कुछ ही दिनों के अन्तराल में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज और डेनमार्क के क्राउन प्रिंस फ्रेडरिक आंद्रे हेनरिक प्रिंसेस मैरी एलिजाबेथ भारत यात्रा पर पहुँचे। रूस यूक्रेन युद्ध पर चर्चा और भारत को मिली जी 20 की अध्यक्षता के संदर्भ में इन यात्राओं का विशेष महत्त्व रहा। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का महत्त्व और प्रभाव लगातर बढ़ रहा है। कुछ ही दिनों के अन्तराल में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज, डेनमार्क के क्राउन प्रिंस फ्रेडरिक आंद्रे हेनरिक और प्रिंसेस मैरी एलिजाबेथ तथा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज भारत यात्रा पर पहुँचे। रूस यूक्रेन युद्ध पर चर्चा और भारत को मिली जी 20 की अध्यक्षता के संदर्भ में इन यात्राओं का विशेष महत्त्व रहा। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।
अनेक देशों के शीर्ष नेता भारत का दौरा कर रहे हैं। सभी शीर्ष नेता आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफ़लता से प्रभावित दिखते हैं। सभी यह स्वीकार कर रहे हैं कि वैश्विक समस्याओं का समाधान भारत के द्वारा किया जा सकता है। भारत ने दुनिया के लगभग सौ देशों को कोरोना वैक्सीन प्रदान की, इसने भी खूब प्रभाव पैदा किया है।
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से उपयोगी वार्ता हुई। उन्होने अन्य कर्यक्रमों में भाग लिया। जर्मन चांसलर बनने के बाद ओलाफ पहली बार नई दिल्ली पहुंचे थे। नरेंद्र मोदी के साथ करीब एक घंटे तक चली बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी और ओलाफ स्कोल्ज ने संयुक्त रूप से प्रेस को संबोधित किया।
जर्मनी पूरे यूरोप में भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। इंवेस्टमेंट का सोर्स है। भारत और जर्मनी के बीच मजबूत संबंध हैं। दोनों देश सुरक्षा और रक्षा सहयोग में संबंधों का विस्तार करने की दिशा में काम कर हैं। ओलाफ स्कोल्ज ने कहा, ‘भारत ने काफी तरक्की की है और यह दोनों देशों के बीच संबंधों के लिए बहुत अच्छा है। लगभग अठारह सौ जर्मन कंपनियां भारत में सक्रिय हैं। इनमें हजारों भारतीय नौकरियां करते हैं। भारत में आईटी और सॉफ्टवेयर का विकास तेजी से हो रहा है। भारत में इतनी प्रतिभा है और हम दोनों देशों के संबंधों का लाभ उठाना चाहते हैं।“
डेनमार्क के क्राउन प्रिंस फ्रेडरिक आंद्रे और प्रिंसेस एलिजाबेथ चार दिवसीय भारत की यात्रा पर आए थे। प्रिंस फ्रेडरिक आंद्रे हेनरिक और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। उनके साथ नए भारत के निर्माण के विभिन्न पहलुओं को साझा किया गया। बातचीत में विशेष रूप से स्थिरता और डिजिटल डिलीवरी के विषय शामिल थे। दो दशकों में डेनमार्क से यह पहली शाही यात्रा है। वैसे भी नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंध मधुर एवं सुदृढ़ हुए हैं। इसके अलावा यूरोपीय देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग भी लगातर आगे बढ़ रहा है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूरोपीय संघ के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता दोनो पक्षों के आर्थिक रिश्तों को लेकर गेम चेंजर साबित होगा। दोनों पक्षों के बीच एफटीए को लेकर जारी वार्ता जल्द संपन्न की जाएगी। भारत अब तेजी से एफीटए वार्ता को आगे बढ़ाना चाहता है। यूएई व आस्ट्रेलिया के साथ ऐसा किया जा चुका है।
वर्तमान में यूरोपीय संघ अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारतीय निर्यात के लिये दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य है। भारत में विदेशी निवेश प्रवाह में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी पिछले दशक में काफी बढ़ी है। अतः यूरोपीय संघ से देश के संबंधों का महत्व बहुत विशेष है।
इसी प्रकार इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी भी दो दिवसीय भारत यात्रा पर आई थीं। उनके साथ उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री अंतोनियो तैयानी और एक उच्च स्तरीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी था। प्रधानमंत्री मेलोनी आठवें रायसीना डायलॉग में मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में सहभागी हुईं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रधानमंत्री मेलोनी ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। कहा गया कि प्रधानमंत्री मेलोनी की यात्रा से भारत और इटली के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंध अधिक मजबूत होंगे।
दोनों पक्षों ने तीन वर्ष पहले हुए शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों की प्रगति समीक्षा की। सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर सहमति बनी। दोनों देश घनिष्ठ आर्थिक संबंधों की दिशा में काम करेंगे। प्रतिभा की गतिशीलता के अवसर बढ़ाएंगे। विज्ञान व प्रौद्योगिकी में चल रहे सहयोग को आगे बढ़ाया जाएगा।
यात्रा के दौरान उप-प्रधान मंत्री अंतोनियो तैयानी और वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की सह-अध्यक्षता में एक व्यापार गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया। भारत अक्षय ऊर्जा, हाइड्रोजन, आईटी, दूरसंचार, सेमीकंडक्टर और अंतरिक्ष के क्षेत्र में इटली के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करेगा। भारत और इटली के बीच एक ‘स्टार्टअप ब्रिज’ की स्थापना की भी घोषणा की गई। रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भी दोनों देश एक नया अध्याय शुरू कर रहे हैं। भारत में रक्षा निर्माण क्षेत्र में सह-उत्पादन और सह-विकास के अवसर पैदा हो रहे हैं, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
नियमित संयुक्त अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया। इस वर्ष भारत और इटली अपने द्विपक्षीय संबंधों की पचहत्तरवीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस अवसर पर भारत-इटली साझेदारी को सामरिक भागीदारी का दर्जा देने का निर्णय लिया गया।
आर्थिक संबंधों को और सुदृढ़ करने पर जोर दिया गया। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान से भारत में निवेश के अपार अवसर खुल रहे हैं। आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और इटली कंधे से कंधा मिला कर चल रहे हैं। इस सहयोग को और मज़बूत करने पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।
भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इटली की सक्रिय भागीदारी का स्वागत किया हैं। इटली ने हिंद-प्रशांत महासागर पहल में शामिल होने का निर्णय लिया है। भारत और इटली के संबंधों की पचहत्तरवीं वर्षगांठ के अवसर पर एक कार्य योजना बनाने का निर्णय लिया गया।
दोनों देशों की विविधता, इतिहास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, नवाचार, खेल और अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियों को वैश्विक पटल पर प्रदर्शन कर सकेंगे। मेलोनी ने कहा कि नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे चहेते नेता हैं। ये साबित हो चुका है कि वह बड़े लीडर हैं। नरेन्द्र मोदी ने भारत और इटली के बीच स्टार्ट-अप ब्रिज का ऐलान किया।
पहले दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध नहीं थे। अब इनकी भी शुरुआत हुई हैं। रायसीना डायलॉग का भी वैश्विक महत्त्व है। भारतीय विदेश मंत्रालय का मुख्यालय रायसीना पहाड़ी पर है। इसलिए इसे रायसीना डायलॉग के नाम से जाना जाता है। इटली की प्रधानमन्त्री इसमें बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं। साथ ही, इसमें करीब सौ देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस बार इस सम्मेलन की थीम ‘उकसावा, संकट और तूफान में जलता दीया’ था। रायसीना डायलॉग का आयोजन विदेश मंत्रालय और रिसर्च फाउंडेशन द्वारा किया जाता है। इसमें विश्व को प्रभावित करने वाले राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर मंथन किया गया। 2016 में पहली बार रायसीना डायलॉग का आयोजन किया गया था।
कुल मिलाकर उपर्युक्त बातें यही दर्शाती हैं कि आज भारतीय विदेश नीति चहुँओर सफलता के झंडे गाड़े हुए है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)