पिछले दिनों राफेल लड़ाकू विमान विधिवत भारतीय वायु सेना में शामिल किए गए। कोई अन्य अवसर होता तो शायद इसका सन्देश इतना व्यापक नहीं होता। लेकिन इस समय चीन युद्ध जैसी स्थिति बना रहा है। ऐसे में भारत और फ्रांस के संयुक्त सामरिक सन्देश की गूंज दूर तक गई है।
पिछले दिनों राफेल लड़ाकू विमान विधिवत भारतीय वायु सेना में शामिल किए गए। कोई अन्य अवसर होता तो शायद इसका सन्देश इतना व्यापक नहीं होता। लेकिन इस समय चीन युद्ध जैसी स्थिति बना रहा है। ऐसे में भारत और फ्रांस के संयुक्त सामरिक सन्देश की गूंज दूर तक गई है। फ्रांस की रक्षामंत्री ने इसे सामरिक साझेदारी बताया, तो वहीं भारत के रक्षामंत्री ने दुश्मन मुल्क को मुंहतोड़ जवाब देने का मंसूबा दिखाया।
भारत में राफेल विमान डील पर जमकर राजनीति हुई थी। इसके लिए भारतीय प्रधानमंत्री के साथ ही फ्रांस के पूर्व व वर्तमान राष्ट्रपति के नामों का उल्लेख तक किया गया था। चौकीदार शब्द पर अमर्यादित नारे बाजी कराई जाती थी। जबकि सभी आरोप कल्पना पर आधारित थे।
फ्रांस सरकार का नाम लेकर आरोप लगाए गए, लेकिन उसने तुरंत खंडन कर दिया। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति से हुई कथित वार्ता का उल्लेख किया गया। लेकिन पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इसका इसे असत्य करार दिया। अंततः इस प्रकार की मुहिम चलाने वालों को स्वयं ही मुंह छिपाना पड़ा था। अपने बयान के लिए न्यायपालिका से माफी भी मांगनी पड़ी थी।
ऐसा लगा कि राफेल पर चलाए गए दुष्प्रचार अभियान के पीछे डील को रद्द कराने की मंशा थी। इसके बाद बार बार इसमें लगे उपकरणों व उनके दामों पर प्रश्न उठाये जाते थे। जबकि सरकार का कहना था कि इस प्रकार की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती। क्योंकि इससे चीन जैसे शत्रु देश फायदा उठा सकते हैं।
सरकार ने डील से संबंधित सभी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध भी कराई था। आम चुनाव के पहले महीनों तक यह राफेल डील विरोधी अभियान चला था। इसे चुनाव का मुख्य मुद्दा तक बनाने का प्रयास हुआ। लेकिन सरकार विचलित नहीं हुई। उसने कहा कि इस डील को अंजाम तक पहुंचना सेना के हितों के लिए अपरिहार्य है।
इस दृढ़ता का सकारात्मक परिणाम मिला। पिछली विजयदशमी को फ्रांस में रक्षामंत्री द्वारा राफेल का भारतीय परंपरा के अनुरूप पूजन कर उसे देश में लाया गया था। इस समय चीन की हरकतों के बीच राफेल डील का दोहरा लाभ दिखाई दे रहा है। एक यह कि भारतीय वायु सेना की ताकत बढ़ी है, दूसरा यह कि भारत को फ्रांस का खुला समर्थन मिला है।
राफेल लड़ाकू विमान औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना का हिस्सा बन गए। इस अवसर पर जुलाई में फ्रांस से भारत आए पांच राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। अंबाला एयरबेस पर भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षामंत्री फ्लोरेंस पार्ली की मौजूदगी में सर्वधर्म पूजा के साथ समारोह शुरू हुआ।
यह राफेल को औपचारिक रूप से वायु सेना में शामिल करने का आयोजन मात्र नहीं था, बल्कि इसका महत्व कहीं अधिक रहा। फ्रांस की रक्षामंत्री इसके लिए भारत आईं। यह एक प्रकार से वर्तमान परिस्थित में फ़्रांस के भारत के साथ रहने का सन्देश था। इसी के साथ राफेल व तेजस का संयुक्त एयर शो हुआ। यह भी औपचारिकता मात्र नहीं थी। इसका भी सामरिक महत्व व सन्देश था। भारत व फ्रांस निर्मित विमान संयुक्त रूप से दुश्मन मुल्क को जवाब देंगे।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन या पाकिस्तान का नाम नहीं लिया। लेकिन उनका इशारा साफ था। कहा कि हमारी संप्रभुता की ओर उठी निगाहों के लिए एक बड़ा और कड़ा संदेश है। हमारी सीमाओं पर जिस तरह का माहौल हाल के दिनों बनाया गया है, उसके लिहाज से राफेल इंडक्शन बहुत अहम है।
राष्ट्रीय सुरक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी प्राथमिकता रही है। इस दौरान अनेक अड़चने भी आईं। लेकिन प्रधानमंत्री की मजबूत इच्छाशक्ति के सामने वे सभी नेस्तनाबूद होती गईं। भारत इंडो पैसिफिक रिजन और इंडियन ओसन रिजन में भी लगातार एक जिम्मेदार देश के रुप में विश्व शांति और अंतराष्ट्रीय समुदाय के साथ परस्पर सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। इस क्षेत्र की सुरक्षा में भारत और फ्रांस का दृष्टिकोण एक है।
राजनाथ सिंह ने इसे भारत और भारतीय वायुसेना के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया। भारत और फ्रांस के संबंधों का विशेष उल्लेख किया। कहा कि राफेल के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से फ्रांस के साथ भारत के संबंध मजबूत हुए हैं। फ्रांसिसी रक्षामंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों में इस तरह मजबूती बनी रहेगी।
फ्रांसीसी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत उसका सबसे अहम एशियाई सामरिक साझीदार है। रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली की भारत यात्रा का मकसद रक्षा संबंधों को और मजबूती प्रदान करना है। इस वार्ता का फोकस हिद प्रशांत में समुद्री सुरक्षा संबंध, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और समग्र द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी मजबूत करने पर होगा।
पिछले तीन वर्षों में पार्ली की यह तीसरी भारत यात्रा है। फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले ने कहा, “हम अपने रक्षा संबंधों के इतिहास में नया अध्याय लिख रहे हैं। हम मेक इन इंडिया अभियान के लिए भी कटिबद्ध हैं। फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।“ वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने ठीक कहा कि सुरक्षा संबन्धी वर्तमान स्थिति को देखते हुए राफेल को शामिल करने का इससे अच्छा समय कोई और नहीं हो सकता था।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)