कूटनीतिक दृष्टि से नैसर्गिक साझीदार हैं भारत और इजरायल

अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में नेचुरल अलाइस (नैसर्गिक साझीदार) शब्द का अक्सर इस्तेमाल होता है और वास्तव में भारत और इजरायल नेचुरल अलाइस हैं। नेचुरल अलाइस का मतलब होता है, वो देश जिनके कूटनीतिक और सामरिक लक्ष्य एक जैसे हों। भारत और इजरायल में बहुत सारी समानताएं हैं। भारत और इजरायल दोनों ही लोकतांत्रिक देश हैं। दोनों ही देश आतंकवाद से पीड़ित हैं। दोनों ही देशों को अपने पड़ोसी देशों से खतरा रहता है। दोनों ही देश अपनी सुरक्षा के लिए पड़ोसी देशों से कई युद्ध कर चुके हैं।

14 जनवरी को भारत दौरे पर आये इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर दिल्‍ली एयरपोर्ट पर गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। दरअसल इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू का यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजरायल की यात्रा करने के महज छह महीने बाद हुआ है एवं इससे दोनों देशों के बीच 25 साल के कूटनीतिक संबंध को मजबूती मिली है।

तेल अवीव से उड़ान भरने से पहले नेतन्याहू ने कहा था, हम, इजरायल और महत्वपूर्ण विश्व शक्ति (भारत) के साथ संबंधों को मजबूत कर रहे हैं। यह हमें सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, व्यापार, पर्यटन व कई दूसरे पहलुओं में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह इजरायल के लिए बहुत बड़ा आशीर्वाद है।

इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का गले लगकर प्रधानमंत्री मोदी ने किया स्वागत

वर्ष 2003 में एरियल शेरॉन के आने के बाद यह किसी इजरायली प्रधानमंत्री का पहला भारतीय दौरा था, इस लिहाज से भी यह दौरा काफी महत्वपूर्ण था। नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता हुई जिसमें दोनों देशों के बीच 9 समझौतों पर सहमति बनी जो निम्नानुसार हैं:

1- भारत  और  इजरायल के बिच निरस्त हुयी  3181 करोड़ रुपये की एंटी टैंक स्पाइक मिसाइल डील और रॉफेल वेपंस डील को दोबारा कन्फर्म कर दिया गया है। इसके तहत इजरायल, भारत को 8000 एंटी टैंक स्पाइक मिसाइल देगा।

2- टेक्नोलोजिकल कोलैबोरेशन एंड इनोवेशन पर करार हुआ, जिसमें प्रमुख रूप से प्रौद्योगिकी सहयोग, नवाचार, अनुसंधान व विकास, विज्ञान, अंतरिक्ष आदि शामिल हैं।

3- भारत और इजरायल के बीच तेल और गैस क्षेत्र में निवेश को लेकर भी समझौता हुआ।

4- इजरायल द्वारा रिन्यूवेबल एनर्जी के क्षेत्र में भारतीय कंपनियों को उन्नत तकनीक दिए जाने को लेकर समझौता।

5- दोनों देशों के बीच एविएशन सेक्टर को लेकर भी समझौता हुआ है।

6- जुलाई 2017 में पीएम मोदी के इजरायल दौरे के दौरान हुए साइबर सिक्‍योरिटी समझौते को और व्‍यापक बनाया जाएगा।

7- अंतरिक्ष शोध और औद्योगिक रिसर्च को लेकर भी भारत और इजरायल के बीच दो नए समझौते हुए।

8- इजरायल में फिल्मों की शूटिंग को प्रोत्साहन देने को लेकर भी हुआ समझौता।

9- इजरायल से भारत समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य पानी में बदलने की तकनीक सीखेगा। इसके साथ जल प्रबंधन से जुड़ा मुद्दा गंगा की स्वच्छता के लिहाज से भी इजरायल का सहयोग महत्वपूर्ण है। नेतन्याहू के इस दौरे में दोनों देशों के बीच इसे लेकर भी अहम करार हुआ।

नेतन्याहू के इस भारत दौरे पर  दिल्ली के  तीन मूर्ति चैक का नामकरण तीन मूर्ति हाइफा चैक के रूप में किया गया है जो दोनों देशों की साझा ऐतिहासिक विरासत का उदाहरण है और यह अपने आप में ऐतिहासिक घटना  है। अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में नेचुरल अलाइस (नैसर्गिक साझीदार) शब्द का अक्सर इस्तेमाल होता है और वास्तव में भारत और इजरायल नेचुरल अलाइस हैं।

नेचुरल अलाइस का मतलब होता है, वो देश जिनके कूटनीतिक और सामरिक लक्ष्य एक जैसे हों। भारत और इजरायल में बहुत सारी समानताएं हैं। भारत और इजरायल दोनों ही लोकतांत्रिक देश हैं। दोनों ही देश आतंकवाद से पीड़ित हैं। दोनों ही देशों को अपने पड़ोसी देशों से खतरा रहता है। दोनों ही देश अपनी सुरक्षा के लिए पड़ोसी देशों से कई युद्ध कर चुके हैं। इजरायल तकनीकी रूप से बहुत सम्पन्न देश है। भारत को जब भी इजरायल की मदद की जरूरत पड़ी, इजरायल ने हमेशा मदद की है।

वर्ष 1998 में जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया और दुनिया की महाशक्तियां भारत की निंदा कर रही थीं, तब भी इजरायल ने इस मुद्दे पर चुप रहकर एक तरह से भारत का मौन समर्थन किया था। इस लिहाज से भारत और इजरायल की इस जुगलबंदी पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई थीं, क्योकि दिसंबर 2017 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में येरुसलम के मुद्दे पर इजरायल और अमेरिका के खिलाफ वोट दिया था। लेकिन उस कूटनीतिक टकराव का असर इन दोनों देशों की दोस्ती पर नहीं पड़ा।

इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी स्पष्ट किया कि भारत के संयुक्त राष्ट्र में वोट देने से दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होते रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला। दरअसल भारत जैसे समर्थ राष्ट्र की मैत्री विश्व स्तर पर इजराइल की स्वीकृति को भी और बढ़ाती है। हाल के दौर तक तक अपनी तमाम क्षमताओं के बावजूद वह अलगाव ही झेलता रहा है। दूसरी तरफ भारत को विश्व मंच पर खुलकर साथ देने वाला एक सबल साथी मिल गया है। रक्षा और कृषि की दृष्टि से इजरायल की दोस्ती भारत के  लिए लंबे समय से महत्वपूर्ण बनी हुई है। जल प्रबंधन, विज्ञान व तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देश एक दूसरे को सहयोग करते आए हैं।

रूस और अमेरिका के बाद इजरायल भारत का तीसरा सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर है। पिछले तीन सालों में भारत ने इजराइल के साथ 26 हजार करोड़ रुपये के रक्षा सौदे किए हैं। दरअसल भारत को महाशक्ति बनाने हेतु इजरायल जैसे स्पष्टवादी दोस्त की जरूरत है और इजरायल को भी भारत जैसे व्यापक जनसंख्या वाले देश की जरूरत एक बड़े उपभोक्ता बाजार के रूप में है।

(लेखक कॉरपोरेट लॉयर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)