जीआईआई रैंकिंग में 4 पायदान का सुधार करके भारत मध्य और दक्षिण एशिया में नवोन्मेष के मामले में पहले स्थान पर काबिज हो गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में भारत जीआईआई रैंकिंग में 81वें स्थान पर था, जबकि वर्ष 2016 में यह 66वें, वर्ष 2017 में 60वें, वर्ष 2018 में 57वें और 2019 में 52वें स्थान पर काबिज हुआ था। देश की नवोन्मेष रैंकिंग में यह सतत सुधार यहाँ नवोन्मेष के क्षेत्र में हो रही निरंतर प्रगति को ही दर्शाता है।
नवोन्मेष (इनोवेशन) के मोर्चे पर भारत लगातार बेहतर काम कर रहा है। विगत कुछ वर्षों में भारत ने नवोन्मेष के मामले में काफी प्रगति की है। इसी वजह से वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) की रैंकिंग में भारत चार पायदानों का सुधार करते हुए 48वें स्थान पर पहुंच सका है।
संयुक्त राष्ट्र संघ का अनुषंगी विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ), कार्नेल विश्वविधालय और इनसीड बिजनेस स्कूल द्वारा जारी यह सूची 131 देशों द्वारा नवोन्मेष के क्षेत्र में किये जा रहे उल्लेखनीय प्रदर्शन पर आधारित है।
जीआईआई रैंकिंग की इस सूची को हर वर्ष प्रकाशित किया जाता है। यह 131 देशों की अर्थव्यवस्थाओं की जीआईआई रैंकिंग का 13वां संस्करण है, जो 80 संकेतकों पर आधारित है। बौद्धिक संपदा संबंधी आवेदन दाखिल करने की दरों से लेकर मोबाइल-एप्लीकेशन बनाना, शिक्षा पर व्यय और वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी प्रकाशन आदि इन संकेतकों में शामिल हैं।
जीआईआई रैंकिंग में 4 पायदान का सुधार करके भारत मध्य और दक्षिण एशिया में नवोन्मेष के मामले में पहले स्थान पर काबिज हो गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में भारत जीआईआई रैंकिंग में 81वें स्थान पर था, जबकि वर्ष 2016 में यह 66वें, वर्ष 2017 में 60वें, वर्ष 2018 में 57वें और 2019 में 52वें स्थान पर काबिज था। देश की नवोन्मेष रैंकिंग में यह सतत सुधार यहाँ नवोन्मेष के प्रति बढ़ते रुझान को ही दर्शाता है।
हालाँकि, अभी भी इस सूची में सर्वोच्च 10 देशों में उच्च आय वाले देशों का ही कब्ज़ा है। स्विट्जरलैंड पिछले साल की तरह इस साल भी जीआईआई रैंकिंग में सर्वोच्च स्थान पर बना हुआ है, जबकि स्वीडन दूसरे स्थान पर और अमेरिका तीसरे स्थान पर है।
ब्रिटेन एक पायदान सुधार करके चौथे स्थान पर आ गया है, जबकि नीदरलैंड एक स्थान फिसलकर 5वें स्थान पर पहुँच गया है। रिपब्लिक ऑफ कोरिया ने पहली बार सर्वोच्च 10 देशों के बीच में अपनी जगह बनाई है।
वह सर्वोच्च 10 देशों में रहने वाला दूसरा एशियाई देश है। पहला एशियाई देश सिंगापुर है, जो जीआईआई रैंकिंग में 8वें स्थान पर है। जीआईआई रैंकिंग में 6वें स्थान पर डेनमार्क, 7वें स्थान पर फिनलैंड और 9वें स्थान पर जर्मनी है।
जीआईआई रैंकिंग में भारत के साथ-साथ चीन, फिलीपींस और वियतनाम ने भी विगत सालों में उम्दा प्रदर्शन किया है। मध्य और दक्षिण एशिया में जीआईआई रैंकिंग में भारत पहले स्थान पर है, जबकि ईरान और कजाकस्तान क्रमशः दूसरे एवं तीसरे स्थान पर हैं।
दरअसल भारत ने डब्ल्यूआईपीओ द्वारा निर्धारित सभी मानकों में उल्लेखनीय सुधार किया है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), सेवाओं का निर्यात, सरकारी ऑनलाइन सेवाओं, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में स्नातकों की संख्या और अनुसंधान और विकास से जुड़े वैश्विक संस्थानों एवं नवाचार जैसे मानकों में भारत दुनिया के सर्वोच्च 15 देशों में शामिल है।
भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, मुंबई और दिल्ली, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरु जैसे संस्थानों और शीर्ष वैज्ञानिक प्रकाशनों के बलबूते भारत सर्वोच्च 15 देशों में शामिल हो सका है। जीआईआई रैंकिंग में 131 देशों में नवोन्मेष के मोर्चे पर किये जा रहे कार्यों का विश्लेषण किया गया है।
इसके मानकों में शैक्षिक संस्थान एवं वहां किये जा रहे अनुसंधान से जुड़े कार्य, मानव पूँजी व अनुसंधान, आधारभूत संरचना की स्थिति, बाजार एवं कारोबारी कृत्रिमता, ज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं रचनात्मक उत्पादन आदि शामिल हैं।
नवोन्मेष के आधार पर भारत में भी वर्ष 2019 में राज्यों की जीआईआई रैंकिंग की गई थी, जिसमें कर्नाटक शीर्ष स्थान पर रहा था। उसके बाद क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र थे, जबकि बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ सूची में सबसे नीचे थे।
भारत नवोन्मेष सूचकांक 2019 को वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक (जीआईआई) के अनुरूप तैयार किया गया था, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की नई खोज को लेकर माहौल एवं उनकी कोशिशों पर गौर किया गया था।
भारत नवोन्मेष सूचकांक 2019 रैंकिंग में निवेश आकर्षित करने के मामले में भी कर्नाटक पहले स्थान पर था। उसके बाद क्रमश: महाराष्ट्र, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान और उत्तर प्रदेश का स्थान था। भारत नवोन्मेष सूचकांक 2019 में रैंकिंग 3 श्रेणियों, जैसे, बड़े राज्य, पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश आदि मानकों के आधार पर की गई थी।
रैंकिंग में पूर्वोत्तर राज्यों की श्रेणी में सिक्किम शीर्ष स्थान पर था, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली सर्वोच्च पायदान पर था। वहीं, पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में उम्दा प्रदर्शन करने वालों में मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा शामिल थे।
नवोन्मेष सूचकांक की मदद से सतत विकास के लिये जरुरी मानकों को चिन्हित करने में मदद मिलती है। इस रिपोर्ट के अनुसार देश के लिये प्रभावी रूप से नीति बनाने के लिये क्षेत्रीय स्तर पर नवोन्मेष की स्थिति को समझना जरुरी है। केवल राष्ट्रीय स्तर पर इस नीति को लागू करना पर्याप्त नहीं है।
प्रत्येक राज्य को अपने संसाधनों और विशेषताओं या खूबियों के आधार पर अपनी नीति तैयार करनी चाहिए। नवोन्मेष हमेशा से बदलाव और प्रगति का अगुवा रहा है, क्योंकि इससे पुरानी और कुंद पड़ चुकी गतिविधियां खत्म होती हैं।
देशभर में नवोन्मेष को अपनाने से नई खोज को एक अनुकूल परिवेश मिलने की उम्मीद है। साथ ही, इससे राज्यों को नवोन्मेष के संबंध में अपनी रणनीति तैयार करने में भी मदद मिलेगी.
लब्बोलुबाव के रूप में कहा जा सकता है कि विकास को गति देने के लिये भारत में नवोन्मेष की संस्कृति को विकसित करना जरुरी है। इसी वजह से सरकार द्वारा भारत में अनुसंधान व विकास संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों को नवोन्मेष केंद्र में तब्दील किया जा रहा है। यह बेहद जरुरी भी है, क्योंकि नवोन्मेष के जरिये ही विविध समस्याओं का स्थायी समाधान ढूंढा जा सकता है।
देश में बढ़ते प्रदूषण स्तर, देश के विविध हिस्सों में गहराते जल संकट, तेजी से खत्म होते प्राकृतिक संसाधनों, जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों, खाद्य पदार्थों की बर्बादी आदि समस्याओं का समाधान नवोन्मेष की मदद से खोजा जा सकता है।
जीआईआई की ताजा रैंकिंग में भारत द्वारा 4 पायदानों का सुधार करने से साफ़ हो जाता है कि भारत में नवोन्मेष के मोर्चे पर निरंतर अच्छा काम किया जा रहा है, जिससे विविध समस्याओं का समाधान करने में नीति-निर्माताओं को आसानी हो रही है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)