नोटबंदी के बाद विरोधियों द्वारा सबसे ज्यादा इस बात पर बवाल किया गया कि इससे किसानों और खेती को बहुत नुकसान पहुंचेगा। कृषि व्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। लेकिन, अगर इस साल के पैदावार से सम्बंधित आंकड़ों पर गौर करें तो विरोधियों के सभी दावों की पोल खुलकर सामने आ जाती है। चालू फसल वर्ष में अबतक की सर्वाधिक पैदावार हुई है। पैदावार बढ़ने का सबसे बड़ा कारण होता है मानसून; जो कि इस साल काफी अच्छा रहा है, लेकिन साथ ही केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए शुरू की गयी योजनाएं व नीतियाँ भी इस बढ़े उत्पादन में महत्वपूर्ण कारक रही हैं।
किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, सिंचाई योजना और उन्नत बीजों के साथ संतुलित खादों की आपूर्ति कर रही है, तो दूसरी तरफ अधिकारी वीडियो कांफ्रेसिंग और फोन पर बातचीत के जरिए किसानों से संपर्क करके उन्हें नए तरीकों से पैदावार बढ़ने के लिए टिप्स दे रहे हैं। सरकार के इन सब कदमों और प्रयासों का परिणाम ही फसलों के इस बढ़े उत्पादन के रूप में सामने आया है।
गत दिनों कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक इस बार मानसून अच्छा रहने और केंद्र सरकार द्वारा किए गए अथक प्रयासों के कारण कुल फसल का उत्पादन 27.19 करोड़ टन होगा। यह देश के कृषि उत्पादन के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। पिछले फसल वर्ष उत्पादन का यह आंकड़ा 26.55 करोड़ टन तक ही सिमट कर रह गया था। दालों की कमी को दूर करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों का असर भी अबकी पैदावार में देखा जा सकता है। दलहन फसलों की पैदावार में इस फसल वर्ष में 35.54 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस बार दलहन की पैदावार 2.21 करोड़ रहने के आसार लगाए जा रहे हैं। उल्लेखनीय होगा कि केंद्र सरकार की ओर से दलहन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को पर्याप्त बीज, खाद और कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई गई थी।
अगर भारत में ही पैदावार पर्याप्त हो जाएगी तो केंद्र सरकार को दालों का विदेशों से आयात नहीं करना पड़ेगा, जिससे तकरीबन 2 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचेगी और अगर विदेशी मुद्रा बचेगी तो लाजिम सी बात है कि महंगाई को काबू करने में मदद मिलेगी। स्पष्ट है कि एक तरफ केंद्र सरकार कृषि के लिए हितकारी नीतियां बनाकर देश में फसलों की उत्पादन को बढ़ाने में लगी हुई तो दूसरी तरफ आम जनता को राहत दिलाने के लिए महंगाई पर काबू पाने की भरपूर कोशिश कर रही है।
केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, सिंचाई योजना और उन्नत बीजों के साथ संतुलित खादों की आपूर्ति कर रही है, तो दूसरी तरफ अधिकारी वीडियो कांफ्रेसिंग और फोन पर बातचीत के जरिए किसानों से संपर्क करके उन्हें नए तरीकों से पैदावार बढ़ने के लिए टिप्स दे रहे हैं। सरकार के इन सब कदमों और प्रयासों का परिणाम ही फसलों के इस बढ़े उत्पादन के रूप में सामने आया है।
(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)