कोरोना से जंग में मजबूती से जीत की ओर बढ़ रहा भारत, सावधानी की है जरूरत

कुछ हफ्तों पहले भारत में प्रतिदिन 1 लाख के आसपास मामले सामने आ रहे थे लेकिन अब इसमें लगातार कमी देखी जा रही है। 16 सितंबर को एक दिन में 97 हजार से अधिक मामले रिकॉर्ड किए गए थे जो कि अब 60-65 हजार के इर्द-गिर्द रहने लगे हैं। देश में मृत्युदर काफी कम है और रिकवरी रेट नब्बे प्रतिशत के करीब पहुँच चुका है।

मार्च, 2020 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉक डाउन की घोषणा की तो विपक्षी दलों ने तरह-तरह से इसपर सवाल उठाए। लेकिन आज भारत में कोरोना के आंकड़ों को देखें तो हम समझ सकते हैं कि यह एक सकारात्मक प्रयास था। इसी का परिणाम है कि आज वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति अन्य देशों से कोरोना के मामले में बेहतर है।

आज ऐसी स्थिति है कि जब विकसित देशों में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, तो भारत में कोरोना के सक्रिय मामलों में कमी आ रही है। दरअसल भारत सरकार ने प्रत्येक स्तर पर चरणबद्ध तरीके से योजना बनाकर कोरोना महामारी से लड़ने का प्रयास किया है। हमने देखा कि किस प्रकार चार चरणों में लॉक डाउन की घोषणा की गई और फिर चरणबद्ध तरीके से अनलॉक की प्रक्रिया भी चल रही है और अभी अनलॉक 5 तक हम पहुच चुके हैं।

चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, स्वास्थ्य का मसला हो या औद्योगिक क्षेत्र हो; अनेक दिशाओं में दूरदर्शिता के साथ कोरोना महामारी के विरुद्ध भारत की लड़ाई अभी भी जारी है। इस महामारी के दौरान हमने देखा कि स्वदेशी उपक्रमों ने इस प्रयास में परस्पर सहयोग किया। चाहे वह आयुर्वेदिक काढ़ा हो या दूर से नमस्ते का प्रचलन हो। नमस्ते का प्रचलन तो अब भारत में ही नहीं वरन इस महामारी के दौरान पूरे विश्व में प्रचलन में आ चुका है।

साभार : Zeebiz

यदि आंकड़ों की बात करें तो स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, भारत में बीते कुछ हफ्तों से लगातार कोरोना के दैनिक मामले कम होते जा रहे हैं। 17 अक्टूबर को सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 7 लाख 84 हज़ार के आसपास पहुंच गई है और ये अभी लगातार नीचे जा रही है।

दुनिया में कोरोना के कुल मामले 4 करोड़ हो चुके हैं। रोजाना ढाई लाख से अधिक संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। भारत में कोरोना के कुल मामले 71 लाख भले ही हो चुके हैं, लेकिन दैनिक पुष्ट मामलों में कमी आई है।

कुछ हफ्तों पहले भारत में प्रतिदिन 1 लाख के आसपास मामले सामने आ रहे थे लेकिन अब इसमें लगातार कमी देखी जा रही है। 16 सितंबर को एक दिन में 97 हजार से अधिक मामले रिकॉर्ड किए गए थे जो कि अब 60-65 हजार के इर्द-गिर्द रहने लगे हैं। देश में मृत्युदर काफी कम है और रिकवरी रेट नब्बे प्रतिशत के करीब पहुँच चुका है।

ये सब स्थितियां दिखाती हैं कि कोरोना से मुकाबले में भारत मजबूती से लड़ रहा है। हाल ही में आई एक समिति की रिपोर्ट के मुताबिक़, अगर मार्च में लॉकडाउन नहीं लगाया गया होता तो जून में ही हमें इस महामारी के चरम का सामना करना पड़ता और आज से 15 गुना ज्यादा मामले होते। जाहिर है, भारत के कोरोना के विरुद्ध मजबूती से खड़े होने के पीछे सरकार की रणनीति की महत्वपूर्ण भूमिका है।

बहरहाल, देश में कोरोना के मामले कम जरूर हो रहे हैं, लेकिन कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। इसीलिए प्रधानमंत्री भी कह रहे हैं कि जबतक दवाई नहीं, तबतक ढिलाई नहीं। देश में वैक्सीन को लेकर भी तेजी से काम हो रहा है और उम्मीद है कि यह साल बीतते-बीतते भारत के पास कोरोना के विरुद्ध अपनी वैक्सीन होगी। तब शायद देश इस लड़ाई को पूरी तरह से जीतने की स्थिति में आ जाए।

गौर करें तो भारत और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में संयुक्त प्रस्ताव दिया था कि कोरोना वायरस वैक्सीन की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित हो, इस प्रस्ताव को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपना समर्थन दिया है।

डब्ल्यूएचओ के निदेशक टेडरोस एडनॉम ने कहा कि डब्ल्यूएचओ दक्षिण अफ्रीका और भारत में कोविड-19 वैक्सीन, उपचार और परीक्षणों पर आधारित सभी संसाधन कम खर्च में उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और दक्षिण अफ्रीका के बौद्धिक संपदा समझौतों, उपचारों और परीक्षणों को आसान बनाने के प्रस्ताव का स्वागत किया है।

साभार : Ommcom News

इधर भारत ने वैक्सीनेशन के लिए भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इस कार्य को चरणबद्ध तरीके से योजना बना कर संपन्न किया जाएगा। इसके लिए एक समिति बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष नीति आयोग के चेयरमैन हैं।

इस समिति ने विभिन्न राज्यों और केन्द्रीय संस्थाओं से सहयोग लेकर यह तय किया है कि किन 30 लाख लोगों को सबसे पहले वैक्सीन दिए जाने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त इस समिति का प्रस्ताव है कि अनेक अन्य स्वास्थ्यकर्मियों तथा पुलिसकर्मियों को भी वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दिया जाना चाहिए।

इससे यह स्पष्ट है कि भारत सरकार प्रथम पंक्ति में खड़े कोरोना योद्धाओं को सबसे पहले वैक्सीनेशन कराने का मन बना रही है। निश्चित रूप से यह एक स्वागत योग्य कदम है।

बेशक भारत में सक्रिय मामलों कि संख्या घट रही है और रिकवरी रेट बढ़ रहा है, इसके बावजूद अभी हम सभी को सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक के लिए सतर्कता ही इस महामारी से एक मात्र बचाव है। अभी देश इस महामारी से लड़ाई में निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुका है, अतः अब विशेष रूप से सावधानी की जरूरत है ताकि शीघ्र ही हमें इसपर जीत हासिल हो।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)