आज दुनिया के विकसित देश मंदी की गिरफ्त में आने के कगार पर हैं, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। मंदी के प्रमुख कारकों, जीडीपी, बेरोजगारी, महंगाई आदि के मामलों में भारत दुनिया के विकसित देशों से बेहतर स्थिति में है। फिलवक्त, भारत के तमाम पड़ोसी देशों सहित यूरोप और अमेरिका में महंगाई से हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में महंगाई मार्च 2023 में घटकर 15 महीनों के निचले स्तर 5.66 प्रतिशत पर पहुँच गई। इधर, यूरोपीय देशों की मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गई हैं, लेकिन रुपए की स्थिति उनके मुक़ाबले बेहतर है और हाल में रुपए की तुलना में डॉलर में कमजोरी देखी गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2023 में क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लोगों ने 1.37 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया। यह लगातार 13वां महीना है, जब क्रेडिट कार्ड से लोगों ने 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया। वहीं, राष्ट्रीय भुगतान निगम के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2022 की तुलना में मार्च 2023 में यूपीआई लेनदेन की मात्रा में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि लेनदेन की राशि में 46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। मार्च 2022 में, यूपीआई के माध्यम से 5.4 अरब लेनदेन किया गया था, जो राशि में 9.6 ट्रिलियन रुपये था।
क्रेडिट कार्ड के तहत ग्राहकों को 1 महीने तक कर्ज शून्य ब्याज दर पर दिया जाता है, लेकिन 1 महीने की अवधि बीत जाने पर खर्च की गई राशि पर पर्सनल लोन से अधिक ब्याज वसूल किया जाता है। ग्राहकों को इस सुविधा के एवज में वार्षिक शुल्क देना होता है। हालाँकि, जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी होती है या जिनकी सैलरी या आय अधिक होती है, उनसे वार्षिक शुल्क नहीं लिया जाता है, जबकि यूपीआई लेनदेन खुद के खाते से किया जाता है अर्थात लोग इसके जरिये खुद के पैसे खर्च करते हैं।
मार्च महीने में 63 प्रतिशत या 86,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीददारी ई-कॉमर्स के जरिये की गई और शेष खर्च प्वाइंट आफ सेल्स के माध्यम से की गई। पिछले साल के मार्च महीने से इस साल मार्च महीने में 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि फरवरी महीने की तुलना में खर्च में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
इसके पहले क्रेडिट कार्ड से खर्च का उच्चतम स्तर अक्टूबर 2022 में था, जब त्योहारों की वजह से कुल खर्च 1.29 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया था। फरवरी महीने की तुलना में मार्च महीने में सबसे अधिक खर्च ऐक्सिस बैंक के क्रेडिट कार्ड से की गई। मामले में दूसरे स्थान पर आईसीआईसीआई बैंक और तीसरे स्थान पर एचडीएफसी बैंक था, जबकि चौथे स्थान पर एसबीआई था।
मार्च महीने में बैंकों ने 19.3 लाख क्रेडिट कार्ड जारी किये थे, जिससे क्रेडिट कार्डों की कुल संख्या बढ़कर 853 लाख हो गई। सिटी बैंक के अधिग्रहण के कारण मार्च महीने में ऐक्सिस बैंक के क्रेडिट कार्डों की संख्या बढ़कर 121 लाख हो गई। आईसीआईसीआई बैंक ने मार्च महीने में 7,20,239 क्रेडिट कार्ड जारी किये, जिससे उसके कुल कार्डों की संख्या 144 लाख हो गई। एसबीआई क्रेडिट कार्ड ने 2,56,463 नये कार्ड मार्च महीने में जारी किये, जिससे उसके कुल कार्डों की संख्या बढ़कर 167.6 लाख हो गई। एचडीएफसी बैंक ने मार्च महीने में 2,36,770 नये कार्ड जारी किये, जिससे उसके कुल कार्डों की संख्या बढ़कर 175.3 लाख हो गई।
वित्त वर्ष 2022-23 में क्रेडिट कार्ड से किया जाने वाला खर्च बढ़कर 14 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया, जो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 47.27 प्रतिशत अधिक है। पिछले वित्त वर्ष में क्रेडिट कार्ड से किया जाने वाला कुल खर्च 9.71 लाख करोड़ रुपये था। वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 में कुल डिजिटल लेनदेन 5554 करोड़ किये गये थे, जो राशि में 3000 लाख करोड़ रुपए थी, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में 8840 करोड़ डिजिटल लेनदेन किया गया, जो राशि में 3021 लाख करोड़ रुपए थी।
क्रेडिट कार्ड से किये जाने वाले खर्च में हाल में उल्लेखनीय तेजी आई है, लेकिन कार्डों की संख्या में हुई बढ़ोतरी और किये गये खर्च के अनुपात में अंतर है अर्थात जिस अनुपात में क्रेडिट कार्ड की संख्या बढ़ी है, उस अनुपात में खर्च नहीं बढ़े हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में बैंकों ने 116.7 लाख नये क्रेडिट कार्ड जारी किये, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 111.5 लाख नये क्रेडिट कार्ड जारी किये गये थे।
संख्या और खर्च की हिस्सेदारी के मामले में एचडीएफसी बैंक शीर्ष पर है। मार्च 2023 में एचडीएफसी बैंक की बाजार हिस्सेदारी 27.41 प्रतिशत थी और कार्डों की संख्या के मामले में हिस्सेदारी 20.55 प्रतिशत है। दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर क्रमश: एसबीआई, आईसीआईसीआई और ऐक्सिस बैंक हैं।
क्रेडिट कार्ड से ज्यादा से ज्यादा लोग खरीददारी करें, इसके लिए ग्राहक को विविध उत्पादों को खरीदने में या फिर खाने-पीने की वस्तुओं को खरीदने पर आकर्षक छूट दी जाती है। छूट कैश बैक के माध्यम से भी दी जाती है अर्थात खरीददारी के कुछ दिनों के बाद छूट की राशि खाते में जमा की जाती है। चूँकि, क्रेडिट कार्ड रहने पर ग्राहक को न तो अपने पास नकदी रखना पड़ता है और न ही पैसे के खोने या चोरी होने का डर होता है। कुछ अस्तपतालों, स्कूलों, कॉलेजों आदि में सिर्फ क्रेडिट कार्ड से भुगतान को स्वीकार किया जाता है। इसलिए, इसका इस्तेमाल समीचीन तरीके से करना हमेशा मुफीद होता है।
इन कारणों से आजकल ग्राहक क्रेडिट कार्ड से खर्च करना पसंद करते हैं। वहीं, बैंक क्रेडिट कार्ड्स बिजनेस पर इसलिए ज़ोर देते हैं, क्योंकि इसका गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) प्रतिशत भी दूसरे बैंकिंग उत्पाद से कम है और मुनाफा भी अच्छा है। वहीं, यूपीआई से लेनदेन करना बहुत ही सरल है, इसलिए, रेहड़ी वाले, खोमचे वाले, सब्जी वाले, ऑटो वाले, रिक्शा वाले इसका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं।
कोरोना के प्रभाव के खत्म होने और वैश्विक सुस्ती का देश पर ख़ास प्रभाव न पड़ने के कारण माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में लगातार वृद्धि हो रही है। सितंबर महीने में जीएसटी 1.48 लाख करोड़ रुपए रहा, जबकि अक्तूबर महीने में यह 1.50 लाख करोड़ के स्तर को पार कर गया था।
नवंबर महीने में भी जीएसटी संग्रह 1.46 लाख करोड़ रुपए रहा, जबकि दिसंबर महीने में यह 1.50 लाख करोड़ रूपये रहा। मार्च 2023 में जीएसटी संग्रह 1.60 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि फरवरी 2023 में यह 1.50 लाख करोड़ रुपये और जनवरी महीने में यह 1.57 लाख करोड़ रुपये रहा था। वहीं, सकल व्यक्तिगत आयकर संग्रह 10 मार्च 2023 तक 16.68 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, जो वर्ष दर वर्ष के आधार पर 22.58 प्रतिशत अधिक है।
आज दुनिया के विकसित देश मंदी की गिरफ्त में आने के कगार पर हैं, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। मंदी के प्रमुख कारकों, जीडीपी, बेरोजगारी, महंगाई आदि के मामलों में भारत दुनिया के विकसित देशों से बेहतर स्थिति में है। फिलवक्त, भारत के तमाम पड़ोसी देशों सहित यूरोप और अमेरिका में महंगाई से हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन भारत में महंगाई मार्च 2023 में घटकर 15 महीनों के निचले स्तर 5.66 प्रतिशत पर पहुँच गई। इधर, यूरोपीय देशों की मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गई हैं, लेकिन रुपए की स्थिति उनके मुक़ाबले बेहतर है और हाल में रुपए की तुलना में डॉलर में कमजोरी देखी गई है।
इस तरह, क्रेडिट कार्ड, यूपीआई और अन्य डिजिटल माध्यम के जरिये किए जा रहे लेनदेन में लगातार बढ़ोत्तरी और लेनदेन की राशि में आ रही तेजी से साफ है कि कोरोना काल का बुरा वक्त गुजर चुका है, लोग अपने काम-धंधे पर लौट चुके हैं, उनकी कमाई ठीक-ठाक होने लगी है, वे खुलकर खर्च भी कर रहे हैं आदि। वैश्विक मंदी का भी भारत पर न्यून प्रभाव पड़ा है, क्योंकि आर्थिक गतिविधियों में लगातार तेजी आ रही है और प्रतिकूल स्थिति में भी भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)