कर संग्रह में केंद्र के जीएसटी (सीजीएसटी) का हिस्सा 158.66 अरब रुपये रहा, जबकि राज्यों के राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) का हिस्सा 216.91 अरब रुपये रहा; वहीं 3.39 अरब रुपये उपकर से और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) से 491.20 अरब रुपये कर संग्रह किये गये। कहा जा सकता है कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। आर्थिक सुधारों की वजह से विकास दर में इजाफा हो रहा है।
निवेश एवं व्यय बढ़ाने की सरकारी कोशिशों की वजह से वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पिछली सात तिमाहियों के सर्वाधिक स्तर 7.7 प्रतिशत पर पहुँच गई। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल के चार वर्षों में सबसे कम 6.7 प्रतिशत रही। हालाँकि, वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही में 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर के आधार पर चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 7.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान वित्त मंत्रालय लगा रहा है।
दूसरे संशोधित अनुमान में वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में 6.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन हकीकत में जीडीपी वृद्धि अनुमान से बहुत ही बेहतर रही। देखा जाये तो चौथी तिमाही में शुद्ध अप्रत्यक्ष करों में 9.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने से जीडीपी के आंकड़े बेहतर हुए।
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.53 प्रतिशत रहा है। रुपये में राजकोषीय घाटा 5.91 लाख करोड़, जो बजट अनुमान का 99.5 प्रतिशत है, रहा। यह सरकार के संशोधित अनुमान के अनुरूप है। महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार राजस्व घाटा जीडीपी का 2.65 प्रतिशत रहा।
वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था चीन से काफी आगे रही; हालांकि चीन 6.8 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेज गति से बढऩे वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। मौजूदा वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि जीडीपी में प्रत्येक तिमाही में बढ़ोतरी हो रही है, जो यह दिखाती है कि अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर जा रही है और भविष्य में भारत में और भी तेज गति से विकास हो सकता है।
माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही में हुई उच्च वृद्धि दर के लिए निवेश एवं सार्वजनिक व्यय में हुई तेज वृद्धि का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सकल निर्धारित पूँजी निर्माण (जीएफसीएफ) की प्रमुख घटक निवेश में 14 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई, जो विगत कई तिमाहियों से अधिक है।
मई महीने में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 94,016 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के औसत मासिक संग्रह की तुलना में 4.5 प्रतिशत ज्यादा है। कर अनुपालन में सुधार और देश भर में ई-वे बिल की मदद से वस्तुओं की आïवाजाही पर नजर रखने से ऐसा संभव हुआ। जीएसटी संग्रह में बढ़ोत्तरी अगले कुछ महीनों तक जारी रहने की संभावना है, क्योंकि राज्य के भीतर ई-वे बिल प्रणाली ज्यादातर राज्यों ने लागू कर दी है।
हालाँकि, मई में हुआ जीएसटी संग्रह अप्रैल के 1 लाख करोड़ रुपये जीएसटी संग्रह की तुलना में कम है, लेकिन इस तुलना को समीचीन नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि पहले के महीनों के बकाये का भुगतान आमतौर पर वर्ष के अंतिम महीने में किया जाता है। मई में हुआ जीएसटी संग्रह वित्त वर्ष 2017-18 में जीएसटी लागू होने के बाद के 9 महीने के मासिक औसत 89,880 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
ई-वे बिल से केंद्र व राज्य के कर अधिकारियों को राज्य के भीतर और एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजे जाने वाले 50,000 रुपये से ज्यादा के माल की आवाजाही का पता चलता है, जिससे कर चोरी को रोकने में सरकार को मदद मिलती है। मई महीने में जीएसटी संग्रह से अप्रैल में हुई बिक्री या लेन देन का पता चलता है। वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त मंत्रालय ने जीएसटी के लिये नकदी आधारित लेखा प्रणाली लागू की है, जिसके अंतर्गत मासिक संग्रह की रिपोर्ट आगामी महीने के पहले कार्यदिवस को दाखिल करना होता है।
अब ज्यादातर राज्यों में राज्य के भीतर सामान की आवाजाही पर भी ई-वे बिल लागू कर दिया गया है, जिससे अगले दो महीने में राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है। सरकारी कर संग्रह का मासिक औसत जल्द ही 1 लाख करोड़ रुपये पहुँच सकता है। राज्य के भीतर माल की आवाजाही पर 27 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने ई-वे बिल अनिवार्य कर दिया है।
राज्य के भीतर माल की आवाजाही पर ई-वे बिल अनिवार्य होने के बाद से कर संग्रह में सुधार आने की संभावना है। एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की आवाजाही पर ई-वे बिल 1 अप्रैल, 2018 को पेश किया गया था, जबकि राज्य के भीतर आपूर्ति पर 1 जून, 2018 से ई-वे बिल लागू किया गया है। 1 जून से 6 राज्यों यथा, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, छत्तीसगढ़, गोवा और जम्मू कश्मीर ने राज्य के भीतर सामान की आवाजाही पर ई-वे बिल लागू कर दिया है। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल इसे क्रमश: 2 और 3 जून से लागू करेंगे।
अप्रैल के पहले सप्ताह में 8,00,000 ई-वे बिल जारी किया गया, जबकि मई महीने में इस बिल का औसत बढ़कर 16.8 लाख हो गया। अनुपालन में सुधार के संकेत जीएसटीआर 3 बी के रिटर्न दाखिले से भी मिल रहे हैं। अप्रैल, 2018 में 60.4 लाख रिटर्न दाखिल किया गया था, जबकि 31 मई, 2018 तक के आंकड़ों के अनुसार 62.4 लाख रिटर्न दाखिल किये गये।
कर संग्रह में केंद्र के जीएसटी (सीजीएसटी) का हिस्सा 158.66 अरब रुपये रहा, जबकि राज्यों के राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) का हिस्सा 216.91 अरब रुपये रहा; वहीं 3.39 अरब रुपये उपकर से और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) से 491.20 अरब रुपये कर संग्रह किये गये। कहा जा सकता है कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। आर्थिक सुधारों की वजह से विकास दर में इजाफा हो रहा है। फिलहाल, दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में चीन अव्वल है, लेकिन जल्द ही भारत, चीन को पछाड़कर दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बन जायेगा की उम्मीद की जा सकती है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)