इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारतीय रेलवे का अब कायाकल्प हो रहा है। 2014 से पहले रेलवे एक बोझिल और जटिल क्षेत्र था जिससे जुड़ी समस्याओं का अंबार ही सामने आ पाता था लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं होता था। यदि हम ऐसा कहें कि मोदी सरकार ने भारतीय रेलवे को नए सिरे से निर्मित और परिभाषित किया है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
इन दिनों नवरात्र चले रहे हैं और इस दौरान ही भारतीय रेलवे ने यात्रियों को दो बड़ी सौगातें दी हैं। गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह व रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वंदे भारत एक्सप्रेस को दिल्ली से कटरा रूट के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस रूट से अब लोग मात्र 8 घंटे में कटरा पहुंच सकेंगे। यह ट्रेन वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले भक्तों के लिए बड़ी राहत बनकर आई है क्योंकि नवरात्र में वहां जाने वालों की संख्या बढ़ जाती है।
यह ट्रेन पहले ट्रेन-18 के नाम से जानी जाती थी, बाद में इसका नाम बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस कर दिया गया। केवल 8 घंटे में दिल्ली से कटरा पहुंचाने वाली इस ट्रेन के लिए आईआरसीटीसी की वेबसाइट से बुकिंग आरंभ हो चुकी है। यह अधिकतम 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ सकती है, हालांकि इसकी औसत गति 82 किमी प्रति घंटा रहेगी। 16 कोच वाली वंदे भारत में कुल 1128 सीटें हैं और इसके जनरल चेयर कार में 14 कोच होंगे जिसकी 936 सीटें होंगी। दिल्ली से कटरा तक का चेयरकार का किराया करीब 1620 रुपए है। अंबाला कैंट, लुधियाना और जम्मू तवी में वंदे भारत के स्टापेज होंगे।
दूसरी तरफ, आज शुक्रवार को देश को पहली कॉर्पोरेट ट्रेन तेजस की सौगात मिली है। यह ट्रेन अब पटरी पर आ चुकी है। लखनऊ रेलवे स्टेशन से उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर इस ट्रेन को रवाना किया। किसी हवाई जहाज जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लबरेज इस ट्रेन को कॉर्पोरेट इसीलिए कहा गया है क्योंकि इसकी तमाम खासियतें इसे अपने आप में विशिष्ट ट्रेन बनाती हैं।
इस ट्रेन में कप्तान एवं स्टाफ में सभी महिलाए हैं। यह महिला सशक्तिकरण का नया प्रतिमान है। समय पर चलने का दावा करने वाली यह ट्रेन यदि लेट होती है तो प्रति घंटे के मान से 100 रुपए का मुआवजा यात्रियों को दिया जाएगा। इसमें टीटीई के पास एक डिवाइस होगा जिसमें से वे रिजर्वेशन चार्ट देख सकेंगे। इसे कागज मुक्त बनाया गया है। इसमें यात्रा करने वाले लोगों का 25 लाख रुपए की बीमा भी किया गया है। लगेज का भी बीमा किया जाएगा।
तेजस को स्मोक फ्री बनाया गया है, इसलिए स्मोकिंग का मामला सामने आने पर इसमें ऑटोमेटिक अलार्म बज जाएगा। पढ़ने के लिए एक रीडिंग बटन भी होगा। ट्रेन की खिड़की के पर्दे बटन से ऑपरेट होंगे और पूरी ट्रेन सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेगी। ट्रेन में बॉयो-टॉयलेट है जो कि पानी की स्थिति एक इंडीकेटर के जरिये बता देगा। प्रत्येक बोगी में सूप या कॉफी बनाने के लिए एक मिनी किचन की भी व्यवस्था होगी। इसमें 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों का किराया नहीं लगेगा।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारतीय रेलवे का अब कायाकल्प हो रहा है। 2014 से पहले रेलवे एक बड़ा बोझिल और जटिल क्षेत्र था जिससे जुड़ी समस्याओं का अंबार ही सामने आ पाता था लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं होता था। यदि हम ऐसा कहें कि मोदी सरकार ने भारतीय रेलवे को नए सिरे से निर्मित और परिभाषित किया है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह कहने के पीछे कारण हैं।
पहले की अधिकांश सरकारों ने रेलवे को केवल मलाईदार विभाग समझकर उसे राजस्व कमाने और ट्रेने चलाने के नामपर वोट बनाने की मशीन भर बना रखा था लेकिन जो आम यात्री जेब से पैसा लगाकर टिकट खरीदता है, उसकी सुविधाओं पर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया।
रेलवे का एक पृथक बजट हुआ करता था जो आम बजट के समानांतर पेश किया जाता था। उसमें नई ट्रेनों के चलाने की घोषणा जरूरी की जाती लेकिन घाटे में जा रहे रेलवे के पास नई गाड़ियों को चलाने की सामर्थ्य नहीं होती थी। घोषणाएं पूरी कम ही हो पातीं और इस बीच कुछ रेल हादसे हो जाते एवं फिर से अगले रेल बजट की बारी आ जाती। यह दुष्चक्र लंबे समय तक चलता रहा।
लेकिन केंद्र में जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो महज नीतियां ही नहीं बदलीं, धरातल पर कार्ययोजनाएं भी बदलती नज़र आईं। मोदी सरकार के पिछले रेलमंत्री सुरेश प्रभु का कार्यकाल बहुत सफल और प्रभावी रहा। उन्होंने लगभग पूरी रेलवे व्यवस्था को ऑनलाइन कर दिया था।
ट्वीटर पर आम यात्री अपनी किसी भी समस्या को रेलवे को बताता और उसका तुरंत जवाब भी मिलता एवं निराकरण भी सुनिश्चित किया जाता। इस पहल से युवा वर्ग रेलवे से अधिक जुड़ा। इसी परिपाटी को आगे जारी रखा है वर्तमान रेल मंत्री पीयूष गोयल ने, जो देश को वंदे भारत और तेजस जैसी लग्जरी लेकिन किफायती ट्रेनों की सौगात लेकर सामने आए हैं। सुरक्षा से लेकर सुविधाओं तक रेलवे में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
असल में, भारतीय रेलवे विश्व का सबसे बड़ा और जटिल रेलवे नेटवर्क है। अलग-अलग जोन में बंटा हुआ रेलवे प्रतिदिन हजारों की संख्या में ट्रेनों के फेरे लगाकर लाखों यात्रियों को मंजिल पर पहुंचाता है। हजारों मालगाड़ियां माल ढुलाई का काम करती हैं। आज जब देश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है तो ऐसे में परिवहन में भला देश कैसे पीछे रहता। रेलवे भारत की ताकत बनकर उभरा है।
बताने की जरूरत नहीं कि यूपीए सरकार में गठबंधन की जरूरतों के मुताबिक़ कैसे रेल मंत्री बदलते चले गए। एक समय में लालू यादव जैसे घोटालेबाज नेता भी रेल मंत्री रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच रेलवे का बंटाधार ही होता रहा। इसके उलट, केंद्र की भाजपा सरकार ने भारतीय रेलवे को एक नया आयाम दिया है। दूरंतो, गतिमान एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों का वजूद इसका प्रमाण है। नई ट्रेन शुरू करना निश्चित ही बड़ी बात है लेकिन उसे मेंटेन रखना और भी बड़ी बात है। आज आईआरसीटीसी (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन) एक ऐसी सेवा प्रदाता संस्था बन गया है जो लगातार यात्रियों की सुविधानजक यात्रा के लिए प्रतिबद्ध है।
टिकट ऑनलाइन बुकिंग का कल्चर बढ़ा है और त्योहारी सीजन में यात्रियों के लिए रियायतों का भी ध्यान रखा जाता है। चूंकि केंद्र सरकार ने इस बात को समझा है कि रेलवे सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का विभाग है, इसलिए इस पर अधिक ध्यान देना होगा। इसके परिणाम भी सामने आए हैं। रेलवे के माध्यम से राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है।
निश्चित ही भारतीय रेलवे अब समस्याओं को हल करते हुए विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने की दिशा में अग्रसर हो रहा है।यात्रियों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लबरेज ट्रेनों में यात्रा करने का अवसर पहले केवल विदेशों में ही मिल पाता था, अब वे यही अनुभव स्वदेश में भी ले पा रहे हैं। यह देश के लिए बड़ी उपलब्धि है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)