जिस देश में गरीबी हटाओ के नारे के बावजूद गरीबी बढ़ती गई हो वहां आज दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से गरीबी घट रही है। मोदी सरकार की यही उपलब्धि गरीबों के नकली मसीहाओं (राहुल गांधी, मायावती, अखिलेश यादव, लालू यादव) की नींद हराम किए हुए है। इन्हें डर है कि एक बार गरीबी मिट गई तब गरीबों के नाम पर की जानेवाली राजनीति का क्या होगा ?
जिस देश में गरीबी हटाओ के नारे के बावजूद गरीबी बढ़ती गई हो, वहां गरीबी मिटाने की बात करना कल्पना-लोक में विचरण करना ही माना जाएगा। सौभाग्यवश यह कल्पना अब हकीकत में बदल चुकी है। अमेरिकी शोध संस्था ब्रुकिंग्स के फ्यूचर डेवलपमेंट ब्लॉग में प्रकाशित रिपार्ट के मुताबिक भारत अब दुनिया का सबसे ज्यादा गरीबों का घर नहीं रह गया है। मई, 2018 में जहां भारत में 7.30 करोड़ लोग अत्यंत गरीब की श्रेणी में थे, वहीं नाइजीरिया में यह तादात 8.70 करोड़ है। इस प्रकार कुल गरीबों की संख्या के अनुसार भारत अब दूसरे पायदान पर आ गया है।
रिपोर्ट के अनुसार हर मिनट 44 भारतीय अत्यंत गरीब की श्रेणी से निकल रहे हैं। यह दुनिया में गरीबी घटने की सबसे तेज रफ्तार है। यदि यह रफ्तार जारी रहती है तो 2018 के अंत तक भारत सबसे ज्यादा गरीब आबादी वाले देशों में तीसरे नंबर पर आ जाएगा। तब नाइजीरिया पहले व कांगो दूसरे स्थान पर होंगे।
रिपोर्ट में उस आबादी को अत्यंत गरीबी के दायरे में रहने वाली माना गया है जिसके पास रोजाना जीवन यापन के लिए 1.9 डॉलर (लगभग 130 रूपये) से भी कम रकम होती है। रिपोर्ट के मुताबिक 2022 तक तीन फीसदी से कम भारतीय ऐसे रह जाएंगे जिनके पास रोजाना के लिए 1.9 डॉलर नहीं होंगे। वहीं 2030 तक भारत में सबके पास रोजाना जीवन यापन के लिए 1.9 डॉलर होंगे। दूसरे शब्दों में भारत में अत्यंत गरीब शब्द इतिहास के पन्नों में दफन हो चुका होगा।
गरीबी मिटाने की इस सबसे तेज रफ्तार पर मीडिया व मोदी विरोधियों ने चुप्पी साध ली है, क्योंकि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि आंकड़ों की बाजीगरी और चुनावी नारों की बजाय विकास का लाभ जनता तक पहुंचाने के चलते हासिल हुई है। वैसे तो यह उपलब्धि मोदी सरकार की सभी योजनाओं की देन है लेकिन यहां बिजली उपलब्धता और प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण का उल्लेख प्रासंगिक है।
आर्थिक विकास और बिजली आपूर्ति में गहरे संबंध को देखते हुए मोदी सरकार ने सबसे पहले सभी घरों तक बिजली पहुंचाने का समयबद्ध कार्यक्रम निर्धारित किया। हर स्तर पर जवाबदेही तय करने का नतीजा यह हुआ कि मई 2018 तक सभी गांवों तक बिजली पहुंचा दी गई। अब सरकार हर घर तक बिजली पहुंचाने का कार्य युद्ध स्तर पर कर रही है।
बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच खाई को पाटने के लिए मोदी सरकार ने उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि 31 मार्च, 2018 तक देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता बढ़कर 3,44,000 मेगावाट तक पहुंच गई। बिजली उत्पादन के साथ-साथ मोदी सरकार ने बिजली बचाने का अभियान शुरू किया।
पहली बार बिजली बचाने का अभियान विज्ञापनों से आगे बढ़कर ठोस जमीनी रूप लिया। इसके लिए उजाला योजना शुरू की गई जिसके तहत 30 करोड़ से अधिक एलईडी बल्बों का वितरण किया गया। इससे एलईडी बल्बों की कीमत 350 रूपये से घटकर 45 रूपये रह गई। विद्युत विहीन गांवों में बिजली पहुंचने और आपूर्ति में सुधार से देश में कारोबारी गतिविधियों को रफ्तार मिली जिसका लाभ अंतत: गरीबी उन्मूलन में मिल रहा है।
देश में गरीबी निवारण में एक बड़ी बाधा हर स्तर पर फैला भ्रष्टाचार रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसे सत्ता पक्ष का समर्थन हासिल था। इस दुष्चक्र को तोड़ने के लिए मोदी सरकार ने गरीबों को बैंकिंग प्रक्रिया से जोड़ने के लिए जन-धन योजना शुरू की। इसके तहत पिछले चार वर्षों में 32 करोड़ जन-धन बैंक खाते खोले गए। आज की तारीख में 85 प्रतिशत भारतीयों के पास बैंक खाते हैं जबकि 2014 में यह अनुपात महज 45 प्रतिशत था।
इन खातों को आधार संख्या से जोड़ने के बाद विकासीय गतिविधियों, सब्सिडी, छात्रवृत्ति, पेंशन आदि के तहत दी जाने वाली रकम को सीधे बैंक खाते में भेजा जाने लगा। सूचना प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी प्रणाली का परिणाम यह हुआ कि 3.8 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता और 2.75 करोड़ फर्जी राशन कार्डधारी गायब हो गए।
इसी प्रकार दूसरी योजनाओं में बड़े पैमाने पर फर्जी लाभार्थी पकड़े गए। इससे हर साल 83000 करोड़ रूपयों का भ्रष्टाचार रुका जिसे अब सरकार विकासीय गतिविधियों में निवेश कर रही है जिसका दूरगामी नतीजा गरीबी उन्मूलन के रूप में आ रहा है।
इसी तरह मोदी सरकार ने स्थानीय स्तर पर कारोबार को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना, गरोबों को स्वच्छ ईंधन मुहैया कराने के लिए उज्ज्वला योजना, गरीबों को आवास, सर्वाधिक पिछड़े जिलों में विकासीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर विशेष फोकस जैसी योजनाओं को लागू किया जिससे लोगों की आमदनी बढ़ी और वे गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकल रहे हैं।
भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है जब गरीबी हटाओ का नारा लगाए बिना गरीबी कम करने में मदद मिली है। जैसे-जैसे मोदी सरकार की योजनाएं जमीन पर लागू होंगी वैसे-वैसे लोगों की आमदनी बढ़ेगी और गरीबों की संख्या में कमी आएगी। मोदी सरकार की यही उपलब्धि गरीबों के नकली मसीहाओं (राहुल गांधी, मायावती, अखिलेश यादव, लालू यादव) की नींद हराम किए हुए है। इन्हें डर है कि एक बार गरीबी मिट गई तब गरीबों के नाम पर की जानेवाली राजनीति का क्या होगा ?
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)