के बाद जितने लोग पैदा हुए हैं, वे उन्हें सहज अपना प्रतिनिधि मानते हैं। देश में अब तक 15 प्रधानमंत्री बने हैं, उनमें से प्रधानमंत्री बनने से पूर्व वी.पी. सिंह और एचडी देवगौड़ा क्रमशः उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के पूर्व एक दशक से अधिक गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। जब वे मुख्यमंत्री थे, तब गुजरात के चहुंमुखी विकास ने मोदी जी को अखिल भारतीय छवि प्रदान की। वे जब संघ के स्वयंसेवक बने, वे जब संघ के प्रचारक निकले, वे जब गुजरात भाजपा के संगठन मंत्री बने, वे जब राष्ट्रीय मंत्री बने, वे जब राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बने, तब तक किसी को इस आशय की खबर तक न थी कि नरेन्द्र मोदी में शासन-प्रशासन चलाने की अद्भुत क्षमता होगी। लेकिन जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो देश के सभी मुख्यमंत्रियों में उनका श्रेष्ठ स्थान बना। मुख्यमंत्री रहते वे अनेक झंझावातों से जूझते, गोधरा-गुजरात कांड को लेकर उन पर क्या-क्या आरोप नहीं लगाए गए, लेकिन गुजरात के जन-जन के मन में वे निरंतर विकास का कमल खिलाते रहे और यही कारण रहा कि एक-दो बार नहीं, लगातार चार बार भी वे गुजरात में सरकार में निरंतर सफल होते रहे। राज्य से राष्ट्र के पटल पर आना, उनकी नियति बन चुकी थी। भारतीय जनता पार्टी को भी श्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्वस्थता के बाद एक ऐसे महान व्यक्तित्व की आवश्यकता थी, जिसकी बाट राज्य जोह रहा था। संगठनात्मक जौहरियां ने संगठन की कसौटी पर नरेन्द्र मोदी को जांचा, परखा, देखा और पाया कि यह तो अनमोल हीरा है। भारत मां की सेवा इनके हाथों अवश्यंभावी है।
अटलजी की सरकार के बाद मोदी सरकार देश की पहली सरकार है, जिसके क्रियाकलाप, कार्यक्रम, योजना एवं नीतियों में भारत की संस्कृति, लोकभावना एवं जीवन मूल्य परिलक्षित होते हैं। मोदी सरकार की प्राथमिकता में भारत, भारतीय और भारतीयता है। मात्र दो वर्ष चार माह के भीतर विश्व में भारत की स्वीकार्यता जितनी बढ़ी है, शायद आजादी के बाद बीते 68 वर्षों में नहीं बढ़ पायी थी। भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि जो दयनीय स्थिति में थी, उसे प्रखर रूप में स्थापित करने का जो ऐतिहासिक कार्य प्रारंभ हुआ है, उसे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर न केवल देश बल्कि पूरा विश्व स्वतः सराह रहा है।
17 सितंबर 1950 को गुजरात के मेहसाणा के वडनगर स्थान पर पैदा हुए नरेन्द्र मोदी अति गरीब परिवार के थे, पर उन्होंने मातृसेवा में गरीबी को आड़े नहीं आने दिया। संघर्ष किया। संपर्क किया। संवाद किया और धीरे-धीरे उनकी मूल वृत्ति मां भारती की सेवा की ओर बढ़ती गयी। उन्होंने अल्पायु में यह सिद्ध किया कि अगर मातृवंदना करनी है तो उन्हें कोई रोक नहीं सकता। आज वे देश के प्रधानमंत्री हैं। निश्चित ही उन्हांने अपनी जीवन-यात्रा में अनेक उतार-चढ़ाव देखे होंगे, पर उन्हांने मां भारती और जन-गण की सेवा में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी, जब जहां जैसा अवसर मिला, वे जुनून से जुटते चले गए। गोवा में भाजपा की कार्यकारिणी, चुनाव अभियान प्रमुख के नाते उनके नाम की घोषणा और उसके बाद भारत की जनता से मुखातिब होने की दिशा में 18 से 20 घंटे की अटूट मेहनत ने न केवल भाजपा को बढ़ाया, बल्कि देश की जनता के मन में विश्वास की एक अखण्ड ज्योति जलाई। प्राप्त जन-विश्वास के जनादेश से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने भारत के भाल पर नव-नूतन इतिहास लिखना शुरू कर दिया। लोग आज उनकी सरकार के लिए गए फैसलों से कह रहे हैं कि अब गरीब नहीं, गरीबी मिटने वाली है। गरीबों की आस जगी है। उन्हें अपने जीवन में उत्थान दिखा है।
अटलजी की सरकार के बाद मोदी सरकार देश की पहली सरकार है, जिसके क्रियाकलाप, कार्यक्रम, योजना एवं नीतियों में भारत की संस्कृति, लोकभावना एवं जीवन मूल्य परिलक्षित होते हैं। मोदी सरकार की प्राथमिकता में भारत, भारतीय और भारतीयता है। मात्र दो वर्ष 4 माह के भीतर विश्व में भारत की स्वीकार्यता जितनी बढ़ी है, शायद आजादी के बाद बीते 68 वर्षों में नहीं बढ़ पायी थी। भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि जो दयनीय स्थिति में थी, उसे प्रखर रूप में स्थापित करने का जो ऐतिहासिक कार्य प्रारंभ हुआ है, उसे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर न केवल देश बल्कि पूरा विश्व स्वतः सराह रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने जन्मदिन पर भारत-माता की और अथक सेवा करने के लिए ऊर्जा प्राप्त करने हेतु जन्मदात्री मां की शरण में पहुँचेंगे और आशीर्वाद लेंगे, वहीं देशभर में फैले कार्यकर्ताओं पर राष्ट्रीय और दलीय रूप से यह नैतिक जिम्मेदारी हो जाती है कि वह सरकार की योजनाओं को गांव-गांव, टोला-मोहल्ला, नगर-नगर तक में ले जाएं और आम नागरिक को यह अहसास कराएं कि नरेन्द्र मोदी अपना जन्मदिन नहीं, भारत के 125 करोड़ जन-जन का जन्मदिन सुनहरा हो, सुखमय हो, उस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, यह जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं पर न शीर्ष नेतृत्व देगा, न अन्य कोई नेता बल्कि यह जिम्मेदारी स्वयं से इसलिए लेनी पड़ेगी कि जनता के बीच हम कार्यकर्ता ही जनादेश लेने गए थे। जनादेश मिला तो उसमें एक मौन जनादेश यह भी है कि नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लिए जा रहे ऐतिहासिक फैसलों को हम सब मिलकर जन-जन तक पहुंचाएं। फैसलों को यहां शब्दों में समेटना कठिन है। हम आज अनुभव कर सकते हैं कि भारत विकसित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अभिलाषा, आकांक्षा की आपूर्ति के केन्द्र हम कार्यकर्ता हैं, उनकी अपने जन्मदिन पर यही अभिलाषा होगी। भारत, भारतीय और भारतीयता सबल और प्रबल बने।
(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, कमल संदेश के संपादक एवं राज्यसभा सांसद हैं।)