जिस तरह का संकल्प युक्त, अनुशासित आचरण भारतीय नागरिकों ने पिछले दिनों में प्रदर्शित किया है, जो तमाम कष्ट तथा आर्थिक नुकसान झेल कर भी अपने नेता पर विश्वास, एकजुटता से सभी आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन तथा विराट जिजीविषा का प्रदर्शन कर रहे हैं, उसने सिद्ध किया है कि इस कठिन घड़ी में भारत का नेतृत्व और उसके नागरिकों का आचरण विश्व को राह दिखाने वाला है। निःसंदेह देश इस कठोर साधना से कुंदन की तरह प्रदीप्त होकर निकलेगा, जिसका तेज पूरे विश्व को आलोकित करने में समर्थ होगा।
संपूर्ण विश्व इस समय वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा है। कोरोना वायरस संपूर्ण मानवता के लिए एक बड़े संकट के तौर पर उभर कर आया है जिससे सफलतापूर्वक निपटने का कोई ठोस समाधान अभी तक सामने नहीं आ पाया है । कोरोना वायरस ने न केवल जनसामान्य के लिए स्वास्थ्य का संकट खड़ा किया है अपितु वैश्वीकरण के इस दौर में अर्थव्यवस्था के लिए भी इस वायरस ने बड़ी समस्या उत्पन्न कर दी है। 199 से ज्यादा देश इस वायरस की चपेट में हैं जिससे प्रत्येक देश को अपना बचाव एवं समाधान भी खुद ही तलाशना पड़ रहा है।
कोरोना वायरस का संक्रमण करने का तरीका इतना खतरनाक है कि भारत जैसे जनसंख्या घनत्व वाले देश के लिए चुनौतियां एवं खतरा बहुत अधिक है। वैश्विक समुदाय में भी इस बात की गहमागहमी है कि भारत जैसे अत्यधिक आबादी वाले विकासशील देश में यह कोरोनावायरस बड़े स्तर पर तबाही मचा सकता है।
परंतु इन सारी शंकाओं के बीच मोदी सरकार मुस्तैदी से इस कोशिश में जुटी है कि किस प्रकार भारत को इस वायरस के संक्रमण से कम से कम नुकसान में ही बचा लिया जाए। मोदी सरकार की यह कोशिश जमीन पर दिख भी रही है, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट भी कोरोना वायरस के खिलाफ मोदी सरकार की तैयारियों से संतुष्ट नजर आया।
मोदी सरकार ने शुरुआत से ही कोरोना वायरस को बेहद गंभीरता से लेकर तमाम सावधानियां बरतीं जिससे भारत में इसका संक्रमण बड़े स्तर पर ना फैले, इस बीच भारत सरकार का मानवीय चेहरा भी सबके सामने आया जब पाकिस्तान जैसे देशों ने वुहान से अपने छात्रों को वापस अपने देश लाने से साफ तौर पर इंकार कर दिया तब भारत अपने छात्रों को सकुशल वापस लाया और उनके लिए निर्धारित सभी चिकित्सकीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के उपरांत उनको निरापद कर वापिस उनके घर भेज दिया।
मोदी सरकार ने इस कोरोना वायरस को मद्देनजर रखते हुए त्वरित निर्णय लिए एवं अनेक वायरस प्रभावित देशों के साथ विमान यात्रा को सीमित किया तथा आवाजाही करने वाले लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की भी समुचित व्यवस्था की गई, जिससे देश में वायरस संक्रमण का खतरा कम रहे।
यद्यपि इस बीच इस तरह के अनेक मामले सामने आए जब बाहर से आए लोगों ने चिकित्सकीय निर्देशों का अनुपालन ना कर अपने एकांतवास को तोड़ा अथवा अपने यात्रा इतिहास को छिपाकर समाज में मेलजोल करते रहे, ऐसे लोगों की वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ा भी है। बावजूद इन सबके स्थिति अब भी नियंत्रण में है।
मोदी सरकार ने कोरोना संक्रमण से देश को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। मोदी ने अपने पहले राष्ट्र के नाम संबोधन में जहां देश से जनता कर्फ्यू का आग्रह किया जिसका पूरे देश ने एक एक स्वर से समर्थन किया। प्रधानमंत्री द्वारा कोरोना वायरस के खिलाफ यह एक बड़े ही जंग का एलान था जिससे जनता को इस बड़े युद्ध के खिलाफ मानसिक तौर पर तैयार किया जा सके, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी काफी काफी हद तक सफल भी रहे। फिर 24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की गयी जिसकी अवधि 14 अप्रैल को पूरी हुई और अब पुनः सरकार ने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की है।
आज अमेरिका जैसा महाशक्ति देश भी कोरोना वायरस के सामने नतमस्तक है। यूरोप के देश भी कोरोना वायरस के सामने पूरी तरह से पस्त नजर आ रहे हैं। मगर भारत अब भी संभली हुई स्थिति में ही है।
लॉकडाउन की घोषणा के बाद विश्व की दृष्टि इस बात पर थी कि अचानक उपजी इस स्थिति को भारत कैसे संभाल पाएगा। परंतु प्रधानमंत्री मोदी की प्रशासनिक कुशलता तथा पूरे देश में उनकी सर्व स्वीकार्यता से लॉकडाउन होने पर भी कोई अफरातफरी नहीं मची ना ही कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न हुई।
इस बीच दिल्ली से मजदूरों की पलायन की घटना ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा तथा इस घटनाक्रम ने जनमानस को आहत भी किया, परंतु इस पलायन के पीछे केजरीवाल सरकार की अक्षमता तथा कुछ शरारती तत्वों द्वारा फैलाई गई अफवाह ही प्रमुख वजह थी। मजदूरों के पलायन से उत्पन्न हुई स्थिति को भी केंद्र सरकार तथा उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मिलकर बेहतर तरीके से संभाल लिया।
भारत के प्रयासों पर डब्ल्यूएचओ ने भी महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत सक्षम देश है तथा कोरोना के संकट से उबरने में विश्व को राह दिखाने का काम करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी के सामने जहां भारतीयों को कोरोनावायरस से बचाने की चुनौती है, वही लॉक डाउन से दिहाड़ी मजदूरों तथा गरीब परिवारों की रोजी-रोटी का प्रबंध करना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 61 करोड़ लोगों को सीधे नकद, राशन तथा गैस सिलेंडर आदि की व्यवस्था के लिए एक लाख 70 हजार करोड़ का बजट पहले ही घोषित किया जा चुका है, यह सहायता पहुंचनी भी शुरू हो गई है। इसके क्रियान्वयन में जनधन खाते, आधार कार्ड, उज्ज्वला योजना आदि की अहम भूमिका रही जिससे यह सिद्ध हो गया कि प्रधानमंत्री मोदी वास्तव में दूरदर्शी नेता हैं।
पूरा भारत कोरोना वायरस को हराने के लिए एकजुट है, प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में देश ने संकल्प, संयम व अनुशासन प्रदर्शित किया है, जिसका लाभ लॉकडाउन होने के बाद के दिनों में दिखना भी शुरू हुआ लेकिन मजहबी कट्टरता की मिसाल बन चुके निजामुद्दीन मरकज में शामिल जमातियों ने अपने घिनौने आचरण से पूरे देश को स्तब्ध कर दिया एवं पूरे देश को कोरोनावायरस के खतरे में डाल दिया।
इन लोगों ने सरकारी निर्देशों, चिकित्सकीय आदेशों, प्रशासनिक आज्ञाओं का खुले तौर पर उल्लंघन करते हुए अपनी मजहबी मध्ययुगीन मान्यताओं को तरजीह देते हुए सभी चेताववनियो की अवहेलना की तथा उसका दुष्परिणाम यह हुआ कि जमातियों ने 20 से अधिक राज्यों में कोरोनावायरस को पहुंचाया तथा 30 प्रतिशत से अधिक संक्रमित इन्ही जमातियों के केस हैं। देशभर में इन जमातियों की गैर जिम्मेदाराना, धर्मांध हरकतों के प्रति जन आक्रोश भी है परंतु संतोषजनक बात है कि फिर भी स्थिति अभी तक नियंत्रण में है।
पूरे विश्व में तबाही मचा चुके इस वायरस से भारत भी अपने आप को बचाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है, विकसित देशों की तरह भारत के पास अत्याधुनिक संसाधनों की उपलब्धता भले ही कम हो, परंतु भारत के पास मोदी जैसा नेतृत्व है, जिसकी सराहना पूरे विश्व में हो रही है।
जिस तरह का संकल्प युक्त, अनुशासित आचरण भारतीय नागरिकों ने पिछले दिनों में प्रदर्शित किया है, जो तमाम कष्ट तथा आर्थिक नुकसान झेल कर भी अपने नेता पर विश्वास, एकजुटता से सभी आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन तथा विराट जिजीविषा का प्रदर्शन कर रहे हैं, उसने सिद्ध किया है कि इस कठिन घड़ी में भारत का नेतृत्व और उसके नागरिकों का आचरण विश्व को राह दिखाने वाला है। निःसंदेह देश इस कठोर साधना से कुंदन की तरह प्रदीप्त होकर निकलेगा, जिसका तेज पूरे विश्व को आलोकित करने में समर्थ होगा।
(लेखक महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय,रोहतक में सहायक प्राध्यापक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)